NFO kya hota hai – जानिए इसमें क्यों और कैसे करे इन्वेस्ट

अगर आप म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करते है तो आपको अक्सर NFO के बारे में सुनने को मिलता होगा। जब कोई AMC पहली बार एक म्यूचुअल फंड स्कीम को आम लोगो के लिए खोलती है तो ऐसा वह NFO के जरिए करती है। जिस तरह स्टॉक एक्सचेंज में कोई कंपनी पहली बार IPO के दौरान लिस्ट होती है उसी तरह म्यूचुअल फंड में कोई भी नई स्कीम को पहली बार NFO के जरिए लांच किया जाता है। आप इसे म्यूचुअल फंड का IPO भी कह सकते है। “NFO क्या होता है” इस आर्टिकल के जरिए हम NFO के सारे प्रोसेस और यह हमारे लिए किस तरह से फायदेमंद हैं, इस बात को जानने की कोशिश करेंगे।

NFO kya hota hai

NFO क्या होता है – NFO kya hota hai

NFO का मतलब होता है: New Fund Offer

NFO उस प्रोसेस को कहते है जिसके जरिए पहली बार एक AMC (Asset management company) द्वारा म्यूचुअल फंड स्कीम के यूनिट लोगो की खरीद के लिए उपलब्ध कराए जाते है। जब भी कोई म्यूचुअल फंड हाउस पहली बार एक स्कीम को शुरू करता है तो सबसे पहले इसे NFO के जरिए आम लोगो की सब्सक्रिप्शन के लिए खोला जाता है। यह सब्सक्रिप्शन आमतौर पर 10 से 15 दिनों के लिए खुला रहता है जिसके दौरान हम म्यूचुअल फंड के यूनिट इसके Face price यानी 10 रुपए में खरीद सकते है। NFO के बंद हो जाने के बाद लोगो द्वारा इसकी सब्सक्रिप्शन में लगाया गया पैसा फंड के पोर्टफोलियो को बनाने के लिए इसकी एसेट क्लास में इन्वेस्ट कर दिया जाता है। यह एसेट क्लास स्टॉक हो सकते है, गवर्मेंट सिक्योरिटी हो सकती है या कमोडिटी हो सकती है। इन एसेट की परफॉर्मेंस के आधार पर म्यूचुअल फंड स्कीम के यूनिट की NAV बढ़ती या कम होती है और NAV जितनी ज्यादा बढ़ेगी आपकी रिटर्न भी उतनी ही अच्छी होगी।

NFO के प्रकार – NFO ke types

NFO मुख्यता 3 तरह के हो सके है:

ओपन एंडेड: Open ended फंड वह होते है जो इन्वेस्टमेंट के लिए हमेशा खुले रहते है। इनमे आप कभी भी पैसे को इन्वेस्ट और रिडीम कर सकते है। अगर किसी ओपन एंडेड स्कीम का NFO लांच किया जाता है तो सब्सक्रिप्शन बंद होने के कुछ दिन बाद उसे इन्वेस्टमेंट के लिए फिर से खोल दिया जाता है।

क्लोज एंडेड: इस तरह के फंड में आप सिर्फ NFO पीरियड के दौरान ही इन्वेस्ट कर सकते है। NFO बंद हो जाने पर इनमे किसी भी तरह की इन्वेस्टमेंट नही की जा सकती। इन फंड की मैच्युरिटी होने पर प्रिंसिपल अमाउंट, रिटर्न समेत इन्वेस्टर के अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाता है।

इन्टरवल फंड: इंटरवल फंड में ओपन एंडेड और क्लोज एंडेड दोनो फंड के गुण होते है। यह फंड एक फिक्स्ड टाइम इंटरवल के लिए खुलते जिसके दौरान ही इनमे इन्वेस्टमेंट और रिडेंप्शन की जा सकती है। इस टाइम पीरियड के अलावा इन फंड में किसी भी तरह की ट्रांजेक्शन नही की जा सकती।

NFO कैसे काम करता है – NFO kaise kaam karta hai

NFO के दौरान एक AMC या फंड हाउस पहली बार अपने नए फंड को इन्वेस्टर को सब्सक्रिप्शन के लिए ऑफर करती है। इसके लॉन्च से लेकर यूनिट अलॉटमेंट तक निम्नलिखित स्टेप शामिल होते है।

NFO फेस: AMC एक नई स्कीम को लॉन्च करती है और उसकी मार्केटिंग और एडवरटाइजमेंट करती है। इसमें वह आम लोगो और बड़े इन्वेस्टर को इसके फीचर, नेचर, ऑब्जेक्टिव के बारे में अवगत करवाती है।

सब्सक्रिप्शन: सब्सक्रिप्शन पीरियड के दौरान आम इन्वेस्टर इनमे इन्वेस्ट कर सकते है। इस फेस के दौरान म्यूचुअल फंड के यूनिट फेस वैल्यू जो की आमतौर पर 10 रुपए होती है, में ऑफर किए जाते है। NFO की सब्सक्रिप्शन कई दिनों तक खुली रहती है।

