दिन ब दिन बढ़ती महगांई के कारण आम लोगो के लिए पैसे बचा पाना और इन्वेस्टमेंट करना काफी मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में हमे एक ऐसे इन्वेस्टमेंट या सेविंग के साधन की जरुरत है जो कम से कम अमाउंट में भी सिक्योर्ड और गेरेंटेड रिटर्न दे सके। इन्ही सब जरूरतों को पूरा करता है PPF। आज के आर्टिकल में हम इसी बात के जानने की कोशिश करेंगे की PPF kya hai और कैसे काम करता है?
PPF क्या है? – PPF kya hai?
PPF यानि की पब्लिक प्रोविडेंड फण्ड। यह भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट सेविंग स्कीम है जिसे 1968 में लांच किया गया था। यह फंड गेरेंटेड रिटर्न्स ऑफर करती है जिसका वर्तमान रेट 7.1 % है, जिसे हर महीने के अंत में कैलकुलेट किया जाता है लेकिन पेमेंट हर साल 31 मार्च को की जाती है। PPF का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल का होता है जिसे अगर बढ़ाना हो तो 5 साल के ब्लॉक में बढ़ाया जा सकता है। यह स्कीम कम रिस्क में अच्छी और सिक्योर्ड रिटर्न के लिए जानी जाती है। इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य निम्न और मिडिल क्लास इनकम ग्रुप के लोगो में सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देना है।
PPF कैसे काम करता है? – PPF kaise kaam karta hai?
कोई भी भारतीय नागरिक किसी बैंक या पोस्ट ऑफिस के जरिए PPF में अकाउंट खुलवा सकता है। यह खाता 500 रूपये से भी खोला जा सकता है और यही इसकी एक साल में मिनिमम डिपाजिट लिमिट है। मैक्सिमम लिमिट की बात करे तो एक फाइनेंशियल ईयर में ज्यादा से ज्यादा PPF में 1.5 लाख तक ही जमा करवाया जा सकता है। यह डिपाजिट अपने सामर्थ्य के हिसाब से एकमुश्त या छोटे भागो में करवाया जा सकता है।
PPF में डिपाजिट किया गया पैसा 15 साल के बाद mature हो जाता है। अगर कोई maturity पर पैसा ना निकलवाना चाहे तो उसे 5 साल के ब्लॉक्स में आगे बढ़ाया जा सकता है। मतलब की अगर आपके PPF अकाउंट को 15 साल हो गए है और आपको अभी पैसो की जरुरत नहीं है तो आप उसे 20 साल, 25 साल या 30 साल, ऐसे ब्लॉक्स में एक्सटेंड कर सकते है।
PPF में आप साल में जितनी बार चाहे डिपाजिट करवा सकते है लेकिन कुल अमाउंट डेढ़ लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर आप किसी फाइनेंशियल ईयर में डिपाजिट करवाना मिस कर देते है तो आपका अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया जायेगा, जिसे दोबारा एक्टिवेट करने के लिए एक मिनिमम चार्ज (50 रूपये ) भरना पड़ता है।
PPF में जमा पैसा मैच्योरिटी तक लॉक इन पीरियड में रहता है। अगर किसी को पैसों की जरुरत हो तो वह केवल 5 साल के बाद ही partial withdrawal ले सकता है। चौथे फाइनेंशियल ईयर के पुरे हो जाने के बाद आप मैक्सिमम 50% बैलेंस को निकलवा सकते है और एक फाइनेंशियल ईयर में सिर्फ एक बार ही पैसा निकलवाया जा सकता है। कुछ गिनी चुनी स्तिथियों में PPF अकाउंट को maturity से पहले भी क्लोज करवाया जा सकता सकता है। बशर्ते PPF अकाउंट को खुलवाए हुए पांच साल हो चुके होने चाहिए। ऐसे केस में PPF अकाउंट पर ब्याज मौजूदा ब्याज दर से 1% कम मिलता है।
PPF में कौन अकाउंट खुलवा सकता है? – PPF me kaun account khulwa sakta hai?
भारत का कोई भी आम नागरिक PPF में अकाउंट खुलवा सकता है। Minors जिनके अकाउंट under gaurdian खुले हों वह भी PPF के लिए एनरोल हो सकते है। Non-resident Indians (NRIs) और Hindu Undivided Families (HUFs) PPF में अकाउंट खुलवाने के लिए योग्य नहीं है।
PPF अकाउंट कैसे खोले? – PPF account kaise khole?
