फाइनेंशियल प्लानिंग का एक अहम भाग है रिटायरमेंट सेविंग्स। अपने बुढ़ापे के दिनों में किसी पर निर्भर हुए बिना एक अच्छी जिंदगी कौन नहीं जीना चाहता। अच्छी रिटायरमेंट प्लानिंग लिए यह जरुरी है की अपने खर्चों के हिसाब से एक टारगेट अमाउंट निश्चित करे, जल्दी शुरुआत करे और लगातार कंट्रीब्यूट करते हुए रिटायरमेंट तक एक अच्छी अमाउंट जमा कर ले। भारत में रिटायरमेंट सेविंग्स के लिए बहुत सी स्कीम उपलब्ध है जो कम रिस्क के साथ साथ एक बढ़िया रिटर्न का लाभ देती है। NPS उन्ही में से एक है। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे की NPS kya hai? कैसे काम करता है और इससे जुड़ी और सभी तरह की जानकारी।
NPS क्या है? – NPS Kya hai?
NPS का मतलब है नेशनल पेंशन सिस्टम। यह भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक लॉन्ग टर्म रिटायरमेंट सेविंग्स स्कीम है जो PFRDA द्वारा रेगुलेटेड है। पहले यह स्कीम सिर्फ केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए लायी गयी थी जिसमे 01/01/2004 के बाद ज्वाइन होने वाले सभी कर्मचारियों का एनरोल होना अनिवार्य था। लेकिन 2009 में इस स्कीम को PFRDA ने सभी नागरिकों के लिए खोल दिया।
इस स्कीम में एनरोल हो कर कोई भी आम नागरिक, सरकारी या प्राइवेट कर्मचारी नियमित या गैप से साथ कंट्रीब्यूशन जमा करा सकता है। रिटायरमेंट के बाद वह एक निश्चित रकम अपने NPS खाते से निकाल सकता है और बाकि की मंथली पेंशन के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। प्राइवेट सेक्टर में काम करते वाले कर्मचारियों के लिए NPS स्कीम बहुत लाभदायक है। इसकी रेट ऑफ रिटर्न बाकि स्कीम के मुकाबले काफी अच्छी है और सेक्शन 80C और 80CCD के तहत इसमें टैक्स रिबेट भी ली जा सकती है।
NPS कैसे काम करता है? – NPS Kaise kaam karta hai?
किसी भी और इन्वेस्टमेंट और सेविंग स्कीम की तरह NPS अकाउंट होल्डर्स को भी सालाना कुछ अमाउंट अपने NPS अकाउंट में जमा करवानी पड़ती है। हालांकि NPS अकाउंट सिर्फ 500 रूपये से भी खोला जा सकता है लेकिन हर साल इसमें कुछ ना कुछ रूपये जमा करवाना जरूरी होता है। रिटायरमेंट यानि 60 साल तक कंट्रीब्यूशन जमा कराने के बाद अकाउंट होल्डर लगभग 60% तक अमाउंट को निकलवा सकता है और बाकि का 30% एन्युटी यानि की रिटायरमेंट के बाद पेंशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अगर किसी कारण 60 साल से पहले NPS अकाउंट होल्डर की मृत्यु हो जाती है तो सारे जमा पैसे नॉमिनी या लीगल हेयर क्लेम कर सकता है।
NPS अकाउंट मुख्यता दो तरह के होते है, Tier I और TIER II। नई एप्लीकेशन के लिए TIER I ऑप्शन जरुरी होता है और default एक्टिव भी रहता है। TIER I अकाउंट एक पूर्णता रिटायरमेंट सेविंग स्कीम की तरह काम करता है जिसमे पैसे केवल 60 साल यानि की रिटायरमेंट के बाद निकलवाए जा सकते है। कुछ स्तिथियों में इसमें से partial withdrawal करवाया जा सकता है जो की सिर्फ जोइनिंग से 10 साल बाद ही संभव है। Withdrawal अमाउंट टोटल कंट्रीब्यूशन का 25% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। दूसरी तरफ TIER II एक सेविंग या इन्वेस्टमेंट ऑप्शन की तरह है जहा पर अकाउंट होल्डर जरुरत पड़ने पर कभी भी जमा राशि को निकलवा सकता है।