मिनिमम इन्वेस्टमेंट: NFO में इन्वेस्टमेंट के लिए म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा एक मिनिमम अमाउंट सेट की जाती है। इन्वेस्टर को इस अमाउंट के बराबर या इस से ज्यादा ही इन्वेस्टमेंट करनी पड़ती है।

अलॉटमेंट: NFO कर पीरियड खत्म होने पर इन्वेस्टर को उनकी इन्वेस्टमेंट के मुताबिक यूनिट अलॉट कर दिए जाते है। अलॉटमेंट होने के बाद सब्सक्रिप्शन से मिला पैसा फंड के पोर्टफोलियो को बनाने के लिए इसकी थीम एसेट क्लास में इन्वेस्ट कर दिया जाता है।

ट्रेडिंग: सब्सक्रिप्शन खत्म होने पर एक निश्चित टाइम पीरियड के बाद NFO आम लोगों की ट्रेडिंग के लिए खुल जाता है। यहां पर इन्वेस्टर कभी भी म्यूचुअल फंड के यूनिट खरीद और बेच सकते है।

NFO में कैसे इन्वेस्ट करे – NFO me kaise invest karen 

भारत में NFO में इन्वेस्ट करना बहुत आसान है। इसके लिए आप:

सबसे पहले उस न्यू फंड ऑफर का चुनाव करे जिसमे आप इन्वेस्ट करना चाहते है। मार्केट में हर AMC अलग अलग थीम पर बेस्ड NFO लांच करती रहती है। आप अपने इन्वेस्टमेंट गोल, रिस्क और ऑब्जेक्टिव के अनुसार किसी एक का चुनाव कर सकते है।

अगर आप पहले से फाइनेंशियल सिक्योरिटी में इन्वेस्टर है तो आपका KYC बना होगा, अगर आप पहली बार म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर रहे है तो पहले अपना KYC बनाए। इसे आप ऑनलाइन अप्लाई करके बना सकते या KRA में ऑफलाइन एप्लिकेशन सबमिट करवा सकते है।

इसके बाद आप किसी म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर, डायरेक्ट AMC या ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से NFO की एप्लिकेशन सबमिट कर सकते है। एप्लिकेशन के साथ ही आपको अप्लाई किए गए यूनिट की पेमेंट भी करनी पड़ती है।

NFO की एप्लिकेशन सबमिट हों जाने पर उसकी अलॉटमेंट का इंतजार करे। एक बार अलॉटमेंट हो जाने पर आपको अकाउंट स्टेटमेंट और अकाउंट से जुड़ी अन्य चीजे मुहैया करवा दी जाती है।

NFO इन्वेस्टमेंट में किन बातों का ध्यान रखे – NFO investment me kin baato ka dhyan rakhe

इन्वेस्टमेन गोल: हर इन्वेस्टर के इन्वेस्ट करने के पीछे का कारण या गोल अलग हो सकते है। यह गोल उनकी उमर, इनकम और रिस्क पर निर्भर करता है। इसलिए जरूरी है की किसी भी NFO में इन्वेस्ट करने से पहले फंड के नेचर, आब्जेक्टिव, थीम और रिस्क जैसी चीजों को जरूर एनालाइज करे और ध्यान रखे कि यह इन्वेस्टमेंट गोल के साथ मेल खा रही हैं या नहीं।

फंड हाउस परफॉर्मेंस: किसी भी इन्वेस्टमेंट टूल में हम इसी आशा से इन्वेस्ट करते है की वह हमे एक अच्छी रिटर्न बना के देगा और हमारी वेल्थ को बढ़ाने में मदद करेगा। इसलिए जिस भी AMC के NFO में आप इन्वेस्ट करने जा रहे है उसके बाकी फंड की परफॉर्मेंस और फंड मैनेजर की काबिलियत का जरूर पता लगा ले।

एक्सपेंस रेश्यो: एक्सपेंस रेश्यो यानी की वह चार्जेस जो म्यूचुअल फंड हाउस अपने फंड की मैनेजमेंट के बदले इन्वेस्टर से चार्ज करते है। इनकी रेश्यो जितनी ज्यादा होगी इन्वेस्टमेंट की रिटर्न पर भी उतना की प्रभाव पड़ेगा। इसलिए NFO में इन्वेस्टमेंट से पहले उसकी एक्सपेंस रेश्यो को भी जरूर ध्यान में रखे।

मिनिमम इन्वेस्टमेंट और एक्जिट लोड: NFO में इन्वेस्ट करने से पहले इस बात को जान ले की उसमे मिनिमम इन्वेस्टमेंट की लिमिट कितनी है। एक्जिट लोड यानी की फंड में रिडेंप्शन लेने पर लगने वाले चार्जेस। फंड की थीम के आधार पर यह चार्जेस एप्लिकेबल हो सकते है और नही भी। इसलिए इस बात का ध्यान रखे की अगर आप शॉर्ट टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट कर रहे है तो उसपर कोई भी या ज्यादा एक्जिट लोड ना हो।

