जब हम इन्वेस्टमेंट और टैक्सेशन की बात करते हैं, तो कई फाइनेंशियल टर्म हैं, जो हमारे सामने आती है। ‘इंडेक्सेशन’ भी इन्हे में से एक महत्वपूर्ण टर्म है, जिसे समझना हमारे लिए जरूरी है। इंडेक्सेशन का प्रोसेस आपके इन्वेस्टमेंट की असल वैल्यू पर महंगाई के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। इस आर्टिकल ‘Indexation meaning in hindi‘ में हम इंडेक्सेशन क्या है, यह कैसे काम करता है, और इसके फायदे-नुकसान के बारे में विस्तार से जानेंगे।
इंडेक्सेशन क्या है – Indexation Meaning in hindi
इंडेक्सेशन उस प्रक्रिया को कहते है, जिसमे इन्वेस्टमेंट पर होने वाले कैपिटल गेन यानी मुनाफे पर बनते टैक्स में समय के साथ बढ़ी महगांई को भी एडजस्ट किया जाता है, जिससे टैक्स की कुल देनदारी में कमी आती है। जब भी हम अपनी किसी इन्वेस्टमेंट को एक टाइम पीरियड के बाद बेचते है, तो उसको बेचने पर हमे कुछ मुनाफा या नुकसान होता है। होने वाले मुनाफे को कैपिटल गेन और होने वाले नुकसान को कैपिटल लॉस कहा जाता है।
जब हम होने वाले कैपिटल गेन पर टैक्स भरते है, तो हम उसमे इंडेक्सेशन का फायदा लेकर अपनी टैक्स की देनदारी को कम कर सकते है। इंडेक्सेशन के तहत आपके इन्वेस्टमेंट किए जाने के समय से लेकर उसको बेचने के बीच में हुई इनफ्लेशन यानी को महंगाई को ध्यान रखा जाता है, जिससे हमारा कुल कैपिटल गेन कम हो जाता है, और टैक्स की अमाउंट भी कम बनती है।
इंडेक्सेशन कैसे काम करता है – Indexation kaise kaam karta hai
इंडेक्सेशन के प्रोसेस और कैलकुलेशन में कई स्टेप शामिल होते है, जिसके तहत कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) रेट से लेकर, खरीद की अमाउंट और बेचने की अमाउंट आदि शामिल होते है। इंडेक्सेशन का फायदा सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के केस में लिया जा सकता है। चलिए इसे एक उदाहरण के माध्यम से समझते है:
मान लीजिए अपने एक डेब्ट म्यूचुअल फंड में 2020 में, 1 लाख रुपए की इन्वेस्टमेंट की थी। जिस समय आपने इन्वेस्टमेंट की थी, उस समय एक यूनिट का प्राइस यानी NAV थी, 100 रुपए। 2024 में आपने अपनी इन्वेस्टमेंट को 200 रुपए की NAV पर रिडीम कर लिया। इस केस में आपने इन्वेस्टमेंट को 36 महीने से ज्यादा होल्ड किया था, इसलिए इसपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के तहत टैक्सेशन लागू होगी। आपका कुल लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हुआ, 200,000-100,000=100,000/-.
टैक्स की कैलकुलेशन करते समय अगर आप इंडेक्सेशन का फायदा नहीं लेते, तो आपको पूरे 100,000 पर टैक्स देना होगा। अगर हम इंडेक्सेशन का फायदा लेते है तो हम पूरे 100,000 के कैपिटल गेन पर टैक्स देने की बजाए उसे काफी हद तक कम कर सकते है, जिससे हमारी टैक्स की देनदारी में भी कम हो जाती है, और हम अपनी इन्वेस्टमेंट पर अच्छे रिटर्न का लाभ ले पाते है।
कैपिटल गेन टैक्स में इंडेक्सेशन का रोल – Capital Gains Tax me Indexation ka role
इंडेक्सेशन का कैपिटल गेन टैक्स में महत्वपूर्ण रोल होता है, क्युकी यह टैक्स की देनदारी को कम और इन्वेस्टमेंट की रिटर्न को बढ़ाता है। जब कभी आप किसी एसेट जैसे की प्रॉपर्टी, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड आदि को बेचते हो, तो उसके होल्डिंग पीरियड अनुसार उस पर कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है। ज्यादातर एसेट क्लास के लिए 36 महीने से ज्यादा के होल्डिंग पीरियड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है।
मान लीजिए आपने 10 साल पहले एक प्रॉपर्टी खरीदी थी। महगांई के कारण प्रॉपर्टी की उस समय के और आज के प्राइस में कुछ फर्क होगा। इंडेक्सेशन के जरिए आप प्रॉपर्टी के खरीद मूल्य को इनफ्लेशन के हिसाब से एडजस्ट कर सकते है, जिसमे CII यानी की कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है। इस से आपका इंडेक्स मूल्य बढ़ जाता है, और कैपिटल गेन कम हो जाता है, क्युकी टैक्स सिर्फ असल प्रॉफिट पर लगता है, जिसमे महंगाई की दर शामिल नहीं होती।
इस प्रोसेस से आम आदमी पर टैक्स के बोझ को काफी हद तक कम किया जा सकता है, और इन्वेस्टर को यह टैक्सेशन का एक ट्रांसपेरेंट तरीका प्रदान करता है। इसके इलावा यह इन्वेस्टर्स को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है।
कॉस्ट इनफ्लेशन रेट क्या होता है – Cost Inflation Rate kya hota hai
इनफ्लेशन यानी की महंगाई। विश्व के सभी देशों में महंगाई की दर हर साल बढ़ती है, जिससे पैसे की वैल्यू और खरीद की क्षमता में कमी आती है। इनफ्लेशन के तहत हर चीज का प्राइस बढ़ता है, और इसी महंगाई का असर हमारी इन्वेस्टमेंट से मिलने वाली रिटर्न पर भी पढ़ता है। CII यानी Cost Inflation Index का इस्तेमाल साल दर साल बड़े प्रोडक्ट और सर्विसेज के प्राइस को दर्शाने के लिए किया जाता है।