जैसे की ऊपर बताया गया की NPS अकाउंट होल्डर अपने NPS अकाउंट में कंट्रीब्यूशन जमा करवाना पड़ता है। लेकिन अब सवाल यह बचता है की NPS में जमा कराया गया पैसा कहां इन्वेस्ट किया जाता है? और इनसे मिनिमम कितनी रिटर्न मिलती है? NPS में इन्वेस्ट किया गया पैसा अलग अलग फंड हाउस के फंड मैनेजर मैनेज करते है। NPS अकाउंट होल्डर के पास फंड मैनेजर चुनने की ऑप्शन होती है और वह उसे कभी भी बदल सकता है। इस समय कुल 7 फण्ड मैनेजर है जो की NPS इंवेस्टमेंट्स जो मैनेज करते है:
- Aditya Birla Sun Life Pension Management
- HDFC Pension Management
- ICICI Prudential Pension Fund Management
- Kotak Mahindra Pension Fund
- LIC Pension Fund
- SBI Pension Fund
- UTI Retirement Solutions
यह फंड मैनेजर चार तरह की एसेट क्लास में आपका पैसा इन्वेस्ट कर सकते है। यह है Equity, Corporate debt, Government Bonds और Alternative Investment Funds।
Equity | इसमें पैसा इक्विटी मार्किट के इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट किया जाता है। |
Corporate debt | इसमें पैसा उन बांड्स में इन्वेस्ट किया जाता है जो की PSU, Public Financial Institutions (PFIs) और Infrastructure Companies द्वारा इश्यू किए जाते है। इसके इलावा पैसा Money Market Instruments में इन्वेस्ट किया जाता है। |
Government Bonds | इसमें पैसा उन सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट किया जाता है जो की केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा इश्यू किए जाते है। |
Alternative Investment Fund | इनमे पैसा CMBS, REITS और AIF आदि में लगाए जाते है। |
जिस वक्त आप NPS का फॉर्म भरते हो तो आपको इन्वेस्टमेंट के लिए दो ऑप्शन दी जाती है। Auto Choice और Active choice।
Auto Choice: ऑटो चॉइस NPS अकाउंट की default ऑप्शन होती है। मतलब की अगर अकाउंट होल्डर NPS अकाउंट खोलते वक्त कोई भी ऑप्शन सेलेक्ट नहीं करता तो ऑटो चॉइस के मुताबिक ही इन्वेस्टमेंट की जाती है। ऑटो चॉइस में एसेट कैटेगरी लाइफ साइकिल सिस्टम पर निर्भर होती है। लाइफ साइकिल सिस्टम में इन्वेस्टर की उम्र के हिसाब से इक्विटी एक्सपोज़र घटता रहता है।
इस साइकिल के तहत जब इन्वेस्टर की उम्र कम होगी तो इक्विटी में उसका एक्सपोजर ज्यादा रहेगा और जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ेगी इक्विटी में एक्सपोज़र कम होता जायेगा। इस तरह उम्र के हिसाब से इन्वेस्टर का इन्वेस्टमेंट रिस्क मैनेज किया जाता है। ऑटो चॉइस में आगे तीन तरह की केटेगरी होती है जिन्हे इन्वेस्टर अपनी सहूलियत के हिसाब से चुन सकता है:
- Aggressive Life Cycle Fund: मैक्सिमम इक्विटी एलोकेशन 75% तक हो सकता है।
- Moderate Life Cycle Fund: यह ऑटो चॉइस में डिफॉल्ट एक्टिव ऑप्शन होती है जिसमे मैक्सिमम इक्विटी एक्सपोज़र 50% तक होता है
- Conservative Life Cycle Fund: मैक्सिमम इक्विटी एलोकेशन 25% तक हो सकता है
Active choice: ऑटो चॉइस में इन्वेस्टर अपनी समझ से हिसाब से किसी एसेट भी क्लास में इन्वेस्ट कर सकता है। इन्वेस्टर के पास यह ऑप्शन होती है की वह कौन सी एसेट क्लास में कितना पैसा इन्वेस्ट करेगा। हालांकि इक्विटी इंस्ट्रुमेंट में इन्वेस्टमेंट 75% से ज्यादा नहीं की जा सकती।
NPS में कितनी रिटर्न मिलती है? – NPS me kitni return milti hai?
