FMP full form in hindi – जानिए म्यूचुअल फंड में FD यानी FMP के बारे में

म्यूचुअल फंड में FD, यानी की ऐसे म्यूचुअल फंड प्लान जिनमे बैंक FD की तरह ही कई सालो का लॉक इन पीरियड होता है और एक फिक्स्ड या कम रिस्क वाली स्टेबल रिटर्न के साथ आते है। म्यूचुअल फंड में ऐसे प्लान की एक अलग कैटेगरी है, जिन्हे FMP के नाम से जाना जाता है। ’FMP full form in hindi’ इस आर्टिकल में हम इन प्लान के सभी पहलुओं को जानेंगे और इस बात पर भी ध्यान देंगे की इनमे कब और क्यों इन्वेस्ट करना चाहिए।

FMP full form in hindi

FMP क्या होता है – FMP full form In hindi

FMP यानी Fixed Maturity Plan

यह एक क्लोज एंडेड डेब्ट म्यूचुअल फंड होता है, जिसमे हम एक फिक्स्ड टाइम पीरियड के लिए इन्वेस्ट कर सकते है। FMP के तहत इन्वेस्टर एक निश्चित राशि को इन्वेस्ट करते हैं और इसकी वापसी फिक्स्ड टाइम पीरियड के बाद मैच्योरिटी पर की जाती है। यह इन्वेस्टमेंट प्लान आमतौर पर 1 से 3 साल का होता है और इसमें मिलने वाली इंडिकेटिव रिटर्न 7% या उससे ज्यादा हो सकती है।

FMP कम रिस्क वाले इन्वेस्टमेंट ऑप्शन में से एक है जिसमे आप सिर्फ इसके सब्सक्रिप्शन पीरियड यानी की NFO के दौरान ही इन्वेस्ट कर सकते है। यह एक फिक्स्ड इंटरवल, क्लोज एंडेड स्कीम होती है जिन्हे आप FD के विकल्प के तौर पर भी देख सकते है। इसमें इन्वेस्टमेंट करके आप अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस कर सकते है और अगर 3 साल की स्कीम की चुनाव किया जाए तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में आप इंडेक्सेशन का बेनिफिट भी ले सकते है।

FMP की विशेषताएं – FMP ki Visheshtaye

क्लोज एंडेड स्कीम: FMP क्लोज एंडेड स्कीम होती है, यानी इनमे तभी इन्वेस्ट किया जा सकता है जब एक AMC इन्हे पहली बार NFO के जरिए सब्सक्रिप्शन के लिए खोलती है। एक बार सब्सक्रिप्शन खत्म हो जाने पर इनमे इन्वेस्ट नही किया जा सकता और यह अपनी मैच्योरिटी तक लॉक इन में रहती है।

लॉक इन पीरियड: जैसा की पहले ही बताया गया हैं की FMP में लॉक इन पीरियड होता है। यह एक फिक्स्ड टाइम पीरियड जैसे की 1 साल, 3 साल या 5 साल के लिए इश्यू की जाती है। इस अवधि के दौरान इनमे कोई भी इन्वेस्टमेंट या रिडेंप्शन नहीं ली जा सकती और मैच्योरिटी डेट आने पर इन्वेस्टर को पूरा पैसा रिटर्न समेत उसके बैंक अकाउंट में लौटा दिया जाता है।

इन्वेस्टमेंट एसेट: FMP डेब्ट स्कीम को कैटेगरी में आती है यानी की फंड मैनेजर इनमे इनकम जेनरेट करने के लिए डेब्ट इंस्ट्रूमेंट जैसे गवर्नमेंट और कॉरपोरेट बॉन्ड, कमर्शियल पेपर, ट्रेजरी बिल और डिबेंचर आदि में इन्वेस्ट करते है, जिनका मैच्योरिटी टाइम भी स्कीम के मैच्योरिटी टाइम के बराबर ही होता है। इस कारण से इनमे मिलने वाली रिटर्न इक्विटी म्यूचुअल फंड से कम लेकिन स्टेबल होती है।

कम रिस्क: डेब्ट मार्केट में इन्वेस्टमेंट और स्टेबल रिटर्न होने के कारण FMP एक कम रिस्की इन्वेस्टमेंट ऑप्शन में आते है। इन पे मिल सकने वाली इंडिकेटिव रिटर्न को NFO या सब्सक्रिप्शन के दौरान ही बता दिया जाता है।

