इंश्योरेंस लेना आज के समय में जरूरी हो चुका है और यह हमे और हमारे अपनों का भविष्य सुरक्षित करने में एक अहम भूमिका निभाता है। लोगो में जागरूकता बढ़ने के साथ उन्हें इंश्योरेंस के महत्व का भी पता लग रहा है। यहां इस बात पर ध्यान देना जरूरी है की हम अपनी जरूरत के मुताबिक इंश्योरेंस तो ले लेते है लेकिन उससे जुड़ी शर्तो और टर्म पर ध्यान नहीं देते जिन्हे जानना हमारे लिए उतना ही जरूरी हैं जितना की इंश्योरेंस लेना। इंश्योरेंस प्लान में एक ऐसी ही महत्वपूर्ण टर्म है, PPT. PPT यानी की प्रीमियम पेमेंट टर्म। इसके अंतर्गत हमारे पास पेमेंट भरने की कई सारी ऑप्शन होती है जिन्हे हमे तब चुनना पड़ता है जब हम इंश्योरेंस को खरीद रहे हो। इस आर्टिकल “Premium Payment Term meaning in Hindi” के माध्यम से हम इसके कांसेप्ट और किस्मों को जानते हुए यह भी समझेंगे की इसकी किस किस्म का चुनाव करना हमारे लिए फायदेमंद है।
प्रीमियम पेमेंट टर्म क्या है – Premium Payment Term meaning in Hindi
प्रीमियम पेमेंट टर्म या PPT उस टाइम पीरियड को कहते हैं जिसके दौरान हमे एक लाइफ इंश्योरेंस प्लान के प्रीमियम भरने पढ़ते है। आमतौर पर हम यहीं देखते हैं की इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान हमे इंश्योरेंस प्लान के पूरे टेन्योर तक करना पड़ता है, लेकिन इलावा भी हमारे पास और ऑप्शन है जिनका चुनाव हम पॉलिसी को खरीदते समय कर सकतें है।
उदाहरण के लिए यदि आप एक टर्म इंश्योरेंस प्लान 40 साल के लिए लेते है तो आपके पास यह ऑप्शन होती है की आप इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान 40 साल के लिए कर सकते है, कुछ सालों के लिए कर सकते है या एक ही बार में कर सकतें है। अलग अलग इंश्योरेंस प्लान की प्रिमियम पेमेंट टर्म को जानने के लिए आप ऑनलाइन ब्रोकर जैसे की policybazaar और insurancedekho आदि की मदद ले सकते है।
प्रीमियम पेमेंट टर्म कितनी तरह की होती है – Premium Payment Term kitni tarah ki hoti hai
PPT का कांसेप्ट मुख्य रूप के टर्म और लाइफ इंश्योरेंस के केस में इस्तेमाल में लाया जाता है। जब भी आप एक टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हो तो आपके पास प्रीमियम पेमेंट के लिए 3 तरह की ऑप्शन होती है जिनका चुनाव आप अपनी आर्थिक स्तिथि के अनुसार कर सकते है। यह है:
सिंगल प्रीमियम
रेगुलर प्रीमियम
लिमिटेड प्रीमियम
सिंगल प्रीमियम: सिंगल प्रीमियम, जैसा की नाम से ही जाहिर है इसमें पूरी पॉलिसी टर्म के प्रीमियम का भुगतान एक ही बार में कर दिया जाता है। इसमें पॉलिसी होल्डर को हर महीने या साल प्रीमियम पेमेंट करने की चिंता नहीं करनी पड़ती और लाइफ कवर भी पॉलिसी के पूरे टेन्योर के दौरान बना रहता है। उदाहरण के लिए अगर आप 40 साल के लिए टर्म इंश्योरेंस कवर लेते है तो सिंगल प्रीमियम के तहत आप पूरे 40 साल का प्रीमियम एक ही बार में भर सकते है जबकि पॉलिसी पूरे 40 साल तक ही वैध रहती है।
रेगुलर प्रीमियम: रेगुलर प्रीमियम, PPT की सबसे ज्यादा और आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली किस्म है। इसके अंतर्गत ली गई इंश्योरेंस पॉलिसी के पूरे टेन्योर के दौरान प्रीमियम की पेमेंट करनी पड़ती है। यह पेमेंट मंथली, ईयरली या हाफ ईयरली की जा सकती है। उदाहरण के लिए अगर आपने 40 साल के लिए टर्म प्लान लिया है तो आपके पास इस बात की ऑप्शन होती है की आप पूरे 40 साल के लिए प्रीमियम का भुगतान हर साल, हाफ ईयरली या हर महीने कर सकते है।
