ULIP Meaning in Hindi – जानिए यूलिप प्लान क्या है और कैसे काम करता है

इंश्योरेंस जगत में हमारी हर जरूरत के मुताबिक अलग अलग प्लान उपलब्ध है। इनमे यूलिप प्लान इंश्योरेंस कंपनी द्वारा ऑफर किया जाने वाला एक यूनिक फाइनेंशियल प्रोडक्ट है जो हमारी इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट दोनो जरूरतों को पूरा करता है। हमारे इस आर्टिकल “ULIP Meaning in Hindi” के माध्यम से हम इस प्लान को समझने और इसकी वर्किंग को जानने की कोशिश करेंगे।

यूलिप प्लान क्या है – ULIP meaning in Hindi

यूलिप का मतलब होता है: यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान

ULIP मतलब: Unit Linked Insurance Plan

यूलिप इंश्योरेंस कंपनी द्वारा ऑफर किया जाने वाला एक ऐसा प्लान है जिसमे इन्वेस्टमेंट और लाइफ इंश्योरेंस दोनो ही फीचर हमे एक साथ मिलते है। यानी की अगर कोई व्यक्ति यूलिप पॉलिसी लेता है तो उसे लाइफ कवर तो मिलता ही है लेकिन इसके साथ इन्वेस्टमेंट की अच्छी रिटर्न का फायदा भी मिलता है। यूलिप प्लान में भरे जाने वाले प्रीमियम का कुछ हिस्सा आपके इंश्योरेंस कवर की और और कुछ हिस्सा अलग अलग इन्वेस्टमेंट ऑप्शन जैसे इक्विटी, डेब्ट, हाइब्रिड आदि में इन्वेस्ट होता है। इक्विटी और डेब्ट में इन्वेस्टमेंट होने के कारण इसमें मिलने वाली रिटर्न भी इन्वेस्टमेंट की बाकी ऑप्शन को तुलना में ज्यादा होती है। अगर किसी कारणवश पॉलिसी होल्डर की मौत हो जाती है तो उसके नॉमिनी को एक लंप्सम अमाउंट का डेथ बेनिफिट के रूप में भुगतान किया जाता है।

यूलिप प्लान कैसे काम करता है – ULIP plan kaise kaam karta hai

जैसा की पहला ही बताया गया है यूलिप प्लान में आपको इन्वेस्टमेंट और इंश्योरेंस दोनो के ही गुण मिलते है। जब कभी आप एक यूलिप प्लान का प्रीमियम भरते है तो उसका एक भाग इंश्योरेंस कवरेज के हिस्से में जाता है और दूसरा भाग आपके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार चुने गए फंड में इन्वेस्ट किया जाता है। यह फंड इक्विटी फंड, डेब्ट फंड, हाइब्रिड फंड या इंडेक्स फंड हो सकते है। इन फंड में की जाने वाले इन्वेस्टमेंट के बदले आपको कुछ यूनिट अलॉट होते है जिनकी NAV डेली बेसिस पर कैलकुलेट होती है और NAV पर आपकी इन्वेस्टमेंट की रिटर्न निर्भर करती है। इंश्योरेंस कवर की तरफ गया प्रीमियम आपको लाइफ कवरेज प्रदान करता है जिसमे अगर इंश्योरेंस लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी को डेथ बेनिफिट दिया जाता है। यूलिप प्लान में कई सारे चार्जेस आप से लिए जा सकते है जिनमे फंड मैनेजमेंट के बदले ली जाने वाली फीस, एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज आदि शामिल हो सकते है। लगभग सभी यूलिप प्लान लॉक इन पीरियड के साथ आते हैं जिसकी अवधि 5 साल की होती है। इस लॉक इन पीरियड के दौरान आप कोई भी पैसा निकाल नही सकते। 5 साल के बाद अपनी जरूरत अनुसार यूलिप प्लान से पार्शियल विड्रॉल ली जा सकती है। अगर आप चाहे तो पॉलिसी के टेन्योर के दौरान इन्वेस्ट किए जा रहे फंड को बदल सकते हैं।

