Surrender Value Meaning In Hindi – इंश्योरेंस में सरेंडर वैल्यू क्या होती है और इसे समझना क्यों है जरूरी

इंश्योरेंस पॉलिसियां खासकर लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी हमारी फाइनेंशियल प्लानिंग में एक अहम किरदार निभातीं है। यह ना सिर्फ हमें प्रोटेक्शन प्रदान करती है, बल्कि एक इन्वेस्टमेंट टूल की तरह भी काम करती है। लाइफ इंश्योरेंस से जुड़े कई सारे ऐसे टूल है जिसके बारे में लोगो को जानकारी नहीं है, अगर जानकारी है भी तो उसके इस्तेमाल के बारे में नहीं पता। सरेंडर वैल्यू भी इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण टूल है। ‘Surrender Value Meaning in Hindi’ इस आर्टिकल के जरिए हम सरेंडर वैल्यू के कॉन्सेप्ट को समझते हुए इसकी कैलकुलेशन के बारे में भी जानने की कोशिश करेंगे।

Surrender value meaning in Hindi

सरेंडर वैल्यू क्या होती है – Surrender Value Meaning in Hindi

सरेंडर वैल्यू वह अमाउंट होती है जो हमको तब मिलती है जब हम अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी को उसकी मैच्योरिटी से पहले टर्मिनेट कर देते है। यानी कि अगर आपकी एक इंश्योरेंस पॉलिसी है, और आप उसको मैच्योरिटी तक नहीं चलाना चाहते, तो इस समय पॉलिसी को टर्मिनेट करने पर इंश्योरेंस कंपनी आपको जिस अमाउंट का भुगतान करती है, उसे सरेंडर वैल्यू कहा जाता है।

सरेंडर वैल्यू का भुगतान पॉलिसी को कुछ समय तक चलाने के बाद ही किया जाता है, और इसके लिए हर पॉलिसी का अपना एक निर्धारित टाइम पीरियड होता है।

सरेंडर वैल्यू कितने प्रकार की होती है – Types of Surrender Value in Hindi

सरेंडर वैल्यू मुख्यता दो तरह की होती है, गारंटेड सरेंडर वैल्यू और स्पेशल सरेंडर वैल्यू।

गारंटेड सरेंडर वैल्यू: जैसा की नाम से ही जाहिर है, गारंटेड सरेंडर वैल्यू वह मिनिमम वैल्यू होती है, जो आपको मिलना तय होता है जब आप अपनी पॉलिसी समय से पहले टर्मिनेट करते है। यह पॉलिसी टर्म को एक निश्चित समय (3 से 5 साल) तक चलाने के बाद ही एप्लीकेबल होता है। आमतौर पर इसमें सरेंडर तक भरे गए सभी प्रीमियम, जिसमें पहला भर गया प्रीमियम अकाउंट में नहीं लिया जाता, शामिल होते है। इसमें किसी भी तरह के बोनस और राइडर के लिए भरे गए प्रीमियम शामिल नहीं होते है। सभी इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा मिलने वाली परसेंटेज और सरेंडर वैल्यू से जुड़ी सभी जरूरी बातों को पहले से ही डॉक्यूमेंट में दर्शाया गया होता है।

स्पेशल सेरेंडर वैल्यू: गारंटेड सरेंडर वैल्यू के ऊपर मिलने वाली अतिरिक्त सरेंडर वैल्यू को स्पेशल स्पेशल सरेंडर वैल्यू कहते है। यह वैल्यू कई सारे फैक्टर्स जैसे कि बोनस, सम एश्योर्ड, भरे गए प्रीमियम और पॉलिसी टर्म पर निर्भर करता है, और उनमें से सबसे जरूरी फैक्टर है, Paid up Policy। जब कोई व्यक्ति एक इंश्योरेंस पॉलिसी को खरीदे, पर उसके प्रीमियम को न भर पाए तो पॉलिसी Paid up Policy में बदल जाती है, जहां पर सम एश्योर्ड की वैल्यू भरे गए प्रीमियम तक सीमित हो जाती है।

सरेंडर वैल्यू का महत्व – Surrender Value ka mahatav

इमरजेंसी फंड्स की जरुरत: अगर आपको कभी भी इमरजेंसी फंड्स की जरुरत पड़ती है, तो आप इंश्योरेंस पालिसी को सरेंडर करके उसका इंतेज़ाम कर सकते है। इंश्योरेंस पालिसी में इस फीचर के होने के कारण अगर आपको फंड्स की जरुरत पड़ती है, और अगर आप अपनी पालिसी को आगे नहीं चलाना चाहते तो उसे सरेंडर कर सकते है।

बेहतर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन: अगर आपको अपनी चल रही इंश्योरेंस पालिसी से अच्छी कवरेज और अच्छी रिटर्न नहीं मिल रही है तो आप बाकि इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा ऑफर किए जा रहे प्लान से उनकी तुलना कर सकते है। अगर आपको कोई बेहतर प्लान मिलता है तो आप अपनी चल रही पालिसी को सरेंडर करके नई पालिसी में एनरोल हो सकते है। 

