कंपाउडिंग को दुनिया का आठवां अजूबा कहा जाता है और यह फाइनेंस के सबसे महत्वपूर्ण कांसेप्ट में से एक है। अगर आप अपनी इन्वेस्टमेंट से लॉन्ग टर्म में अच्छी वेल्थ अर्जित करना चाहते है तो कंपाउडिंग के सिद्धांत को समझना आपके लिए बहुत महत्पूर्ण बन जाता है। इसी लिए हमारे आज के आर्टिकल ’Compouding meaning in Hindi’ के माध्यम से हम अपको कंपाउडिंग के महत्व और यह कैसे काम करता है इसके बारे में अवगत कराने को कोशिश करेंगे।
कंपाउंडिंग क्या है – Compounding meaning in Hindi
कंपाउडिंग का मतलब होता हैं आपकी इन्वेस्टमेंट और उसके इंट्रेस्ट पर इंट्रेस्ट मिलना। कंपाउडिंग उस प्रोसेस को कहते है जिसमे आपकी इन्वेस्टमेंट की वैल्यू पर मिलने वाले इंट्रेस्ट के बाद बनी कुल वैल्यू पर ही आपको अगली बार इंट्रेस्ट मिलता है। ऐसा प्रोसेस आपके इन्वेस्टमेंट के पूरे टाइम पीरियड के दौरान चलता रहता है, और एक समय के बाद ऐसी स्तिथि में आ जाता है जहां इन्वेस्टमेंट की वैल्यू में बहुत तेजी से इजाफा होता है। यही कारण है की कंपाउडिंग के सिद्धांत में समय का बहुत महत्व होता है। जितने ज्यादा समय के लिए इन्वेस्टमेंट की जायेगी उतना या ज्यादा अच्छा हमे कंपाउडिंग का असर देखने को मिलेगा।
अगर आप पहले से इन्वेस्टिंग कर रहे है या फिर आगे करने की सोच रहे है तो इस बात का ध्यान रखे की जिस भी साधन में आप अपने पैसे इन्वेस्ट कर रहे है वहां पर इंट्रेस्ट कंपाउडिंग हो यानी की अपको सिंपल रिटर्न को बजाए कंपाउंड रिटर्न का फायदा मिले। स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट या फिर म्यूचुअल फंड में SIP जैसे साधनों में की गई इन्वेस्टमेंट पर कंपाउंडिंग की मदद से लॉन्ग टर्म में बहुत अच्छी रिटर्न अर्जित की जा सकती है।
कंपाउडिंग कैसे काम करती है – Compounding kaise kaam karti hai
कंपाउडिंग का सिद्धांत आपकी इन्वेस्टमेंट को बहुत तेजी से बढ़ाने में मदद करता है। इसे एक उदाहरण की मदद से समझने की कोशिश करते है।
मान लीजिए आपने कहीं पर 100,000 रुपए इन्वेस्ट किए है और आपको हर साल उस पर 10% इंट्रेस्ट मिलना है। पहले साल के बाद आपको 100,000 पर इंट्रेस्ट मिलेगा 10,000 और आपकी इन्वेस्टमेंट की वैल्यू हो जायेगी 110,000 रुपए। अब जब दूसरे साल उस पर इंट्रेस्ट लगेगा वह 110,000 को अमाउंट पर लगेगा ना की 100,000 रुपए पर। यानी दूसरे साल के बाद कुल इंट्रेस्ट जो अपको मिलेगा वह है 11,000 और आपकी इन्वेस्टमेंट की वैल्यू हो जायेगी 121,000। इस तरह हर साल कंपाउडिंग से आपको मिलने वाले इंट्रेस्ट की वैल्यू बढ़ने के कारण आपका प्रिंसिपल अमाउंट भी बढ़ता जायेगा और जितना ज्यादा प्रिंसिपल होगा इंट्रेस्ट भी उतना ही ज्यादा मिलेगा। एक समय के बाद आपकी इन्वेस्टमेंट वैल्यू में इजाफा बहुत तेजी से होगा लेकिन यहां पर शर्त सिर्फ एक ही है की आपको लंबे समय तक इन्वेस्टमेंट को होल्ड करना है और किसी भी तरह से पैसे निकलवाने से बचना है।
कंपाउडिंग का फॉर्मूला – Compounding formula
कंपाउडिंग को कैलकुलेट करने के लिए नीचे दिए फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है:
A = P(1 + r/n)^(nt)
A: इन्वेस्टमेंट की भविष्य में वैल्यू
P: प्रिंसिपल अमाउंट
R: सालाना इंट्रेस्ट रेट
N: जितने समय के लिए अमाउंट कंपाउड होनी है
T: इन्वेस्टमेंट का टोटल टाइम पीरियड
ऊपर दिए उदाहरण अनुसार हमने 100,000 किसी साधन में 10 साल के लिए इन्वेस्ट किया है जहां पर हमे 10% कंपाउंड इंट्रेस्ट मिलना है। फॉर्मूले के अनुसार 10 साल बाद हमारी इन्वेस्टमेंट वैल्यू होगी:
A= 100000(1 + 10/12)^(12*10)
A= 259,374/-
कंपाउडिंग का महत्व – Compounding ka mahatav