यूलिप प्लान के प्रकार – ULIP plan ke types

यूलिप प्लान को हम तीन आधार पर अलग अलग भागो में बांट सकते है। पहला है यूलिप प्लान द्वारा किए जाने वाले फंड में इन्वेस्टमेंट के आधार पर, दूसरा उनकी रिटर्न और प्रीमियम के आधार पर और तीसरा मिलने वाले डेथ बेनिफिट के आधार पर।

इन्वेस्टमेंट के आधार पर

यूलिप प्लान एक अच्छी रिटर्न जेनरेट करने के लिए अलग अलग एसेट क्लास या फंड में इन्वेस्ट करते है। इन फंड में शामिल है:

इक्विटी: इस तरह के प्लान में प्रीमियम का एक भाग इक्विटी फंड यानी की प्राइवेट कंपनी के स्टॉक में इन्वेस्ट करने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम में किया जाता है। ऐसे फंड में हाई रिस्क और हाई रिटर्न शामिल होती है। जो लोग अपनी इन्वेस्टमेंट पर ज्यादा रिटर्न चाहते है वह इस एसेट क्लास का चुनाव कर सकते है।

डेब्ट: डेब्ट ऐसे फंड होते है जो फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट जैसे की गवर्मेंट बॉन्ड्स, सिक्योर्टीज, डिबेंचर्स आदि में इन्वेस्ट करते हैं जहां एक टाइम पीरियड के बाद फिक्स्ड रिटर्न की गैरेंटी होती है। इन फंड में रिस्क कम होता है लेकिन उसी के साथ रिटर्न भी इक्विटी के मुकाबले कम होती है।

बैलेंसेड: जैसा की नाम से ही जाहिर हैं ऐसे फंड में इक्विटी और डेब्ट दोनो का कॉम्बिनेशन शामिल होता है। बैलेंस अमाउंट में इन्वेस्टमेंट होने के कारण इसके रिस्क और रिटर्न दोनो ही कुछ कम हो जाते है। हम कह सकते है की यह फंड इक्विटी से कम रिस्की होते है लेकिन डेब्ट फंड से ज्यादा रिटर्न देते है।

रिटर्न और प्रीमियम के आधार पर

इस कैटेगरी के अंतर्गत निम्नलिखित प्लान आते है:

सिंगल प्रीमियम यूलिप प्लान: ऐसे प्लान में सिर्फ पॉलिसी को खरीदते वक्त ही एक बार में प्रीमियम का भुगतान किया जाता है।

रेगुलर प्रीमियम यूलिप प्लान: ऐसे प्लान में प्रीमियम का भुगतान रेगुलरली जैसे की मंथली, क्वाटरली, हाफ इयरली या इयरली किया जा सकता है। यह प्रीमियम पॉलिसी के शुरू होने से लेकर उसकी मैच्योरिटी तक भरने पड़ सकते है।

गैरेंटेड यूलिप प्लान: ऐसे यूलिप प्लान में मिलने वाली रिटर्न गैरेंटेड होती है। इस प्लान के तहत की जाने वाली ज्यादा इन्वेस्टमेंट कम रिस्की यानी की डेब्ट फंड में की जाती है। अगर आप एक निश्चित गोल के लिए इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं तो यह प्लान आपके लिए सही हो सकता है।

नॉन गैरेंटेड यूलिप प्लान: नान गैरेंटेड यूलिप प्लान में रिटर्न को ज्यादा से ज्यादा रखने के लिए इक्विटी फंड जैसे इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट किया जाता है। इक्विटी में इन्वेस्टमेंट होने के कारण यहां रिटर्न ज्यादा तो हो सकती है पर उतनी ही रिस्की और वोलेटाइल भी होती है।

लाइफ स्टेज यूलिप प्लान: इस तरह के यूलिप प्लान में इन्वेस्टमेंट इंश्योरेंस लेने वाले की उम्र के हिसाब से जाती है। अक्सर ऐसा देखा जाता है की इंसान की रिस्क लेने की क्षमता उसकी उम्र के साथ घटती जाती है। जवानी वह अच्छा कमाने और काम करने लायक होता है इसलिए रिस्क भी ज्यादा ले पाता है वहीं जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती है उसके लिए इन्वेस्टमेंट के सेफ और कम रिस्की ऑप्शन उपयुक्त रहते है, क्युकी उम्र के इस पड़ाव पर एक स्टेबल इनकम की जरूरत सबको होती है। यह यूलिप प्लान इसी प्रिंसिपल पर काम करते है। जब तक इंसान की उम्र कम होती है यह प्लान इक्विटी फंड में ज्यादा इन्वेस्ट करते है और जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाती है इन्वेस्टमेंट का प्रोपोर्शन इक्विटी से घटाकर डेब्ट में ज्यादा कर दिया जाता है। यह इन्वेस्टमेंट के रिस्क और रिटर्न को बैलेंस रखने का काम करता है।