लिमिटेड प्रीमियम: लिमिटेड PPT में प्रीमियम का भुगतान कुछ निश्चित सालो के लिए किया जाता है। आमतौर पर इसकी फ्रीक्वेंसी 5 से 15 सालो के बीच में होती है। जैसे की अगर आप 10 साल की PPT का चुनाव करते है तो 40 साल के प्लान के लिए बना प्रीमियम आप 10 सालो में भर सकते है। 10 सालो के बाद आपको कोई भी प्रीमियम नही भरना पड़ता लेकिन पॉलिसी कवर पूरे 40 साल तक बना रहता है।
सही प्रीमियम पेमेंट टर्म कैसे चुने – Sahi Premium Payment Term kaise chune
सही PPT का चुनाव करना हमारी फाइनेंशियल कंडीशन और इनकम सोर्स के ऊपर बहुत हद तक निर्भर करता है। जैसे की रेगुलर प्रीमियम उन लोगो के लिए सही है जो:
- प्रोफेशनल है और सैलरी के तौर पर एक रेगुलर इनकम अर्जित करते है।
- जिनके पास अपनी रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त समय हैं।
- जो लिमिटेड इनकम होने के कारण एक साथ प्रीमियम को भरना अफोर्ड नही कर सकते।
लिमिटेड प्रीमियम ऑप्शन उन लोगो के लिए उपयुक्त है जो:
- अपना बिजनेस चलाते है।
- जिनकी सालाना इनकम तो बहुत है लेकिन समय की कमी रहती है।
- जिनका करियर या नौकरी का कार्यकाल कम होता है जैसे की खिलाड़ी, फौजी या जिनकी रिटायरमेंट नजदीक है।
इसी तरह सिंगल प्रीमियम का चुनाव वह लोग कर सकते है:
- जिनके पास एकमुश्त पैसा पड़ा हुआ है और सिर्फ परिवार की एडिशनल फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए प्लान ले रहे है।
- पेंशन प्लान के केस में जहां आप एक बार में ही पेमेंट करने पर रेगुलर पेंशन को शुरू करवा सकते है।
पॉलिसी टर्म क्या है – Policy Term kya hai
पालिसी टर्म उस टाइम पीरियड के कहते है जिसके दौरान एक इंश्योरेंस पॉलिसी एक्टिव रहती है। यानी की वह समय कार्यकाल जिसके दौरान एक पॉलिसी के बेनिफिट वैध रहते है और हम उन्हे क्लेम कर सकते है। एक बार पॉलिसी टर्म के एक्सपायर हो जाने के बाद उसका कोई भी बेनिफिट एप्लीकेबल नही रहता। जैसे की अगर आपने 30 साल के लिए कोई टर्म इंश्योरेंस ली है तो आप उसका कोई भी क्लेम 30 साल के बाद नहीं ले सकते। पालिसी टर्म का चुनाव सिर्फ पॉलिसी को खरीदते वक्त हीं किया जा सकता है।
पॉलिसी टर्म और प्रीमियम पेमेंट टर्म में फर्क – Policy Term aur Premium Payment Term me fark
पालिसी टर्म | प्रीमियम पेमेंट टर्म |
एक इंश्योरेंस प्लान के पूरे टेन्योर को पॉलिसी टर्म कहते है। इसके दौरान पॉलिसी के सभी बेनिफिट पॉलिसी होल्डर के लिए एप्लीकेबल होते है। | प्रीमियम पेमेंट टर्म उस समय को कहते है जिसके दौरान पॉलिसी होल्डर इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम को भरता है। |
पालिसी टर्म लेते वक्त हम जितने समय का चुनाव करते है उतने सालो के लिए हमे इंश्योरेंस कवर मिलता है। | इंश्योरेंस कवर की प्रीमियम पेमेंट टर्म पर कोई निर्भरता नही होती। हम रेगुलर, लिमिटेड और सिंगल पेमेंट में से किसी एक का चुनाव कर सकते है। |
पालिसी टर्म के खत्म हो जाने पर इंश्योरेंस कम्पनी की इंश्योरेंस लेने वाले व्यक्ति को किसी तरह का क्लेम या बेनिफिट देने की जिम्मेवारी नही होती। | प्रीमियम पेमेंट टर्म के खत्म होने पर यह जरूरी नहीं की पॉलिसी भी खत्म हो जाए। चुनी गई टर्म के आधार पर पॉलिसी के बेनिफिट प्रीमियम भरने के बाद भी लागू रहते है। |
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निष्कर्ष – Conclusion
प्रीमियम पेमेंट टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय ध्यान में रखने योग्य बात है। आमतौर पर इंसान रेगुलर पेमेंट का चुनाव करता है लेकिन आप अपनी सहूलियत और फाइनेंशियल कंडीशन के अनुसार अन्य ऑप्शन का चुनाव भी कर सकते है जिनमे लिमिटेड पेमेंट, रेगुलर पेमेंट और सिंगल पेमेंट शामिल है।