Mutual Fund kya hai? – जानिए म्यूच्यूअल फंड क्या है और कैसे काम करता है?

आजकल के महगांई भरे जमाने में म्यूचुअल फंड एक ऐसा साधन यही जो की आपको कम से कम इन्वेस्टमेंट में भी बढ़िया रिटर्न देने की क्षमता रखता है। ये आपकी वेल्थ को बढ़ाने के साथ साथ ही आपके पोर्टफोलियो को diversify करने का भी एक बहुत अच्छा साधन हैं। इसकी बढ़िया रिटर्न और इन्वेस्ट करने की आसानी के कारण यह आजकल लगभग हर नागरिक के बीच में पॉपुलर हो चूका हैं। आज के आर्टिकल ’Mutual fund Kya hai‘ के द्वारा हम म्यूचुअल फंड के कांसेप्ट को पूरी तरह से समझेंगे और इसके फायदे नुकसान को जानते हुए इसके हर जरुरी पहलु पर नजर डालेंगे।

Mutual Fund kya hai

म्यूच्यूअल फंड क्या है? – Mutual Fund kya hai?

म्यूच्यूअल फंड एक ऐसा इन्वेस्टमेंट साधन है जो विभिन्न वर्गों के लोगो से इकट्ठे हुए पैसे को कई तरह की एसेट जैसे की बांड, स्टॉक, गोल्ड, इंडेक्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटी आदि में इन्वेस्ट करके रिटर्न जेनरेट करता है। यह इन्वेस्टमेंट कई तरह की फंड और स्कीम के जरिए की जाती है जिनको AMC या एसेट मैनेजमेंट कंपनी ऑपरेट करती है। इन एसेट मैनेजमेंट कंपनी में काम करने वाले अनुभवी फंड मैनेजर इन स्कीमों को मैनेज करते है। म्यूच्यूअल फंड में हर किसी की जरुरत और रिस्क अनुसार प्लान और स्कीम होती है जिनमे फंड मैनेजर बाजार की स्तिथि के अनुसार इन्वेस्ट की गई एसेट में फेरबदल करते रहते है ताकि कम से कम नुक्सान में यह इन्वेस्टर के लिए एक अच्छी रिटर्न जेनरेट पाए। इस तरह से कमाई गई रिटर्न को लोगो से इक्ट्ठी हुई कैपिटल में ग्रोथ और डिविडेंड के रूप में बांट दिया जाता है।

म्यूच्यूअल फंड कितने प्रकार के होते है? – Mutual Fund kitne prakar ke hote hai?

एक AMC कई तरह के म्यूच्यूअल फंड स्कीम मैनेज करता है जो  हर इन्वेस्टर जरुरत और उसके गोल के अनुसार से डिजाइन किए गए होते है। ज्यादा विभिन्नता होने के कारण उन्हें किसी एक वर्ग के आधार में अलग कर पाना मुश्किल है। इसी लिए विभिन्न तथ्यों के आधार पर म्यूच्यूअल फंड स्कीम्स को हम निम्नलिखित कैटेगरी में विभाजित कर सकते है।

Investment type के आधार पर Open ended, Close Ended और Interval फंड
Fund Management के आधार पर Actively और Passively Managed फंड
Investment objective के आधार पर Growth, Income और Liquid फंड
Asset Allocation के आधार पर Equity, Debt, Hybrid, Money Market और Multi Asset फंड
Theme के आधार पर Tax Saving, Retirement Saving, Child Plan और Arbitrage फंड
अन्य फंड ETF, Overseas फंड, Fund of Funds

म्यूच्यूअल फंड कैसे काम करता है? – Mutual Fund kaise kaam karta hai?

म्यूच्यूअल फंड की वर्किंग जानने से पहले यह जान लेते है की म्यूच्यूअल फंड कंपनी का स्ट्रक्चर कैसा होता है और ऐसे कौन से लोग है जो एक म्यूच्यूअल फंड कंपनी की शुरुआत कर कर सकते है। म्यूच्यूअल की बनावट में मुख्यता तीन लेयर होती है जो है, स्पोंसर, ट्रस्टी और एसेट मैनेजमेंट कंपनी।

एक स्पोंसर वह व्यक्ति होता है जिसे एक म्यूच्यूअल फंड कंपनी की शुरुआत करनी होती है, ताकि एक बिजनेस की तरह वह इस से प्रॉफिट कमा सके। एक स्पोंसर को म्यूच्यूअल फंड कंपनी की शुरुआत करने के लिए कई तरह से एलिजिबल होना चाहिए जैसे की:

  • एक स्पोंसर को म्यूच्यूअल फंड की शुरुआत के लिए पांच सालो में से कम से कम तीन सालो के लिए मुनाफा दिखाना पड़ता है।
  • उसे फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर में कम से कम 5 साल अनुभव होना चाहिए।
  • AMC की कुल नेट वर्थ में उसका शेयर 40% से कम का नहीं होना चाहिए।

अगर एक स्पॉन्सर इन सब बातो पर खरा उतरता है तो वह कई लोगो के साथ मिलकर दूसरी लेयर यानि की एक ट्रस्ट की स्थापना करता है जिसका काम AMC और फंड को देखरेख करना होता है। इस ट्रस्ट के साथ स्पोंसर को एक कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक काम करना पड़ता है जिसे Trust Deed कहते है। इस ट्रस्ट को सेबी के साथ रजिस्टर होना अनिवार्य होता है और उसी के दायरे में रहकर यह सभी तरह की मैनेजमेंट निर्णय लेता है। रूल के मुताबिक ट्रस्टी को हर छह महीने में AMC की रिपोर्ट को सेबी सबमिट करानी पड़ती है।

म्यूच्यूअल फंड की तीसरी लेयर में AMC यानि की एसेट मैनेजमेंट कंपनी आती है। इस कंपनी में म्यूच्यूअल फंड की मैनेजमेंट से जुड़े और इन्वेस्टर्स के सर्विस देने जैसे सभी काम किए जाते है। यह सेबी के कंपनी एक्ट के अंतर्गत रजिस्टर्ड होती है और मार्किट स्तिथि के हिसाब से फंड या स्कीम को लॉच करती है। किसी भी स्कीम को लांच करने के लिए वह ब्रोकर्स, RTA (Registrar and Transfer Agents। i.e cams, karvy) और ट्रांसफर एजेंट से एग्रीमेंट करती है और उनकी मदद और सलाह के मुताबिक ही अपने सभी काम करती है।

यह तो बात थी की म्यूच्यूअल फंड की स्थापना और उसके मुख्य भागो की। अब एक नजर इस बात पर डाल लेते है की की म्यूच्यूअल फंड स्कीम में की गई इन्वेस्टमेंट रिटर्न कैसे जेनरेट करती है या काम कैसे करती है।

एक म्यूच्यूअल फंड कंपनी एक फंड या स्कीम की शुरुआत करने करने के लिए सबसे पहले एक डॉक्यूमेंट को ड्राफ्ट करता है जिसे प्रॉस्पेक्टस कहते है। इसमें फंड का उद्देश्य उसका साइज, रिस्क, नेचर, इन्वेस्ट की जाने वाली एसेट आदि सभी चीजों का वर्णन होना है। इसके इलावा भी कई प्रोसेस होते है, जिन्हे एक फंड हाउस को पूरा करना पड़ता है।

सभी प्रोसेस पूरे हो जाने के बाद फंड को सब्सक्रिप्शन के लिए खोला जाता है जिसे की NFO (New Fund Offer) कहा जाता है। NFO, IPO के समान ही कार्य करता है। यह लगभग 15 दिनों तक खुला रह सकता है जिसके दौरान म्यूच्यूअल फंड के यूनिट उसकी फेस वैल्यू जो की आमतौर पर 10 रूपये होती है, पर खरीदे जा सकते है।

NFO के बंद होने के बाद म्यूच्यूअल फंड हाउस NFO में भाग लेने वाले लोगो को 5 दिन के भीतर स्कीम के यूनिट अलॉट कर देता है। अगर NFO किसी ओपन एंडेड स्कीम का है तो आप उसके बंद होने के बाद भी उसके यूनिट को खरीद सकते है। क्लोज एंडेड स्कीम के मामले में कोई भी इन्वेस्टमेंट NFO क्लोज होने बाद नहीं की जा सकती। अगर किसी कारणवश NFO की अलॉटमेंट नहीं हो पाती है तो जमा किए गए पैसों को इन्वेस्टर के अकाउंट में वापस कर दिया जाता है।

म्यूच्यूअल फंड में कैसे इन्वेस्ट करे? – Mutual Fund me kaise invest karen?