इंडेक्सेशन की कैलकुलेशन में भी CII का एक अहम रोल होता है। CII के टेबल से हमे हर फाइनेंशियल ईयर की इनफ्लेशन रेंज का पता चलता है, जिसे फॉर्मूला में अपनाकर हम कैपिटल गेन टैक्स में इंडेक्सेशन की कैलकुलेशन कर सकते है। CII का बेस ईयर 2001-2002 है, और 2023-24 का कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स नंबर 348 है। नीचे दिए गए टेबल में आप CII के नंबर 2001 से लेकर चल रहे फाइनेंशियल ईयर तक देख सकते है।
Financial Year | CII Rate |
---|---|
2001-02 | 100 |
2002-03 | 105 |
2003-04 | 109 |
2004-05 | 113 |
2005-06 | 117 |
2006-07 | 122 |
2007-08 | 129 |
2008-09 | 137 |
2009-10 | 148 |
2010-11 | 167 |
2011-12 | 184 |
2012-13 | 200 |
2013-14 | 220 |
2014-15 | 240 |
2015-16 | 254 |
2016-17 | 264 |
2017-18 | 272 |
2018-19 | 280 |
2019-20 | 289 |
2020-21 | 301 |
2021-22 | 317 |
2022-23 | 331 |
2023-24 | 348 |
इंडेक्सेशन का फॉर्मूला – Indexation ka formula
इंडेक्सेशन को नीचे दिए फॉर्मूले अनुसार कैलकुलेट किया जाता है:
Indexation = Original cost of acquisition * CII of the given year / CII of the base year
यहां:
Original cost of acquisition: यह एक एसेट को खरीदने के लिए लगाई गई कुल ट्रांजेक्शन कॉस्ट है, जिसमे ट्रांजेक्शन चार्जेस भी शामिल हो सकते है।
CII of the given year: जिस साल में आप ने एसेट को बेचा है, उस साल की CII दर.
CII of the base year: जिस साल में आप ने एसेट को खरीदा है, उस साल की CII दर.
अगर हम पहले बताई गई उदाहरण की वैल्यू को फॉर्मूला में इस्तेमाल करते है तो:
Indexation = 100,000*348 / 301= 115,610/-
इंडेक्सेशन के बाद का कैपिटल गेन: 200,000–115,610 = 84,390/-
यानी की इंडेक्सेशन का फायदा मिलने के बाद आपको 84,390/- पर टैक्स देना होगा, ना की 100,000/- पर।
इंडेक्सेशन के फायदे – Indexation ke fayde
टैक्स में कमी: इंडेक्सेशन के चलते आपकी टैक्स की देनदारी में कमी आती है। यह आपके लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के रूप में हुए प्रॉफिट से CII के रूप महंगाई की पर्सेंटेज को कुछ हद तक कम कर देता है। इससे आप अपनी इन्वेस्टमेंट पर हुए फायदे पर ज्यादा टैक्स देने से बच जाते है, और आपके असल प्रॉफिट की एक सही तस्वीर सामने आती है।
लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर के लिए उपयोगी: इंडेक्सेशन का बेनिफिट मुख्यता लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में लिया जा सकता है। वह लोग जो लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर है, यानी की अपनी इन्वेस्टमेंट में लंबे समय तक बने रहते है, उनके लिए यह काफी फायदेमंद है। यह एक तरह से लोगो को अपनी इन्वेस्टमेंट में ज्यादा समय तक बने रहने के लिए प्रेरित करता है, और यह उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।
देखा जाए तो शॉर्ट टर्म में ज्यादातर लोग रातों रात मुनाफा कमाने के पीछे भागते है, जिसमे कई बार वह अपना नुकसान कर बैठते है। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट में आप मार्केट की शॉर्ट टर्म वोलेटिलिटी पर ध्यान ना रखते हुए, अपने इन्वेस्टमेंट गोल पर टिके रहते है, जो ज्यादातर आपके लिए फायदेमंद ही साबित होता है।
इकोनॉमिक स्थिरता: इंडेक्सेशन, इन्फेक्शन के कारण हुई शॉर्ट टर्म गतिविधियों के प्रभाव को कम करता है। जब किसी इन्वेस्टमेंट के प्राइस को इंडेक्स किया जाता है, तो यह हमे महंगाई से होने वाले लॉन्ग टर्म लॉस के बारे में बताता है। इस से हमे यह बात जानने को मिलती है की ज्यादातर फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट असल में हमे इनफ्लेशन के बराबर रिटर्न तक नहीं दे पाते।
यह भी जानिए: Capital gains tax kya hai – कहां और कितना लागू होता है?
निष्कर्ष – Conclusion
अपनी की गई इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न का पूरा लाभ लेने के लिए इंडेक्सेशन एक बेहतरीन साधन है। अगर आपको भी बढ़ रही महंगाई की चिंता है, अगर आप अपने इन्वेस्टमेंट की रिटर्न को बढ़ाना चाहते है, और अगर आप टैक्स सेविंग का अच्छा तरीका खोज रहे है, तो इंडेक्सेशन इन सब बातो में आपकी काफी मदद कर सकता है। यह पैसों की खरीद की क्षमता को बनाए रखने और इन्वेस्टमेंट की वैल्यू को समय के साथ कम होने से रोकने में मदद करता है।
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