डेथ बेनिफिट के आधार पर

टाइप 1: इस प्लान के अंतर्गत नॉमिनी व्यक्ति को डेथ बेनिफिट के रूप में सम एश्योर्ड या फंड वैल्यू दोनो मे से एक मिलती है। ऐसे केस में दोनो ऑप्शन में जिसकी भी वैल्यू ज्यादा होती है उसका भुगतान किया जाता है।

टाइप 2: टाइप 2 प्लान में फंड वैल्यू और सम एश्योर्ड दोनो का भुगतान नॉमिनी को किया जाता है। इसमें सम एश्योर्ड की वैल्यू ज्यादा रहती है लेकिन इसी के साथ ही भरे जाने वाले प्रीमियम का अमाउंट भी बड़ जाता है।

यूलिप प्लान में लॉक इन पीरियड – ULIP plan me lockin period

यूलिप प्लान में जरूरी 5 साल का लॉक इन पीरियड होता है। कोई भी पार्शियल विड्रॉल 5 साल के बाद ही लिया जा सकता है और वह भी पॉलिसी के आधार पर मिनिमम और मैक्सिमम लिमिट के दायरे में आते है। यहां इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है की कोई भी अमाउंट निकलवाने के लिए आपको बीते 5 सालो के सारे प्रीमियम भरे होने चाहिए और आप पॉलिसी वैल्यू का लगभग 20% ही एक फाइनेंशियल ईयर में निकलवा सकते है।

यूलिप प्लान के फायदे – ULIP plan ke fayde

मार्केट लिंक्ड रिटर्न: अन्य लाइफ इंश्योरेंस प्लान के मुकाबले जहां पर एक फिक्स्ड रिटर्न ऑफर की जाती है जो अक्सर इनफ्लेशन को मात नही दे पाती, यूलिप में रिटर्न मार्केट लिंक्ड होती है जो ज्यादातर इक्विटी और डेब्ट फंड में इन्वेस्ट करके जेनरेट की जाती है। यह रिटर्न इन्वेस्टमेंट के अन्य टूल की तुलना में कई ज्यादा हो सकती है।

इंश्योरेंस कवरेज: इन्वेस्टमेंट के साथ ही यूलिप प्लान इंश्योरेंस कवरेज भी प्रदान करते है। इंश्योर्ड व्यक्ति की मौत हो जाने पर नॉमिनी को एक लंप्सम रकम का भुगतान किया जाता है।

टैक्स बेनिफिट: यूलिप प्लान में इनकम टैक्स एक्ट के अन्तर्गत भरे गए प्रीमियम और मिलने वाली रिटर्न पर टैक्स बेनिफिट लिया जा सकता है।

फ्लेक्सिबिलिटी: इन्वेस्टर के पास रिस्क के अनुसार इन्वेस्टमेंट ऑप्शन का चुनाव करने की ऑप्शन होती है। वह अपने रिटर्न को ध्यान में रखते हुए इक्विटी और डेब्ट में कितना पोर्शन इन्वेस्ट करना हैं, इस बात का चुनाव कर सकते हैं।

वेल्थ बनाने में सहायक: क्युकी यूलिप प्लान अन्य प्लान की तुलना में एक अच्छी रिटर्न ऑफर करते है, इस कारण लॉन्ग टर्म में वेल्थ बनाने और इंश्योरेंस कवरेज दोनो का ही फायदा हमे एक साथ मिलता है।

यूलिप प्लान के नुक्सान – ULIP plan ke nuksaan

चार्जेस: यूलिप प्लान को लेने पर आपको कई तरह के चार्ज भरने पड़ सकते है। इनमे फंड मैनेजमेंट चार्ज, एडमिनिस्ट्रेशन फीस, मोर्टलिटी आदि चार्ज शामिल हो सकते है जो फंड की कुल रिटर्न को घटा देते है।