NPS स्कीम की रिटर्न इसकी फंड परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है। 2022 में फंड मैनेजर्स द्वारा मैनेज की गई NPS की रिटर्न को आप इस लिंक पे देख सकते है।
परफॉरमेंस के इलावा भी कुछ और ऐसे पैरामीटर्स है जिनमे NPS की रिटर्न निर्भर करती है। जैसे की कितने साल से कोई स्कीम में इन्वेस्टेड है, कौन सी ऑप्शन का चुनाव किया गया है या फिर इक्विटी एक्सपोज़र कितना है। TIER I या TIER II में से किस में आपने इन्वेस्ट किया है यह भी रिटर्न को काफी हद तक प्रभावित करता है।
कुल मिला कर कहें तो NPS में रेट ऑफ रिटर्न फिक्स्ड नहीं है। इसलिए इन्वेस्टर्स को सोच समझ कर रिसर्च के बाद ही अच्छे फंड मैनेजर का चुनाव करना चाहिए। एवरेज रिटर्न की बात करे तो यह 9 से 12% के बीच में रह सकती है। लेकिन यह सिर्फ एक आईडिया है और असल रिटर्न उस समय की कंडीशन पर निर्भर करेगा।
NPS में कौन निवेश कर सकता है? – NPS me kaun nivesh kar sakta hai?
कोई भी केंद्रीय सरकार का कर्मचारी, राज्य सरकार कर्मचारी, प्राइवेट सेक्टर कर्मचारी या आम भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 से 65 के बीच में हो NPS में अकाउंट खुलवा सकता है। 65 साल तक उम्र में जो अकाउंट खुलवाया जाता है उसे मैक्सिमम 70 साल की उम्र तक जारी रखा जा सकता है। इसके इलावा नॉन रेजिडेंट इंडियन (NRI) भी इस स्कीम में निवेश कर सकते है। NRI द्वारा किए गए योगदान RBI और फेमा द्वारा रेगुलेट किए जाते है। Persons of Indian Origin (PIOs) और Hindu Undivided Families (HUFs) NPS अकाउंट नहीं खुलवा सकते।
NPS खाता कैसे खोलें? – NPS khata kaise khole?
NPS में खाता ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से खोला जा सकता है।
ऑनलाइन प्रोसेस
- सबसे पहले NPS की वेबसाइट eNPS-NSDL जाये।
- यहां आपको नेशनल पेंशन सिस्टम ऑप्शन को चेक करके नई रजिस्ट्रेशन को सेलेक्ट करना है।
- यहां आप register with Aadhar’ या register with PAN’ विकल्प चुन सकते है। मान लीजिए अपने register with Aadhar ऑप्शन चुना है।
- आधार नंबर और बाकि की डिटेल डालने के बाद ‘Generate OTP’ ऑप्शन का चयन करें I
- OTP के साथ अपनी पर्सनल जानकारी, नॉमिनेशन और अन्य बैंक संबंधी जानकारी को दर्ज करें I
- सारी जानकारी भरने के बाद एप्लीकेशन को सबमिट कर दे। सफलतापूर्वक सबमिट हो जाने पर आपको आपका Permanent Retirement Account Number (PRAN) अलॉट किया जाएगा I
- यूनिक PRAN नंबर की मदद से आप भविष्य में NPS से जुडी सभी ट्रांजेक्शन कर पाएंगे।
ऑफलाइन प्रोसेस
ऑफलाइन अकाउंट खुलवाने के लिए आप PFRDA द्वारा नियुक्त किए गए POP (Point of Presense) पर जा कर NPS एप्लीकेशन फॉर्म प्राप्त कर सकते है। फॉर्म को भरने के बाद आपको ID, Bank और Address प्रूफ सहित POP पर जमा करवाना होता है।
NPS का फायदा – NPS ka fayda
Flexibility – फ्लेक्सिबिलिटी: आप अपने NPS अकाउंट में कभी भी पैसे जमा करवा सकते है। TIER I के लिए साल की मिनिमम कंट्रीब्यूशन अमाउंट एक महीने की 500/- और एक साल की 1000/- रूपये है। TIER II के लिए मिनिमम कंट्रीब्यूशन अमाउंट 250/- रूपये है। इसकी कोई भी उप्पर लिमिट नहीं होती। जब कभी भी आपके पास फंड हो अपनी सहूलियत अनुसार NPS में इन्वेस्ट कर सकते है।