पुराने फंड से तुलना: NFO की थीम से मेल खाते मार्केट में बाकी AMC के पहले से फंड मौजूद हों सकते है। नए फंड की तुलना आप पुराने से करके अपने इन्वेस्टमेंट निर्णय को बेहतर बना सकते है।

ऑफर डॉक्यूमेंट: किसी NFO के लॉन्च होने पर AMC उस से जुड़ा ऑफर डॉक्यूमेंट भी पब्लिश करती है। इस डॉक्यूमेंट में NFO की थीम, ऑबजेक्टिव, एसेट क्लास और मार्केट डाटा आदि के आधार पर जरूरी एनालिसिस दिया गया होता है। इस ऑफर डॉक्यूमेंट को पड़कर आप NFO के बारे में सभी जरूरी जानकारी को जुटा सकते है।

NFO और IPO में अंतर – NFO aur IPO me antar

जब कोई AMC पहली बार एक म्यूचुअल फंड स्कीम को लॉन्च और सब्सक्रिप्शन के लिए ऑफर करती है तो उसे NFO कहते है इसके विपरित जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर आम लोगो की इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग के लिए स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट करवाती है तो उसे IPO यानी की Initial public offer कहते है।

NFO में म्यूचुअल फंड के यूनिट खरीदे जाते है जिन्हें फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, वहीं IPO मे कंपनी के शेयर्स में इन्वेस्ट किया जाता है जिसके पीछे का कारण कंपनी द्वारा अपने एस्पेंशन और कर्जों के भुगतान के लिए कैपिटल का जुटाना हो सकता है।

NFO की रिटर्न इसके द्वारा इन्वेस्ट किए जा रही एसेट और फंड मैनेजर की काबिलियत पर निर्भर करती है वहीं IPO की रिटर्न कंपनी के परफॉर्मेंस और वैल्यूएशन पर निर्भर करती है।

AMC जब कभी नई म्यूचुअल फंड स्कीम लॉन्च करना चाहे तो ऐसा वह NFO के जरिए कर सकतीं है वहीं किसी कंपनी के लिए IPO एक वन टाइम प्रोसेस है जिसके जरिए वह प्राइवेट से पब्लिक में तब्दील हो जाती है।

NFO के फायदे – NFO ke fayde

NFO आमतौर पर नए थीम और स्ट्रेटजी के आधार पर लॉन्च किए जाते है। यह हमारे लिए इन्वेस्टमेंट का एक नया अवसर लेकर आता है।

NFO में म्यूचुअल फंड के यूनिट फेस वैल्यू जो आमतौर पर 10 रुपए होती है, में इन्वेस्टमेंट के लिए उपलब्ध होते है। इस तरह इन्वेस्टर कम पैसों में शुरुआती फेस में म्यूचुअल फंड यूनिट खरीद सकते है।

NFO मार्केट की प्रेजेंट स्तिथि और सेंटीमेंट को ध्यान में रखकर लॉन्च किए जाते है। यह अक्सर मार्केट में पुराने चल रहे फंड से बेहतर परफॉर्म करने की क्षमता रखते है।

NFO के नुकसान – NFO ke nuksaan

पुराने म्यूचुअल फंड को हम उसके पास्ट परफॉर्मेंस और हिस्टोरिकल फैक्टर्स के आधार पर ट्रैक कर सकते है जो हमे सही इन्वेस्टमेंट निर्णय लेने में मदद करते है। लेकिन NFO के केस में फंड का कोई भी पुराना परफॉर्मेंस रिकॉर्ड नही होता जिस कारण इन्वेस्टमेंट निर्णय लेने में गलती भी हो सकती है।

NFO में लॉन्च किए जा रहे फंड के समान ही बाकी म्यूचुअल फंड हाउस के फंड पहले से ही मार्केट में हो सकते है जिनको हिस्टोरिक डाटा के आधार पर एनालाइज करना आसान होता है।

NFO की फ्यूचर परफॉर्मेंस और सफलता की गारंटी नहीं होती जो इन्वेस्टर को मिलने वाली रिटर्न के लिए अच्छा नहीं है।

यह भी जानिए: IPO kya hota hai – किसी IPO में कैसे करे इन्वेस्ट। पूरी जानकारी

निष्कर्ष – Conclusion

AMC एक नई म्यूचुअल फंड स्कीम को NFO के जरिए लांच करती है और लोगो के लिए यह एक फ्रेश थीम और पर चल रही मार्केट स्तिथि के अनुसार इन्वेस्टमेंट करने का इन बेहतरीन अवसर होता है। NFO के दौरान इन्वेस्टर म्यूचुअल फंड के यूनिट फेस वैल्यू जो आमतौर पर 10 रुपए होती है, में खरीद सकते है। NFO में इन्वेस्टमेंट आपको लॉन्ग टर्म में अच्छी रिटर्न दे सकता है लेकिन इसमें इन्वेस्टमेंट करने से पहले अपने ऑब्जेक्टिव, रिस्क और कैपिटल से जुड़े तथ्यों की जांच कर लेना भी जरूरी है।

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