PPF अकाउंट ऑनलाइन खुलवाने के लिए आपको अपनी बैंक या पोस्ट ऑफिस की वेबसाइट पर जाना है। वहां PPF ऑप्शन के अंडर आप सभी जरुरी जानकारी और डॉक्यूमेंट अपलोड करके अकाउंट खुलवा सकते है।
ऑफलाइन PPF अकाउंट खुलवाने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करे:
- निकटतम बैंक या पोस्ट ऑफिस से संपर्क करे जहां आप अपना PPF अकाउंट खुलवाना चाहते है।
- वहां से PPF अकाउंट ओपनिंग फॉर्म ले और सभी पूछी गई जानकारी उसमे भरे।
- फॉर्म के साथ सभी जरुरी प्रूफ जैसे की ID, ADDRESS, बैंक और पासपोर्ट साइज फोटो आदि सलंगन करे।
- फॉर्म कंप्लीट होने के बाद बैंक या पोस्ट ऑफिस में सबमिट करा दे।
- साथ ही आपको एक इनिशियल अमाउंट डिपाजिट करवानी होगी जो की कम से कम 500 रूपये होती है।
- बैंक या पोस्ट ऑफिस आपकी एप्लीकेशन को प्रोसेस के लिए सबमिट कर देगा और अप्रूव होने के बाद आपको सुचना दे दी जाएगी।
PPF में कितना ब्याज मिलता है? – PPF me kitna byaj milta hai?
PPF अकाउंट का ब्याज फाइनेंस मिनिस्ट्री द्वारा निर्धारित किया जाता है जो की साल के हर क्वार्टर में revise होता है। PPF का वर्तमान इंटरेस्ट रेट 7.1% है। PPF में लगा ब्याज पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है।
PPF के फायदे – PPF ke fayde
- PPF अकाउंट अंतर्गत की गई इन्वेस्टमेंट इनकम टैक्स एक्ट 80C के अंडर आती है। मैच्योरिटी का पैसा और उसमे कमाया गया ब्याज भी पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है।
- चूंकि PPF भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली गेरेंटेड रिटर्न स्कीम है, इसलिए इसमें रिस्क भी बहुत कम होता है।
- PPF इंटरेस्ट पर हमे कंपाउडिंग का लाभ मिलता है जो की इन्वेस्टमेंट पर नार्मल रिटर्न से बेहतर रिटर्न देने में मदद करता है।
- PPF अकाउंट के तीन साल हो जाने के बाद आप उसके ऊपर लोन भी ले सकते है।
- जरुरत पड़ने पर PPF अकाउंट होल्डर्स 5 साल के बाद partial withdrawal ले सकते है।
- PPF अकाउंट के जरिए आम लोगो में लॉन्ग टर्म थिंकिंग, इन्वेस्टमेंट और रेगुलर सेविंग्स की आदत को बढ़ावा मिलता है।
PPF के नुक्सान – PPF ke nuksaan
- PPF एक लौ रिस्क इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है इसलिए इसमें मिलने वाली रिटर्न बाकि इन्वेस्टमेंट options के मुकाबले कम होती है।
- 15 साल का लॉक इन पीरियड होने के कारण ज्यादातर इन्वेस्टर जरुरत पड़ने पर इन्वेस्टर अपना पूरा पैसा नहीं निकाल पाते ।
- एक फाइनेंशियल ईयर में PPF में मैक्सिमम 1.5 लाख तक अमाउंट ही जमा करवाया जा सकता है जिस से हाई इनकम ग्रुप के लोग इसमें ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं कर पाते।
- इन्वेस्टर्स का PPF की रिटर्न रेट पर कोई कंट्रोल नहीं होता। यह एक फिक्स्ड इंट्रेस्ट रेट पर निर्भर करता है जो की बीते सालो में सिर्फ घटा ही है।
- कई बार इन्फ्लेशन की दर PPF इंटरेस्ट रेट से कही ज्यादा हो जाती है जिस कारण समय के साथ आपकी इन्वेस्टमेंट की वैल्यू महगांई के मुकाबले बड़ नहीं पाती।
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निष्कर्ष – Conclusion
जो लोग फाइनेंशियली तौर पर ज्यादा सामर्थ्य नहीं है और महीने में या कभी कभी ही पैसा बचा सकते है उनके लिए PPF बहुत कम रिस्क वाली सिक्योर्ड स्कीम है। हालांकि इसकी रिटर्न इन्वेस्टमेंट के बाकि तरीको के मुकाबले कम है पर फिर भी यह लौ इन्वेस्टमेंट रिस्क वाली अन्य स्कीम्स से बेहतर ही रिटर्न देती है। लॉन्ग टर्म होराइजन और strict withdrawal पालिसी के कारण यह सेविंग डिसिप्लिन बनाने में भी मदद करता है। इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के नज़रिए से भी यह एक अच्छा साधन है और इसे इन्वेस्टमेंट और सेविंग के लिहाज से आदर्श माना जा सकता है।