म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्टमेंट ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीको द्वारा आसानी से की जा सकती है। ऑफलाइन इन्वेस्टमेंट आप म्यूच्यूअल फंड की ब्रांच, फाइनेंशियल एडवाइजर और म्यूच्यूअल फंड एजेंट के जरिए कर सकते है। लगभग हर शहर में म्यूच्यूअल फंड AMC और RTA की ब्रांच मौजूद होती है। इन्वेस्टमेंट के लिए आपको बताए गए साधनों में से किसी एक को सभी जरुरी डॉक्यूमेंट और इन्वेस्ट की जाने वाली पेमेंट को सबमिट कराना पड़ता है। यहां इस बात का ध्यान रखना जरुरी है की इन्वेस्टमेंट करने से पहले आपको इन्वेस्टमेंट के उद्देश्य और रिस्क जो आप उठा सकते है उसका अंदाजा होना चाहिए। अगर आपको इन सब चीजों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो आप एक अच्छे फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह के अनुसार ही कोई भी निर्णय ले।

अगर आप ऑनलाइन इन्वेस्ट करना चाहते है तो ऐसा आप AMC की या RTA की वेबसाइट पे जाकर कर सकते है। इसके लिए आपको किसी एक वेबसाइट पर अकाउंट बनाकर सभी जरुरी डॉक्यूमेंट के सबमिट करना पड़ता है। इसके इलावा आजकल बहुत से ऑनलाइन ब्रोकर कंपनिया मौजूद है जो आपको आसान तरीके से घर बैठे कुछ ही क्लिक्स इन्वेस्टमेंट करने की सहूलियत प्रदान करती है जैसे की Grow, Zerodha Coin, ET money आदि।

म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्ट करने के तरीके – Mutual Fund me invest karne ke tarike

किसी भी म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्ट करने के दो तरीके होते है: Lumpsum और Sip.

Lumpsum मतलब आप एक ही बार में एक फिक्स्ड अमाउंट जैसे 5000, 10000 या कई लाख किसी म्यूच्यूअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट कर रहे है। दूसरा तरीका है Sip यानि की Systematic Investment Plan. इसके तहत आप के अकाउंट से एक फिक्स्ड अमाउंट एक फिक्स्ड तारीख को काट ली जाती है और चुनी गई म्यूचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट कर दी जाती है। इन्वेस्टमेंट के यह तरीका लौ और मिडिल क्लास लोगो के के बहुत अच्छा है क्युकी एक SIP को आप सिर्फ 500 रूपये से भी शुरू कर सकते है। कई म्यूच्यूअल फंड स्कीम में तो 100 रूपये से भी SIP शुरू की जा सकती है।

म्यूच्यूअल फंड के फायदे – Mutual Fund ke fayde

बेहतर रिटर्नBetter Returns: सेविंग और इन्वेस्टमेंट की अन्य साधनों की तुलना में म्यूच्यूअल फंड काफी अच्छी रिटर्न ऑफर करते है। जहां आजकल FD और सेविंग्स अकाउंट में सिर्फ 5 से 7 प्रतिशत तक का ही ब्याज मिलता है, वहीं म्यूच्यूअल फंड आपकी इन्वेस्टमेंट रिटर्न को कई गुना तक बड़ा सकते है। हालांकि इनसे मिलने वाली रिटर्न फिक्स्ड नहीं होती और बाजार जोखिम के अधीन होती है लेकिन फिर भी लॉन्ग टर्म में लगभग सभी म्यूच्यूअल फंड अच्छा ही परफॉर्म करते नजर आते है।

डायवर्सिफिकेशन Diversification: म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टर की जरुरत और रिस्क के आधार पर कई तरह के फंड मैनेज करते है जिनमे लौ रिस्क से लेकर हाई रिस्क, टैक्स सेविंग के लेकर फिक्स्ड रिटर्न तक काफी सारे ऑप्शन उपलब्ध है। इन्वेस्टर अपनी जरुरत के हिसाब से अलग अलग फंड में इन्वेस्ट करके एक अच्छा diversify पोर्टफोलियो बना सकता है, जहां पर नुक्सान और रिस्क के चांस काफी हद तक कम हो जाते है।

एक्सपर्ट मैनेजमेंट – Expert Management: म्यूच्यूअल फंड को एक्सपर्ट फंड मैनेजर्स द्वारा मैनेज किया जाता है, जो अपनी फील्ड के अनुभवी प्रोफेशनल होते है। यह एक्सपर्ट मैनेजर सेबी की देख रेख और उसकी guidelines के अंतर्गत ही सभी फंड से जुड़े निर्णय लेते है। ऐसे में वह लोग जिन्हे फाइनेंशियल सिक्योरिटीज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं भी है, वह भी बहुत कम चार्ज में इन सर्विसेज के लाभ उठा सकते है और अपनी इन्वेस्टमेंट पर एक बेहतर रिटर्न पा सकते है।

रेगुलेटेड – Regulated: म्यूच्यूअल फंड मार्किट पूरी तरह से सेबी द्वारा रेगुलेटेड मार्किट है और उसी के दिशानिर्देश अनुसार काम करती है। समय समय पर सेबी इन्वेस्टर्स के हित के लिए नए नियम लागु करती रहती है जिनका पालन करना सभी म्यूच्यूअल फंड हाउस के किए अनिवार्य होता है। ऐसे में हम यह कह सकते है की मार्किट के उतार चढ़ाव के इलावा म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट में इन्वेस्टर का पैसा किसी भी तरह की धोखाधड़ी और लूट से काफी हद तक सुरक्षित रहता है।