FMP कैसे काम करता है – FMP kaise kaam karta hai

इन्वेस्टमेंट पीरियड: FMP में इन्वेस्टमेंट करने से पहले आपको कितने समय के लिए इन्वेस्टमेंट करनी है, इस बात की जानकारी होनी चाहिए। FMP में आपको एक फिक्स्ड टाइम पीरियड के लिए स्कीम का चुनाव करना होता है, जैसे 1 साल, 3 साल, या 5 साल। इस टाइम के दौरान आपका पैसा इन्वेस्टेड रहता है और उसमे से कोई भी विड्रॉल नही ली जा सकती। इसलिए FMP में सिर्फ वही पैसा इन्वेस्ट करे जिनकी अपको शॉर्ट टर्म में जरूरत नहीं है।

पोर्टफोलियो की संरचना : एक बार आपका पैसा FMP में इन्वेस्ट हो जाने पर इसे फंड मैनेजर द्वारा डेब्ट इंस्ट्रुमेंट्स जैसे सरकारी बॉन्ड्स, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स, और अन्य फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज़ में इनकी रेटिंग और रिस्क को ध्यान में रखते हुए इन्वेस्ट किया जाता है। ये इंस्ट्रुमेंट फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पे ऑपरेट करते हैं इसी कारण FMP में मिलने वाली रिटर्न कम रिस्क के साथ आती है और अन्य इन्वेस्टमेंट ऑप्शन की तुलना में स्टेबल होती है।

लॉक इन पीरियड : FMP में एक लॉक इन पीरियड होता है, यानी की आप अपना इन्वेस्ट किया गया पैसा लॉक इन पीरियड के दौरान विड्रा नहीं कर सकते। इससे आपका पैसा फिक्स्ड रहता है और मार्केट वोलेटिलिटी से कम प्रभावित होता है।

रिटर्न : FMP की मैच्योरिटी डेट आने पर AMC द्वारा इन्वेस्टर को सूचित कर दिया जाता है। मैच्योरिटी हो जाने पर इन्वेस्टर का पैसा रिटर्न समेत उसके रजिस्टर्ड बैंक अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाता है।

FMP में कैसे करें इन्वेस्ट – FMP me kaise karen invest

किसी भी म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने की तरह FMP में इन्वेस्ट किया जा सकता है। यहां पर इस बात का ध्यान रखना होगा की FMP के क्लोज एंडेड फंड होने के कारण इन्वेस्टमेंट तभी की जा सकती है जब इसे सब्सक्रिप्शन के लिए खोला जाता है। किसी भी स्कीम को पहली बार सब्सक्रिप्शन के लिए NFO यानी के न्यू फंड ऑफर के दौरान खोला जाता है।

लगभग हर AMC समय समय पर अपने नए फंड लेकर आती है जिनमे फंड के यूनिट उसकी फेस वैल्यू, जो की आमतौर पर 10 रुपए होती है, में खरीद के लिए ऑफर किए जाते है। FMP को भी इन्ही के जरिए आम लोगो की इन्वेस्टमेंट के लिए खोला जाता है जहां पर कोई भी इन्वेस्टर ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से इनमे इन्वेस्ट कर सकता है।

FMP में ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट करने के लिए आप किसी भी ऑनलाइन ब्रोकर, रजिस्ट्रार या AMC की अपनी वेबसाइट की मदद ले सकते है। इनमे से कुछ है, groww, etmoney, mycams आदि। किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करने से पहले आपका KYC बना होना चाहिए। अगर आपका KYC नही भी बना है तो आप इन प्लेटफार्म पर ekyc के लिए अप्लाई कर सकते है या ऑफलाइन KYC का फॉर्म भरकर सबमिट कर सकते है।

इन सभी प्रोसेस के पूरा जाने पर आप आसानी से FMP के NFO में अप्लाई कर सकते है। जिसके बाद लगभग 5 दिनों के बाद आपको म्यूचुअल फंड के यूनिट अलॉट कर दिए जाते है।

FMP में किसे इन्वेस्ट करना चाहिए – FMP me kise invest karna chahiye

FMP एक कम रिस्क वाले डेब्ट म्यूचुअल फंड होते है। इनमे की गई इन्वेस्टमेंट की वैल्यू रोजाना NAV में बदलाव के अनुसार घटती या बढ़ती है। FMP आमतौर पर उन लोगों के लिए अच्छा ऑप्शन हो सकता है जो थोड़ा रिस्क उठा सकते है और FD से बेहतर रिटर्न चाहते है।

अगर आपका इन्वेस्टमेंट होराइजन शॉर्ट टर्म नही है, यानी की अपको अगर 1 या 3 सालो के बाद पैसे को जरूरत पड़ने वाली है तो भी आप FMP में इन्वेस्ट कर सकते है। लेकिन यहां पर इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है की लॉक इन होने के कारण आप अपने पैसे को सिर्फ मैच्योरिटी पर ही वापिस पा सकते है।