हर किसी ने अपने जीवन के अलग अलग पड़ावों के लिए कुछ ना कुछ सेविंग करने के बारे में सोचा होता है। चाहे वह बच्चो की शादी हो, अपनी रिटायरमेंट हो या फिर घर या गाड़ी हीं खरीदनी हो। इन स्तिथियों के लिए हमे एकमुश्त पैसों की जरूरत पड़ती है जिसका इंतजाम एक दम से कर पाना हर किसी के लिए मुमकिन नही है। इसलिए जरूरी यही है की ऐसे उद्देश्य की पहले से प्लानिंग शुरू कर दी जाए और जितनी जल्दी आप प्लानिंग और इन्वेस्टिंग की शुरुआत करेंगे कंपाउडिंग का फायदा भी आपको उतनी ही जल्दी मिलेगा।
इन्वेस्टिंग में ध्यान रखने योग्य एक जरूरी बात यह भी है की उसपे मिलने वाली रिटर्न महंगाई की दर को मात दे पाती है या नही। हम सभी जानते है की समय बीतने के साथ साथ पैसे की वैल्यू घटती जाती है, यानी की आज जो सामान हमे 100 रुपए में मिल जाता है हो सकता है 5 साल बाद वही हमे 200 रुपए का मिले। इसी तरह अगर आपने भविष्य में घर खरीदने का सोचा है जिसकी आज कीमत 25 लाख है, हो सकता है, बढ़कर 32 लाख हो जाए। ऐसी स्तिथि में अगर आप अपने सपनो के घर के लिए पैसा बचा भी रहे है तो कंपाउडिंग इस बात को और पुख्ता करता है की हमारा इन्वेस्ट किया जा रहा पैसा महंगाई की दर के समान ही बढ़ता जाए और उससे बेहतर रिटर्न दे।
ऐसे ही तथ्यों को ध्यान में रखकर हम कह सकते है की कंपाउडिंग इन्वेस्टिंग की किसी भी फील्ड में चाहे वह स्टॉक हो, म्यूचुअल फंड हो या बैंक FD ही क्यों ना हो, में बहुत महत्वपूर्ण है।
कंपाउडिंग में मददगार टिप्स – Compounding me madadgaar tips
जल्द शुरुआत करे: कंपाउडिंग में आपको तभी फायदा मिलता है जब आप अपनी इन्वेस्टमेंट को एक लंबे समय के लिए होल्ड करके रखते है। इसलिए अगर आप अपनी रिटायरमेंट या किसी और पहले से सोचे गए उद्देश्य के लिए पैसों को बचाना चाहते हैं तो अपनी इन्वेस्टमेंट की शुरुआत जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी कर दें।
Invested रहे: कंपाउडिंग का असली कमाल तभी देखने को मिलता है जब आप अपनी इन्वेस्टमेंट में लगातार बने रहते है। इसलिए जरूरी है की आप बाजार के उतार चढ़ाव से घबरा कर अपनी इन्वेस्ट की गई राशि को ना निकाले और जितने समय तक हो सके उतने समय तक इन्वेस्टमेंट में बने रहे।
रिटर्न पर ध्यान दे: इस बात का ध्यान दे की आप जिस भी साधन में इन्वेस्ट कर रहे है उसके द्वारा दी जा रही रिटर्न इतनी हो की टैक्स कटने के बाद भी इनफ्लेशन की दर से मेल खाए। उदाहरण के लिए अगर आप एक बैंक FD में इन्वेस्ट कर रहे है जहां आपको 7% इंट्रेस्ट मिल रहा है। वैसे तो देखने पर यही लगेगा की 7% इंट्रेस्ट उपयुक्त है लेकिन इस इंट्रेस्ट पर टैक्स भी एप्लिकेबल होगा और टैक्स कटने के बाद यह रिटर्न 7% नहीं रह जायेगी। इसलिए ऐसे साधन में इन्वेस्ट करे जो आपको फिक्स्ड रिटर्न से ज्यादा रिटर्न दे ताकि टैक्स कटने के बाद भी आपके पास एक अच्छी राशि जमा हो पाए।
सही इन्वेस्टमेंट का चुनाव: जैसा की पहले ही बताया गया है अच्छी रिटर्न पाने के लिए ऐसे साधन में इन्वेस्ट करे जो आपको रिटर्न भी ऐसी दे जो लॉन्ग टर्म में महंगाई को मात दे पाए। अगर कुछ रिस्क ले सकते है तो म्यूचुअल फंड या स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट कर सकते है और कम रिस्क लेने वालो के लिए बॉन्ड आदि साधन उपयुक्त हो सकते है।
लॉन्ग टर्म नजरिया रखे: इन्वेस्टिंग में अगर आप उतरते है तो हमेशा लॉन्ग टर्म नजरिया लेकर चले क्युकी म्यूचुअल फंड जैसे साधन में रिटर्न फिक्स्ड नही होती और शॉर्ट टर्म में कम या ज्यादा हो सकती है। लेकिन अगर हम लॉन्ग टर्म सोच को लेकर चले तो एवरेज रिटर्न, फिक्स्ड इनकम वाले साधनों से कही बेहतर निकल कर आती है।
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निष्कर्ष – Conclusion
एक छोटी सी रेगुलर इन्वेस्टमेंट भी आपको कंपाउडिंग की मदद से अमीर बना सकती है। कंपाउडिंग में यह बात इतना मायने नहीं रखती की आप कितना इन्वेस्ट कर रहे है, बल्कि यह बात मायने रखती है की आप कितने समय के लिए इन्वेस्ट कर रहे है। अगर आपके जीवन में कुछ लक्ष्य है तो उन्हें पूरा करने के लिए अभी से बचत शुरू कर दे और ऐसे साधनों में इन्वेस्ट करे जिसमे आपको कंपाउडिंग का फायदा मिले।