Stop Loss meaning in Hindi – जानिए स्टॉप लॉस क्या होता है और क्यों जरूरी है

ट्रेडिंग में सफल होने का एक मूल मंत्र है अपने लॉस को कंट्रोल में रखना। आपके हर ट्रेड में शामिल रिस्क डायरेक्टली उसमे होने वाले लॉस से जुड़ा होता है। जितना बड़ा रिस्क लेंगे उतना ही ज्यादा प्रॉफिट टारगेट होगा लेकिन लॉस होने की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है। इसलिए किसी भी ट्रेड में कदम रखने से पहले उसमे हो सकने वाले लॉस को कैलकुलेट करना बहुत जरूरी है और इस लॉस को कंट्रोल में रखने का भी एक तरीका है जिसे स्टॉप लॉस कहते है। अगर आप ट्रेडिंग में एक्टिव हैं या इसे करने की सोच रहे है तो स्टॉप लॉस के बारे में जान लेना आपके लिए बहुत जरूरी है। आज के आर्टिकल “Stop loss meaning in Hindi” के जरिए हम आपको स्टॉप लॉस के बारे में जानकारी देने और इसके महत्व से अवगत कराने की कोशिश करेंगे।

Stop Loss meaning in hindi
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स्टॉप लॉस क्या होता है – Stop Loss meaning in Hindi

स्टॉप लॉस एक buy या sell ऑर्डर होता है जो ट्रेडर को लिए गए ट्रेड में एक लिमिट से ज्यादा नुकसान होने से बचाता है। यह ऑर्डर ट्रेडर के लॉस को लिमिट में रखकर उसे मार्केट की वोलेटिलिटी के कारण होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करता है।

स्टॉप लॉस ऑर्डर को ट्रेडर अपने ट्रेड में लिए गए रिस्क के मुताबिक सेट कर सकता है। उदाहरण के लिए एक ट्रेडर ने इंट्राडे बेसिस पर 100 रुपए में कुछ स्टॉक खरीदे है जिनका टारगेट प्राइस 106 रुपए है। ट्रेडर इस ट्रेड पर 3% से ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहता इसलिए वह स्टॉप लॉस ऑर्डर 97 रुपए में सेट कर सकता है। यह एक एडवांस ऑर्डर होता है जिसे आप ट्रेड लेते समय या उसे लेने के बाद सेट कर सकते है। अगर ट्रेड आपके पक्ष में जायेगा तो आप प्रॉफिट को बुक कर सकते है, लेकिन जब ट्रेड विपरीत दिशा में जाए तो 97 का प्राइस आते ही स्टॉप लॉस ऑर्डर के कारण आपके शेयर अपने आप ही बिक जायेंगे। इस तरह ट्रेड में लॉस होने की संभावना बस 3% तक ही सीमित रह जायेगी।

स्टॉप लॉस क्यों जरूरी है – Stop Loss kyu jaruri hai

शेयर मार्केट अनिश्चितता से भरा हुआ है और यहां वहीं लंबे समय तक टिक सकता है जो अपने कैपिटल को लॉस से बचाए रखता है। लॉस को कंट्रोल करने के लिए अपनी रिस्क स्ट्रेटजी को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। जब आपको इस बात की क्लैरिटी होगी की आप मैक्सिम एक ट्रेड में कितना लॉस ले सकते है और कितने प्राइस में आपको ट्रेड बंद कर देना है तभी आप एक अच्छे ट्रेडर बन पाएंगे।

यहां आपका सवाल यह हो सकता है की बतौर एक एक्टिव ट्रेडर जब तक हम ट्रेड में है तब तक उसमे नजर रख सकते है और जैसे ही प्राइस हमारे लॉस के दायरे में आए हम उसे बेच सकते है, तो ऐसे में स्टॉप लॉस की क्या जरूरत है? ऐसे में हमे यह जान लेना भी जरूरी है की स्टॉक एक्सचेंज में स्टॉक का प्राइस हर सेकेंड चेंज होता है और कई बार वह तेजी बदलता हुआ पलक झपकते ही आपके सेट किए प्राइस को पार कर जाता हैं और आपको ऑर्डर प्लेस करने का मौका नही मिल पाता। अगर आप ऑर्डर प्लेस कर भी देते है तो वह एक्जीक्यूट नही हो पाता। ऐसे में स्टॉप लॉस इस बात की तस्दीक करता है की ऑर्डर आपके द्वारा सेट की गई लिमिट पर ही एक्जीक्यूट हो।

