इन्वेस्टमेंट की दुनिया में, हम अपनी की कई इन्वेस्टमेंट की रिटर्न को मापने के लिए कई सारे टूल और रेश्यो का इस्तेमाल करते है। यह सब टूल हमे अपनी कैलकुलेशन के हिसाब से एक निश्चित समय की रिटर्न दर्शाते है। इन्ही में से एक है, एब्सोल्यूट रिटर्न, जो हमारी इन्वेस्टमेंट की रिटर्न को जानने के सबसे आसान और ज्यादा इस्तेमाल होने वाले तरीको में से एक है। आज हम ’Absolute return meaning in Hindi’ इस आर्टिकल के जरिए आपको इसकी कैलकुलेशन, फायदे, नुकसान और महत्व से अवगत कराने को कोशिश करेंगे।
एब्सोल्यूट रिटर्न क्या है – Absolute return meaning in Hindi
एब्सोल्यूट रिटर्न एक सिंपल कांसेप्ट है, जो आपकी इन्वेस्टमेंट पर हुए टोटल प्रॉफिट और लॉस को बिना किसी टाइम फैक्टर को ध्यान में लिए बताता है। सरल शब्दों में कहे, तो यह आपको इन्वेस्टमेंट में मिली टोटल रिटर्न को बताता है। ये इस बात को अकाउंट में नही लेता की इन्वेस्टमेंट को कितने टाइम पीरियड के लिए किया गया है, या इसकी किस बेंचमार्क से तुलना की गई है। यह म्यूचुअल फंड या किसी और साधन में इन्वेस्टमेंट को शुरू करने से लेकर उसकी वर्तमान समय की कुल रिटर्न को बताने मदद करता है।
एब्सोल्यूट रिटर्न कैसे काम करती है – Absolute return kaise kaam karti hai
एब्सोल्यूट रिटर्न अपनी इन्वेस्टमेंट की परफॉर्मेंस और उसके द्वारा दी गई रिटर्न को कैलकुलेट करने के सबसे आसान और सटीक तरीको में से एक है। इसके इस्तेमाल से हम यह जान पाते है की हमारे इन्वेस्टमेंट टाइम पीरियड से लेकर इन्वेस्टमेंट की प्रेजेंट वैल्यू तक हमे कितनी रिटर्न की प्राप्ति हुई है।
इस रिटर्न के माध्यम से फंड मैनेजर और इन्वेस्टर इस बात का अंदाजा लगा सकते है, की उनकी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी कितनी कारगर है, और उन्हें इसी स्ट्रेटजी के मुताबिक आगे काम करना चाहिए या नहीं। अन्य रिटर्न की मुकाबले में यहां प्रॉफिट और लॉस की तुलना किसी बेंचमार्क से नही की जाती, ना ही इस बात का कोई फर्क पड़ता है की इस पूरे समय में मार्केट की स्तिथि क्या रही है। कुल मिलाकर कहें तो यह आपकी इन्वेस्टमेंट पर चल रहे समय की, और शुरुआत की वैल्यू में हुए फर्क को प्रतिशत फॉर्मेट में दर्शाता है, जिस से हम अपनी इन्वेस्टमेंट के बारे में एक सही राय बना पाएं।
एब्सोल्यूट रिटर्न का इस्तेमाल कब किया जाता है – Absolute return ka istemaal kab Kiya jaata hai
हर इन्वेस्टर चाहे वो लॉन्ग टर्म हों या शॉर्ट टर्म, अपनी की जाने वाली इन्वेस्टमेंट में शामिल रिस्क और रिवार्ड को जानना चाहता है। इस तरह की इन्वेस्टमेंट को आमतौर पर मार्केट लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट जैसे की म्यूचुअल फंड, स्टॉक पोर्टफोलियो आदि में किया जाता है। एब्सोल्यूट रिटर्न के इस्तेमाल से इन्वेस्टर म्यूचुअल फंड जैसे इन्वेस्टमेंट साधनों द्वारा दिए गए समय काल में जेनरेट की गई रिटर्न का पता लगा सकते है। एक अच्छी रिटर्न इस बात को तस्दीक करता है की, इन्वेस्ट की गई स्कीम ने बीते समय में अच्छा परफॉर्म किया है, और आने वाले समय में भी उससे से ऐसी ही परफॉर्मेस की आशा की जाती है। यह सब फैक्टर एक इन्वेस्टर को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट निर्णय लेने, और एक अच्छे इन्वेस्टमेंट साधन का चुनाव करने में मदद करते है।
एब्सोल्यूट रिटर्न का महत्व – Absolute return ka mahatav
सरल कैलकुलेशन: एब्सोल्यूट रिटर्न की कैलकुलेशन करना बहुत आसान है। इसे कोई भी आम नागरिक या इन्वेस्टर आसानी से समझ सकता है। वह इन्वेस्टर जिन्हे मार्केट की रेश्यो और फाइनेंशियल फार्मूलो का ज्यादा ज्ञान नही है, उनके लिए यह इन्वेस्टमेंट की परफॉर्मेंस जानने का एक बहुत अच्छा तरीका है।
पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन: एब्सोल्यूट रिटर्न बिना किसी फंडामेंटल या बेंचमार्क फैक्टर के एक इन्वेस्टमेंट की सरल रिटर्न को बताता है। इसको ध्यान में रखकर इन्वेस्टर अपनी विभिन्न इन्वेस्टमेंट रिटर्न की जांच सकता है और पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने के लिए सही कदम उठा सकता है।
शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गोल: एब्सोल्यूट रिटर्न बिना टाइम फैक्टर को अकाउंट में लिए रिटर्न को कैलकुलेट का काम करता है। इस तरह यह दोनो, लॉन्ग टर्म और शॉर्ट इन्वेस्टर के लिए फायदे मंद हो सकता है। यह उनकी इन्वेस्टमेंट की वर्तमान वैल्यू को देखकर उससे जुड़े भविष्य के निर्णय लेने में मदद करता है।
मार्केट वोलेटिलिटी का प्रभाव: एब्सोल्यूट रिटर्न की कैलकुलेशन में मार्केट वोलेटिलिटी को अकाउंट में नही लिया जाता। यह इन्वेस्टमेंट रिटर्न को स्टेबल दिखाते हुए, सिर्फ सिर्फ पॉजिटिव या नेगेटिव रिटर्न को दर्शाने का काम करता है। इस तरह यह उन इन्वेस्टर के लिए फायदेमंद है, जिन्हे विभिन्न मार्केट फैक्टर की ज्यादा जानकारी नही है और कुल रिटर्न को ही अपने इन्वेस्टमेंट निर्णय का बेंचमार्क मान कर चलते है।
एब्सोल्यूट रिटर्न कैसे कैलकुलेट करे – Absolute return kaise calculate karen
एब्सोल्यूट रिटर्न को बहुत आसानी से कैलकुलेट किया जा सकता है। इसके लिए इन्वेस्टमेंट की वर्तमान वैल्यू से इन्वेस्टमेंट की प्रिंसिपल वैल्यू को घटाया जाता है, इसके बाद वर्तमान वैल्यू से भाग करने पर आने वाली वैल्यू, एब्सोल्यूट वैल्यू होती है। उदाहरण के लिए आपने 1 जनवरी 2023 में एक म्यूचुअल फंड में 1 लाख रुपए इन्वेस्ट किए थे, जिसकी दिसंबर 2024 में वैल्यू बढ़कर 1 लाख 30 हजार हो चुकी है। इस केस में आपका कुल प्रॉफिट हुआ 30 हजार। इसे ही हम पर्सेंटेज में तब्दील करके एब्सोल्यूट वैल्यू का पता लगा सकते है, जिसके लिए नीचे दिए गए फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है।
एब्सोल्यूट रिटर्न का फॉर्मूला – Absolute return ka formula
Absolute Value = ((Current price – Purchase price) / Purchase price) * 100
ऊपर दिए उदाहरण की वैल्यू का इस्तेमाल करने पर:
Absolute Value: ((130,000-100,000)/100,000) *100 = 30%
यह भी जाने : CAGR meaning in hindi – म्यूचुअल फंड में CAGR क्या होती है, कैसे करें कैलकुलेट
एब्सोल्यूट और एनुअल रिटर्न में अंतर – Absolute aur Annual return me antar
एब्सोल्यूट रिटर्न | एनुअल रिटर्न |
एब्सोल्यूट रिटर्न एक इन्वेस्टमेंट की वैल्यू में एक निश्चित समय में हुए बदलाव की पर्सेंटेज को दर्शाता है। | यह एक निश्चित समय के लिए इन्वेस्टमेंट पर मिली सालाना रिटर्न को दर्शाता है, जिसमे कंपाउडिंग रिटर्न भी शामिल होती है। |
एनुअल रिटर्न के मुकाबले इसे समझना और कैलकुलेट करना आसान होता है। | यह एब्सोल्यूट रिटर्न से ज्यादा कॉम्प्लेक्स होती है। |
इसके इस्तेमाल से एक इन्वेस्टमेंट से अलग अलग टाइम पीरियड में मिली रिटर्न का पता लगाया जा सकता है। | इसका इस्तेमाल से इन्वेस्टमेंट की भविष्य के परफॉर्मेस का अंदाजा लगाया जाता है। |
यह शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनो इन्वेस्टमेंट में इस्तेमाल हो सकती है, और यह इन्वेस्टमेंट रिस्क को अकाउंट में नही लेता। | शॉर्ट इन्वेस्टमेंट पीरियड के लिए इसके द्वारा दी गई वैल्यू कई बार सटीक नहीं होती। |
निष्कर्ष – Conclusion
एब्सोल्यूट रिटर्न एक इन्वेस्टमेंट की परफॉर्मेस का पता लगाने के लिए जरूरी टूल है, और इसका इस्तेमाल एक इन्वेस्टमेंट रिटर्न का दूसरी इन्वेस्टमेंट रिटर्न से तुलना करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि फाइनेंशियल जगत में परफॉर्मेस को मापने के लिए और भी कई सारे टूल्स जैसे की, CAGR, एनुअल रिटर्न आदि उपलब्ध है। इन सबकी अपनी खुबिया और अपनी लिमिटेशन है। आम लोग एब्सोल्यूट रिटर्न की सिंपल कैलकुलेशन और समझने में आसानी के कारण इसका इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करते है।