मार्केट रिस्क: यूलिप प्लान में अच्छी रिटर्न जेनरेट करने के लिए इन्वेस्टमेंट, मार्केट से जुड़े इंस्ट्रूमेंट और फंड में की जाती है। ज्यादा रिटर्न देने के साथ ही इनमे ज्यादा रिस्क भी शामिल होता है।

लॉक इन पीरियड: यूलिप प्लान में लगभग 5 साल का लॉक इन पीरियड होता है जिसके बाद ही पार्शियल पैसे निकाले जा सकते है। वह इन्वेस्टर जिन्हे शॉर्ट टर्म में पैसे की जरूरत हो उनके लिए यह परेशानी का कारण बन सकती है।

कांप्लेक्स: यूलिप प्लान के इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट भाग को समझना इन्वेस्टर्स के लिए काफी कांप्लेक्स हो सकता है। इसमें शामिल कई टर्म और इन्वेस्टमेंट भाग को समझने में उन्हें परेशानी हो सकती है।

सभी के लिए उपयुक्त नही: वह लोग जो फाइनेंशियल मार्केट की अच्छी जानकारी रखते है और अपनी इन्वेस्टमेंट को खुद मैनेज कर सकते है उनके लिए ऐसे प्लान सूटेबल नही है। ऐसे लोग सिर्फ एक pure लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं और इन्वेस्टमेंट को खुद मैनेज करके एक अच्छी रिटर्न भी जेनरेट कर सकते है।

यह भी जाने: Endowment plan meaning in hindi – एंडोमेंट प्लान के बारे में पूरी जानकारी

यूलिप और ट्रडिशनल प्लान में अंतर – ULIP aur traditional plan me antar

ULIP Plan Traditional Plan
यूलिप प्लान इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट का कॉम्बिनेशन होते है। ट्रेडिशनल प्लान मुख्यता एक इंश्योरेंस प्रोडक्ट होते है।
इनमे इन्वेस्टमेंट की रिटर्न मार्केट लिंक्ड होने के कारण ट्रेडिशनल प्लान से ज्यादा होती है। इनमे आमतौर पर फिक्स्ड रिटर्न और बोनस अगर लागु हो तो ऑफर किए जाते है।
मार्किट लिंक्ड होने के कारण ज्यादा रिस्की होते है फिक्स्ड रिटर्न होने के कारण कम रिस्की होते है।
इनमे प्रीमियम पेमेंट और इन्वेस्टमेंट फंड को चुनने की फ्लेक्सिबिलिटी होती है। सख्त टर्म और कंडीशन होने के कारण यह प्रोडक्ट ज्यादा फ्लेक्सिबल नहीं होते।
इनमे कई सारे चार्जेज शामिल होते है जो इन्वेस्टमेंट की रिटर्न को कम कर देते है। इनमे आमतौर पर यूलिप प्लान से कम चार्जेज शामिल होते है।
यूलिप प्लान में इन्वेस्टर अपने इन्वेस्टमेंट फंड के परफॉरमेंस को ट्रैक कर सकते है।

पॉलिसी होल्डर को इस बात की जानकारी नहीं होती की उनके द्वारा दिया प्रीमियम कहां इस्तेमाल किया जा रहा है।

निष्कर्ष – Conclusion

यूलिप एक ऐसा प्लान है जो हमे इंश्योरेंस कवरेज और इन्वेस्टमेंट दोनो का ही फायदा देता है। जहां अन्य इंश्योरेंस प्लान में रिटर्न फिक्स्ड या कम होती है वहीं यूलिप प्लान में रिटर्न मार्केट से लिंक्ड इक्विटी, डेब्ट और बैलेंस फंड आदि में इन्वेस्ट करके जेनरेट की जाती है इसलिए यह कई मायने में बेहतर होती है। जहां यूलिप प्लान के अपने फायदे है वहीं इसके कुछ नुकसान भी है जैसे की इस से जुड़े इन्वेस्टमेंट और एडमिनिस्ट्रेटिव चार्जेस, लॉक इन पीरियड और मार्केट रिस्क। अगर आप भी एक यूलिप प्लान लेने के बारे में सोच रहे है तो इन सब तथ्यों को जरूर ध्यान में रखे और अन्य इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के साथ तुलना करने के बाद ही कोई भी निर्णय ले।

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