स्टॉप लॉस लगाने का एक दूसरा बड़ा कारण है ट्रेडर का माइंडसेट और डिसिप्लिन। कई बार ट्रेड में स्टॉक का प्राइस आपके सेट की गई लिमिट पर भी आ जाता और आपके पास मौका भी होता हैं उससे निकल जाने का लेकिन अपने लालच और इस उम्मीद के चलते की प्राइस दुबारा रिकवर होगा, हम ऑर्डर प्लेस नही करते और हमे जितने लॉस की आशंका थी उससे कई ज्यादा लॉस हो जाता है। इसलिए यहां पर भी स्टॉप लॉस लगाना बहुत जरूरी है क्युकी यही हमारी ट्रेडिंग और माइंडसेट में डिसिप्लिन लाने का काम करता है।

स्टॉप लॉस कैसे लगाए – Stop Loss kaise lagaye

स्टॉप लॉस ऑर्डर को लगाना buy और sell ऑर्डर को लगाने के समान ही बहुत आसान है। अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में हम ट्रेड लेते समय या उसके बाद आसानी से स्टॉप लॉस ऑर्डर को लगा सकते है। मान लीजिए आप ने abc कम्पनी के 50 स्टॉक 100 रुपए में खरीदे है। आप चाहते है की किसी भी हाल में आप इसमें 5% से ज्यादा नुकसान ना लें। इस केस में आप स्टॉप लॉस ऑर्डर दो तरह से प्लेस कर सकते है और यही दो स्टॉप लॉस ऑर्डर की मुख्य किस्में है:

Stop Loss Limit – SL Price + Trigger Price

Stop Loss Market – Only Trigger Price

Stop Loss Limit: इस तरह का स्टॉप लॉस ऑर्डर ट्रिगर प्राइस के साथ प्लेस किया जाता है और ट्रिगर प्राइस हमेशा स्टॉप लॉस प्राइस से ज्यादा या उसके बराबर ही होना चाहिए (शॉर्ट सेलिंग के केस में कम)। ऊपर बताए गए केस में अगर आप चाहते है की आपके स्टॉक 95 रुपए में सेल हो जाए तो इसके लिए आप ट्रिगर प्राइस 95.50 रख सकते है। जब स्टॉक का प्राइस 95.50 पर आयेगा तो सेल लिमिट ऑर्डर एक्सचेंज को भेज दिया जाएगा और 95 रुपए पर आने तक वह सेल कर दिया जाएगा। सेलिंग प्राइस 95.50 से 95 के बीच या उसके जितना हो सकता है, लेकिन उस से कम नही होगा।

Stop Loss Market: स्टॉप लॉस मार्केट के केस में सिर्फ ट्रिगर प्राइस को सेट करने की जरूरत पड़ती है। आप जिस भी प्राइस पर स्टॉप लॉस लगाना चाहें उसका ऑर्डर लगा सकते है। जैसे की अगर आप 95 रुपए पर स्टॉप लॉस लगाते है तो जब भी प्राइस 95 को हिट करेगा तभी ऑर्डर एक्सचेंज को भेजा जाएगा और 95 के नजदीक का जो भी प्राइस मार्केट में होगा उसी पर आपकी पोजीशन क्लोज हो जायेगी।

स्टॉप लॉस आर्डर स्ट्रेटजी – Stop Loss order stratergy 

अब हमने यह जान लिया है की स्टॉप लॉस लगाना क्यों जरूरी है और स्टॉप कैसे लगाते है, तो यह भी जान लेते है की स्टॉप लॉस को कैलकुलेट कैसे करे। स्टॉप लॉस को लगाते समय हमे इस बात का ध्यान रखना है की यह एक ऐसे प्राइस पे लगाया जाए जहां पर यह मार्केट में आम वोलेटिलिटी के कारण होने वाली प्राइस मूवमेंट पर हिट ना हो। यानी की वह लेवल जहां पर ट्रेड में लॉस भी कम से कम रहे और ऑर्डर आसानी से ट्रिगर भी ना हो। स्टॉप लॉस प्राइस को निर्धारित करने के लिए हम दो तरीको का इस्तेमाल कर सकते है। वह है:

परसेंटेज बेस्ड

पोर्ट और रेजिस्टेंस बेस्ड

परसेंटेज बेस्ड: इस मेथड के अनुसार हम स्टॉप लॉस को एक फिक्स्ड परसेंटेज के आधार पर कैलकुलेट करते है। यानी की एक ट्रेड में हम कितने परसेंट लॉस को ले सकते है। उदाहरण के लिए अगर अपने 100 स्टॉक 500 रुपए में ले रखे है और आप चाहते है की इसपे अपको 10% से ज्यादा नुकसान ना हो तो आप स्टॉक लॉस को 450 के लेवल पर सेट कर सकते है। जब स्टॉक का प्राइस 450 या उससे नीचे जायेगा तो स्टॉक ऑटोमेटिकली सेल हो जायेंगे।

स्पोर्ट और रेजिस्टेंस बेस्ड: जब भी आप कोई ट्रेड लेते हो तो उसे चार्ट पर किसी पैटर्न या प्राइस एक्शन के आधार लेते हो। जैसे की प्राइस का किसी रेजिस्टेंस लेवल को तोड़ना या किसी सपोर्ट लेवल से रिवर्स होना। इन केस के आप स्टॉप लॉस उस स्पोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल के आसपास लगा सकते है ताकि जब ट्रेड आपकी प्लानिंग अनुसार काम ना करे तो ट्रेड अपने आप ही क्लोज हो जाए। आप इसे नीचे दिए गए चार्ट के माध्यम से समझ सकतें है।

Stop loss strategy Image source: Trading View

स्टॉप लॉस के फायदे – Stop Loss ke fayde

स्टॉप लॉस का सबसे बड़ा फायदा यह है की यह ट्रेडर के लॉस को लिमिट में रखकर उसके रिस्क को कम करने का काम करता है। इसकी वजह से मार्केट में अचानक आई गिरावट या तेजी से होने वाले नुकसान से बचने में हमे मदद मिलती है। यह एक ट्रेडर में डिसिप्लिन को बढ़ाने का भी काम करता है। बिना स्टॉप लॉस के ट्रेडर ट्रेड से सही समय में बाहर नही निकल पाता या एवरेजिंग का सहारा लेने लग जाता है जो उसके कैपिटल और समय दोनो के लिए सही नही है। स्टॉप लॉस हमे ट्रेडिंग में भावनाओ के साथ ना चलकर एक रूल बेस्ड माइंडसेट पर काम करने में मदद करता है।

स्टॉप लॉस के नुकसान – Stop Loss ke nuksaan

जहां स्टॉप लॉस ट्रेडिंग में आपके लॉस को सीमित करता है वहीं कई बार ये आपके हो सकने वाले प्रॉफिट को भी लॉस बदल सकता है। कई बार मार्केट में ज्यादा वोलेटिलिटी होने के कारण स्टॉक का प्राइस पहले आपके स्टॉप लॉस को हिट कर देता है लेकिन वहीं बाद में टारगेट से ज्यादा प्राइस तक भी चला जाता है। ऐसे में आपकी स्ट्रेटजी या ट्रेडिंग प्लान कितना भी सही क्यों ना हो एक फिक्स्ड स्टॉप लॉस होने के कारण आपको फायदे को जगह नुकसान हो जाता है।

यह भी जाने: Share Market me nuksaan se Bachne ke tips – शेयर मार्केट में नुक्सान के कारण और बचाव

निष्कर्ष – Conclusion

स्टॉप लॉस का इस्तेमाल हमे ट्रेडिंग में ज्यादा लॉस से बचाने में एक अहम भूमिका निभाता है। नए ट्रेडर को खासकर इसका इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। हम ट्रेडिंग में तभी सफल हो पायेंगे जब हमारे पास ट्रेडिंग के लिए कैपिटल होगी और इसलिए कैपिटल को लॉस से बचाना हमारे लिए जरूरी बन जाता है। हालांकि स्टॉप लॉस इस बात की गारंटी नहीं देता की आप हमेशा मुनाफे में ही रहेंगे लेकिन हमारे मुनाफे को बरकरार रखने में जरूर यह मदद करता है।

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