हमे अपनी सेविंग को बढ़ाने और उसपर बढ़िया रिटर्न पाने के लिए किसी ना किसी साधन में इन्वेस्ट करना पड़ता है। यह साधन म्यूचुअल फंड हो सकता है, बैंक FD हो सकती है या शेयर मार्केट में स्टॉक के रूप के हो सकता है। इन्वेस्ट करने से पहले या करने के बाद हम सब यह जानना चाहते है की हमारे द्वारा की जा रही इन्वेस्टमेंट पर कितनी रिटर्न मिल सकती है। इस रिटर्न को आमतौर एक परसेंटेज के तौर पर दर्शाया जाता है जिसे Absolute रिटर्न कहते है, लेकिन वहीं अगर आप किसी म्यूचुअल फंड स्कीम की रिटर्न को ट्रैक करेंगे तो वहां रिटर्न को CAGR के फॉर्म में दर्शाया जाता है। CAGR एक महत्वपूर्ण रेश्यो है जो हमारी अलग अलग समय पर की गई इन्वेस्टमेंट की एवरेज रिटर्न को निकालने में मदद करता है। आज के इस आर्टिकल “CAGR meaning in Hindi” में हम इसी रेश्यो के बारे जानने की कोशिश करेंगे और ये भी जानेंगे की इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है।
CAGR क्या होती है – CAGR meaning in Hindi
CAGR का मतलब होता है: कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (Compound Annual Growth Rate)
CAGR हमारे द्वारा की गई इन्वेस्टमेंट पर दिए गए टाइम पीरियड में मिल रही रिटर्न या ग्रोथ को कैलकुलेट करने में मदद करता है। आसान शब्दों में CAGR हमे यह जानने में मदद करता है की आपके द्वारा की गई इन्वेस्टमेंट ने एक निश्चित समय के बाद annually कितना रिटर्न दिया है। यह कंपाउंडिंग इंट्रेस्ट को कैलकुलेट करने के सबसे सही तरीके में से एक है।
अगर एक म्यूचुअल फंड स्कीम ने 1 लाख को तीन साल में 1 लाख 20 हजार रुपए किया है, तो यही कहा जाता है की आपकी इन्वेस्टमेंट पर मिली तीन साल की टोटल रिटर्न 20% है लेकिन म्यूच्यूअल फंड स्कीम की रिटर्न फिक्स्ड नहीं होती और यह संभव नहीं की तीनो ही सालो में इन्वेस्टमेंट की रिटर्न 20% ही रही हो। हो सकता है की पहले साल आपको 20% दूसरे साल 7% और तीसरे साल 30% रिटर्न मिली हो। ऐसे ही केस में हम तीनो सालो की एवरेज रिटर्न को निकालने के लिए CAGR का इस्तेमाल करते है। CAGR कैलकुलेशन के बाद जो रिटर्न आती है वह है 6.27%। यह तीन सालो की हर साल में मिली एवरेज रिटर्न को दर्शाता है।
CAGR कैसे काम करता है – CAGR kaise kaam karta hai
CAGR एक उपयोगी टूल है जो आपकी अलग-अलग समय पर की गई इन्वेस्टमेंट की प्रेजेंट वैल्यू के आधार पर हर साल की एवरेज रिटर्न को कैलकुलेट करने में मदद करता है। चलिए इसे नीचे दिए गए उदाहरण की मदद से समझने की कोशिश करते हैं:
मान लीजिए आपने 5 साल पहले 1 लाख की इन्वेस्टमेंट किसी म्युचुअल फंड स्कीम में की थी और अब उसकी वैल्यू 1 लाख 50 हजार रुपए हो चुकी है। सिंपल रिटर्न को हिसाब से हम कह सकते हैं की हमारी इन्वेस्टमेंट पर 5 सालाना रिटर्न 50% रही है, लेकिन इस रिटर्न से हमे इस बात का पता नहीं चलता की बीते पांच सालो में हर साल हमारी इन्वेस्टमेंट पर कितनी रिटर्न मिली है क्युकी म्यूचुअल फंड में रिटर्न गैरेंटेड नही होती और स्कीम के परफॉर्मेस के आधार पर हर साल इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न अलग अलग ही सकती है। इसलिए ऐसे केस में हम CAGR का इस्तेमाल करते है और इसके द्वारा जो रिटर्न निकल कर आती है वह है 8.45%, यानि की हर साल आपकी इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाली एवरेज रिटर्न है 8.45% ना की 50%।
CAGR कैसे कैलकुलेट करे – CAGR kaise calculate karen
CAGR को कैलकुलेट करने के लिए हमे सबसे पहले उस अमाउंट की जरूरत होती है जो हमारी शुरूआती इन्वेस्टमेंट है। इसके बाद वह वैल्यू जो हमे इन्वेस्टमेंट पर मिली रिटर्न को प्रिंसिपल वैल्यू में जमा करने पर मिलती है, यानी की आपकी इंवेस्टमेंट की प्रेजेंट वैल्यू। तीसरे नंबर पर हमे टाइम पीरियड यानी की जितने सालों के लिए इन्वेस्टमेंट की गई है उतने सालो की गिनती को ध्यान में रखना है। इन तीनों वैल्यू के पता होने पर नीचे दिए फॉर्मूले का उपयोग करे:
CAGR formula
CAGR = (Ending Value / Beginning Value)^(1 / Number of Years) – 1
मान लीजिए आपकी प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट अमाउंट है, 50,000
इन्वेस्टमेंट की प्रेजेंट वैल्यू है, 100,000
इन्वेस्टमेंट का टाइम पीरियड है 7 साल
इस हिसाब से CAGR बनेगी
CAGR = (100000 / 50000)^(1 / 7) – 1 = 10.41%
10.41% वह ऐवरेज परसेंटेज है जिसके हिसाब से आपकी इंवेस्टमेंट की वैल्यू हर साल बढ़ी है। CAGR कैलकुलेट करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अनुसार फॉर्मूले का फॉर्मेट नीचे दिए लिंक से आप डाउनलोड कर सकते है।
CAGR Calculator in Excel
CAGR के फायदे – CAGR ke fayde
CAGR हमे लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट प्लानिंग करने में मदद करता है। यह इन्वेस्टमेंट की सालाना एवरेज रिटर्न को रिप्रेजेंट करता है जिस से हम यह जान पाते है की अलग अलग मार्केट कंडीशन में एक म्यूचुअल फंड ने किस तरह से परफॉर्म किया है।
CAGR को कैलकुलेट करना बहुत ही आसान है। ऑनलाइन टूल्स और माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल आदि की मदद से इसे आसानी से कैलकुलेट किया जा सकता है। अगर आपके पास सॉफ्टवेयर उपलब्ध नहीं है तब भी आप बहुत ही आसानी से फार्मूले के अनुसार इस रिटर्न को कैलकुलेट कर सकते हैं।
CAGR को मदद से हम एक म्यूचुअल फंड की तुलना दूसरे म्यूचुअल फंड से कर सकते है और यह हमे एक सही इन्वेस्टमेंट निर्णय लेने में मदद करता है। CAGR हमे इन्वेस्टमेंट से जुड़े रिस्क को जानने में मदद करता है। अगर किसी म्यूच्यूअल फंड की CAGR लगातार पॉजिटिव रही है तो उसे एक कम रिस्क और अच्छी ग्रोथ के इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के तौर पर देखा जा सकता है।
CAGR के नुकसान – CAGR ke nuksaan
CAGR को निकालने के लिए सिर्फ दो वैल्यू का प्रयोग किया जाता है, वह है प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट अमाउंट और प्रेजेंट वैल्यू। इन्वेस्टमेंट के टेन्योर और अलग अलग मार्केट कंडीशन के कारण रिटर्न को volatility का सामना करना पड़ सकता है जिसे CAGR अकाउंट में नही लेता।
यह मुख्यता lumpsum इन्वेस्टमेंट के लिए अच्छा है। SIP इन्वेस्टमेंट के केस में कहां पैसे फिक्स्ड टाइम इंटरवल में इन्वेस्ट किए जाते है, यह ज्यादा कारागार नहीं है।
CAGR का इस्तेमाल ज्यादातर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की रिटर्न कैलकुलेट करने के लिए किया जाता है। शार्ट टर्म इन्वेस्टमेंट जिसमे कम समय में ज्यादा अमाउंट शामिल हो, की रिटर्न कैलकुलेशन में यह ज्यादा उपयोगी नहीं है।
CAGR की कैलकुलेशन में बाहरी फैक्टर जैसे की इकोनॉमिक फैक्टर, इंट्रेस्ट रेट आदि को अकाउंट में नहीं लिया जाता जिनका इन्वेस्टमेंट की परफॉर्मेस पर एक बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
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निष्कर्ष – Conclusion
फाइनेंशियल जगत में CAGR एक महत्वपूर्ण रेश्यो है जो हमारी इंवेस्टमेंट पर रिटर्न और लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल प्लानिंग को करने में मदद करता है। इसके जरिए हम अलग अलग इन्वेस्टमेंट ऑप्शन की तुलना करके बेहतर रिटर्न के लिए एक अच्छे टूल का चुनाव कर सकते है। लेकिन यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है की CAGR की भी अपनी कुछ लिमिटेशन है जैसे की यह सिर्फ लॉन्ग टर्म रिटर्न और lumpsum इंवेस्टमेंट में ही अच्छा काम करता है। SIP के केस में यह ज्यादा उपयोगी नही है क्युकी उसमे कई सारी इन्वेस्टमेंट रेगुलरली फिक्स्ड टाइम पीरियड के बाद की जाती है। संक्षेप में हम यह कह सकते है की CAGR एक उपयोगी टूल है, जिसकी मदद से हम इन्वेस्टमेंट की रिटर्न को कैलकुलेट और एनालाइज कर सकते है।