FMP के फायदे- FMP ke fayde

स्टेबल रिटर्न: FMP में इन्वेस्टमेंट फिक्स्ड टाइम पीरियड के लिए के लिए की जाती है, जिसकी इंडिकेटिव रिटर्न के बारे में पहले से ही ही आपको पता होता है। इसलिए यह उन लोगो के लिए बहुत फायदेमंद है, जो कम समय में, कम रिस्क के साथ एक फिक्स्ड रिटर्न वाले इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्टमेंट करना चाहते है। इसके इलावा इक्विटी मार्किट के मंदी के दिनों में यही इंस्ट्रूमेंट आपके कैपिटल को सुरक्षित और एक अच्छी रिटर्न जेनरेट करने का बढ़िया साधन हो सकते है।

कम एक्सपेंस रेश्यो: FMP का एक्सपेंस रेश्यो बाकी म्यूचुअल फंड प्लान की तुलना में कम होता है। एक्सपेंस रेश्यो यानी की वह चार्ज जो एक म्यूचुअल फंड हाउस स्कीम को मैनेज करने के बदले में इन्वेस्टर से चार्ज करता है। इसके कम होने से आपको मिलने वाली रिटर्न में भी बढ़ोतरी होती है।

रिस्क मैनेजमेंट: FMP को प्रोफेशनल फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है जिनका मुख्य उद्देश्य फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट करके एक अच्छी रिटर्न को जेनरेट करना होता है। क्युकी यह अच्छी और स्टेबल प्राइवेट और सरकारी कम्पनी की सिक्योरिटी में ही इन्वेस्ट करते है, इस कारण इन्वेस्टमेंट में शामिल रिस्क काफी हद तक कम होता है।

FD से बेहतर रिटर्न: FMP में मिलने वाली रिटर्न किसी भी अन्य फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट जैसे की बैंक FD, RD, PPF आदि से अच्छी होती है।

कम रिस्क: FMP में शामिल रिस्क इक्विटी म्यूचुअल फंड की तुलना में काफी कम होता है, इसलिए वह इन्वेस्टर जो कम रिस्क में एक बेहतर रिटर्न चाहते है, उनके लिए यह एक बढ़िया ऑप्शन हो सकता है।

FMP के नुकसान – FMP ke nuksaan

लिक्विडिटी और लॉक इन: FMP में लॉक इन पीरियड होता है, जिससे आपको अपने पैसे को फिक्स्ड टाइम तक इन्वेस्ट रहने देने की जरूरत होती है। अगर आपको इमर्जेंसी में पैसे चाहिए तो आपको इंतजार करना पड़ता है। हालाकि FMP सेकेंडरी मार्केट यानी की स्टॉक एक्सचेंज में अलॉटमेंट के बाद ट्रेड होती है, लेकिन इसमें फ्लेक्सिबिलिटी और लिक्विडिटी की कमी होने के कारण यह आसानी से इनकैश नही हो पाती।

इंटरेस्ट रेट रिस्क: FMP में इंटरेस्ट रेट रिस्क शामिल होता है। आपके द्वारा FMP में इन्वेस्ट किया गया पैसा फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट के जरिए रिटर्न जेनरेट करता है, जो मार्किट और इकोनॉमिक परिस्थिति से प्रभावित होती है। अगर मार्किट में इंटरेस्ट रेट्स बढ़ जाते हैं, तो आपका रिटर्न कम हो सकता है।

क्रेडिट रिस्क: FMP में आपका पैसा कॉर्पोरेट बॉन्ड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज़, या अन्य डेब्ट इंस्ट्रुमेंट्स में इन्वेस्ट होता है। अगर कोई कंपनी डिफॉल्ट कर देती है या उनकी फाइनेंशियल हालात खराब हो जाती है, तो आपका पैसा भी रिस्क में आ सकता है।

यह भी जाने: NFO kya hota hai – जानिए इसमें क्यों और कैसे करे इन्वेस्ट

निष्कर्ष – Conclusion

FMP में की गई इन्वेस्टमेंट आपके पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई और बैलेंस करने का काम करता है। यह कम रिस्क के साथ आपको एक अच्छी स्टेबल रिटर्न देता है, जिसकी बहुत से लोगो को जरूरत होती है। लेकिन इसमें इन्वेस्टमेंट से पहले भी कुछ बातो का ध्यान रखना जरूरी है, जैसे की आपका इन्वेस्टमेंट गोल क्या है, या फिर अगर आपको शॉर्ट टर्म में पैसों की जरूरत पढ़ने वाली है तो आप उन्हे लॉक इन इंस्ट्रूमेंट में डालने को बजाए किसी लिक्विड फंड में इन्वेस्ट सकते है।

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