कम रकम में इन्वेस्टमेंटLow value investment: म्यूच्यूअल फंड में कोई भी इन्वेस्ट कर सकता है और म्यूच्यूअल फंड में ऐसी स्कीम्स भी उपलब्ध है जिनमे सिर्फ 100 रूपये से भी इन्वेस्टमेंट शुरू की जा सकती है। इस तरह म्यूच्यूअल फंड लौ और मिडिल क्लास वर्ग के लिए भी इन्वेस्टमेंट का एक अच्छा ऑप्शन है।

म्यूच्यूअल फंड के नुकसान – Mutual Fund ke nuksan

मार्किट रिस्क  – Market Risk: म्यूच्यूअल फंड में की जान वाली ज्यादातर इन्वेस्टमेंट इक्विटी और गवर्नमेंट सिक्योरिटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट में की जाती है जैसे की स्टॉक मार्किट, रियल एस्टेट, बांड और डिबेंचर आदि। एक्सपर्ट मैनेजमेंट होने के बाद भी यहां रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती और रिटर्न्स काफी हद्द तक मार्किट के उतार चढ़ाव और इकोनॉमिक फैक्टर्स पर निर्भर करती है। इस कारण इन्वेस्टर को चाहिए की वह कोई भी इन्वेस्टमेंट निर्णय लेने से पहले उसे से जुड़े जोखिमों की अच्छी तरह से जांच कर ले या किसी अच्छे फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह से ही कोई भी निर्णय ले।

कैपिटल गेन टैक्स –  Capital Gain Tax: म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाली रिटर्न टैक्स के दायरे में आती है जिसे कैपिटल गेन टैक्स कहते है। हालांकि मार्किट में टैक्स सेविंग से जुडी स्कीम भी उपलब्ध है जिसमे इनमे IT की धारा 80C के तहत डेड लाख तक की रिबेट भी ली सकती है। हालांकि इनका टैक्स रेट बाकी फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट के मुकाबले कम ही होता है, फिर भी  इन्वेस्टर के मुनाफे को कम करने में इसका काफी बड़ा योगदान है।

कंट्रोल का आभाव  – Lack of control: म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट को मैनेज करना पूरी तरह से फंड मैनेजर के हाथ में होता है जिस कारण आम इन्वेस्टर की इसमें कोई भूमिका नहीं होती। यह उन लोगो के लिए नुकसान का एक कारण बन सकती है जो की मार्किट से भली भांति परिचित है और अपनी इन्वेस्टमेंट को मैनेज करना अच्छे तरीके से जानते है।

फीस और खर्चे – Fees and Expenses: इन्वेस्टमेंट को मैनेज करने के बदले म्यूच्यूअल फंड हाउस अपने खर्चों और मैनेजमेंट की सैलरी के लिए एक छोटी परसेंटेज फीस के रूप चार्ज करता है जिसे की एक्सपेंस रेश्यो और एग्जिट लोड कहते है। एक्सपेंस रेश्यो हर स्कीम का अलग अलग होता है जिसे इन्वेस्टमेंट को मैनेज करने से एवज में इन्वेस्टर द्वारा की गई रकम की NAV में एडजस्ट किया जाता है, वही पर एक्सपेंस रेश्यो वह डिडक्शन है जो की किसी म्यूच्यूअल फंड स्कीम से एक निश्चित समय से पहले एग्जिट करने पर पेनल्टी से तौर पर चार्ज किया जाता है। यह चार्ज और फीस म्यूच्यूअल फंड की रिटर्न पर एक बुरा प्रभाव डालते है।

यह भी जानिए: Mutual Fund par kitna tax lagta hai? – म्यूच्यूअल फंड रिटर्न पर टैक्स। कितना कब और कैसे? पूरी जानकारी

निष्कर्ष – Conclusion

अंत में हम यही कह सकते है की म्यूच्यूअल फंड हर तरह के इन्वेस्टर्स के लिए एक बढ़िया इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है जो लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन का अच्छा अवसर देती है।लेकिन यहां यह भी नोट करना जरुरी है की इन्वेस्टमेंट के अन्य साधनों की तरह यह भी रिस्क और नुक्सान से बचा नहीं है। इसलिए हर इन्वेस्टर को चाहिए की वह कोई भी इन्वेस्टमेंट निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह से सोच विचार कर ले या किसी एक्सपर्ट की सलाह से ही निर्णय ले।

Liked our Content? Spread a word!

Leave a Comment