Tax Benefit – टैक्स बेनिफिट: इनकम टैक्स फाइल करते समय आप NPS में की गई इन्वेस्टमेंट पर 80C और 80CCD के तहत टैक्स रिबेट ले सकते है।
Behtar Returns aur Security – बेहतर रिटर्न्स और सिक्योरिटी: NPS में इन्वेस्टमेंट के अंतर्गत आपको मार्किट में मौजूद बाकि स्कीम्स से बेहतर रिटर्न देखने को मिलती है जिसमे आपका रिटायरमेंट फण्ड तेजी से बढ़ता है। इसके इलावा NPS केंद्रीय सरकार के अधीन है और PFRDA द्वारा रेगुलेट किया जाता है जो अपने पैसों की सिक्योरिटी की assurity देता है।
Option to change Fund Manager – फंड मैनेजर बदलने का ऑप्शन: NPS में अगर आप अपने मौजूदा फंड मैनेजर की परफॉरमेंस से संतुष्ट नहीं है तो आप कभी भी उसे बदलने के लिए कभी भी अप्लाई कर सकते है।
Easy process – आसान प्रोसेस: NPS स्कीम में के इन्वेस्ट करना और अपनी इन्वेस्टमेंट को ट्रैक करना बहुत ही आसान है। ऑनलाइन इसके app और ऑफलाइन POP द्वारा आप कभी भी अपने इन्वेस्टमेंट की परफॉर्मेस को चेक कर सकते है।
NPS का नुक्सान – NPS ka nuksaan
Withdrawal Limit – Withdrawal लिमिट: NPS TIER I की इन्वेस्टमेंट लॉक इन पीरियड में रहती है जिसे सिर्फ maturity पर 60 साल के बाद ही निकलवाया जा सकता है। हालांकि जरुरत पड़ने पर इन्वेस्टर 10 साल के बाद partial withdrawal ले सकता है और 60 साल तक होने तक टोटल 3 withdrawals allowed है।
Limited Equity Exposer – लिमिटेड इक्विटी एक्सपोजर: सभी तरह की NPS स्कीम ऑप्शन में मैक्सिमम इक्विटी इन्वेस्टमेंट 75% तक ही कैप्ड है। कम इक्विटी एक्सपोज़र होने के कारण रेट ऑफ रिटर्न भी ज्यादा बेहतर नहीं हो पाती।
Taxation at Maturity – टैक्सेशन at maturity: NPS mature होने पर इन्वेस्टर सिर्फ 60% हिस्सा ही निकाल सकता है जो की टैक्सेबल होता है। बाकि का 40% जो की एन्यूटी में कंट्रीब्यूट होता टैक्स फ्री रहता है
Fund Manager – फंड मैनेजर: बहुत सारे लोग काम्प्लेक्स financial टर्म्स जैसे की इक्विटी, डेब्ट एक्सपोजर आदि नहीं समझते है। इसलिए उनके लिए फंड मैनेजर चुनना और परफॉर्मेस ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।
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निष्कर्ष – Conclusion
रिटायरमेंट सेविंग्स के लिए आजकल बाजार में बहुत सारी स्कीम्स उपलब्ध है। इनमे से कुछ प्राइवेट सेक्टर और कुछ सरकार द्वारा चलाई जा रही है। अपनी financial कंडीशन और गोल के हिसाब से ही हमे किसी भी स्कीम का चुनाव करना चाहिए। आम लोग मध्य वर्गीय परिवारों के लिए NPS स्कीम का एक बहुत ही अच्छा साधन है क्युकी जहां हर स्कीम में आपको महीने-6 महीने मे कुछ ना पैसे डालने ही पड़ते है वही NPS में आप अपनी जेब के अनुसार, जब फंड हो तब कंट्रीब्यूट कर सकते है। मेरी राय में तो अगर आपका PF नहीं कटता या बुढ़ापे के दिनों के लिए और कोई साधन नहीं है तो आज ही NPS में अपना अकाउंट खुलवाए और रिटायरमेंट सेविंग्स की शरुआत करे।