फाइनेंशियल गोल में बदलाव: उम्र और इनकम में बदलाव के साथ आपके फाइनेंशियल गोल भी बदल सकते है। अगर आपका फाइनेंशियल स्टेटस बदलता है तो आपको भविष्य में उसी अनुसार रिटर्न देने वाले इन्वेस्टमेंट और इंश्योरेंस प्रोडक्ट की जरुरत पड़ सकती है। ऐसे में अपने चल रहे प्लान को सरेंडर करके आप अपने फाइनेंशियल प्लान अनुसार किसी दूसरी पालिसी का चुनाव कर सकते है। 

इंश्योरेंस कवरेज की जरुरत न रहना: बदलते समय और फाइनेंशियल स्तिथि के अनुसार आपकी इनकम में भी बदलाव होता है। अगर कोई इंसान अपने बिजनेस या नौकरी में बहुत अच्छा परफॉर्म करता है, तो वह इतनी इनकम अर्जित कर सकता है की भविष्य में उसे किसी तरह की लाइफ प्रोटेक्शन या फंड्स के लिए इंश्योरेंस पर निर्भर न रहना पड़े। इस स्तिथि में भी वह इंश्योरेंस पालिसी को सरेंडर करने के बारे में विचार कर सकता है। 

पालिसी की परफॉरमेंस अच्छी न होना: कुछ केसेज, जैसे ULIP’s, जिनकी परफॉर्मेंस स्टॉक मार्केट से लिंक्ड होती है, अगर उनकी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं होती तो आप पालिसी को सरेंडर करके अपने लॉस्स को कट कर सकते है और बेहतर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन में रिन्वेस्ट कर सकते है। लेकिन इस बात का ध्यान रहे की ऐसी पालिसी में कुछ सालो का लॉक इन पीरियड होता है, जिसके बाद ही उसे सरेंडर किया जा सकता है। 

सरेंडर वैल्यू कैसे कैलकुलेट की जाती है – Surrender Value kaise calculate ki jaati hai

सरेंडर वैल्यू की कैलकुलेशन एक काम्प्लेक्स प्रोसेस होता है और यह हर प्रकार की पालिसी के लिए अलग अलग हो सकता है। इसकी कई सारे फैक्टर्स के ऊपर निर्भरता होने के कारण कॉम्प्लेक्सिटी बढ़ती है। इन फैक्टर्स में पालिसी की टाइप, पालिसी का टेन्योर, भरे गए प्रीमियम और बोनस आदि शामिल होते है। वैसे हर लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी कंपनी, अपनी वेबसाइट पर सरेंडर वैल्यू कैलकुलेटर का लिंक देती है। वहां पर आप सभी जरूरी जानकारी को डाल कर अपनी पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू को कैलकुलेट कर सकते है। दो मुख्य तरह की सरेंडर वैल्यू की कैलकुलेशन अलग अलग तरीकों से की जाती है, जिनके बारे में निचे बताया गया है।

गारंटेड सरेंडर वैल्यू कैलकुलेशन: समय से पहले पालिसी टर्मिनेट करने पर आपको गारंटेड सरेंडर वैल्यू का फायदा मिलता है। यह वो मिनिमम वैल्यू होती है, जो इंश्योरेंस कंपनी सरेंडर के केस में आपको देती है और यह पालिसी के कॉन्ट्रैक्ट में पहले से बताई गई होती है। यह वैल्यू कुल भरे गए प्रीमियम का 30% होती है जिसमें पहले साल के प्रीमियम को शामिल नहीं किया जाता। यह शर्ते तभी एप्लीकेबल होती है जब आपने कम से कम तीन साल तक प्रीमियम का भुगतान किया हो।

स्पेशल सरेंडर वैल्यू: स्पेशल सरेंडर वैल्यू उस केस में लागू होती है जब आप कुछ समय के बाद पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान बंद कर देते है, लेकिन पॉलिसी को उसी समय सरेंडर नहीं करते। इस केस में पॉलिसी तो चलती रहती है लेकिन समय बीतने के साथ उसका सम एश्योर्ड भी कम होता जाता है। ऐसे केस में सरेंडर वैल्यू को कैलकुलेट करने के लिए paid up value को सरेंडर वैल्यू फैक्टर से गुना किया जाता और अगर कुछ बोनस एप्लीकेबल हो तो उन्हें भी जमा किया जाता है। यहां Paid Up Value की कैलकुलेशन के किए नीचे दिए फार्मूले का इस्तेमाल किया जाता है:

Paid Up Value = Sum Assured x (Number of Paid Premiums / Number of Total Payable Premiums)

कौन सी पॉलिसी सरेंडर वैल्यू देती है – Kaun si policy Surrender Value deti hai

एक इंश्योरेंस पॉलिसी को सरेंडर करने से पहले इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि सभी इंश्योरेंस पॉलिसियां सरेंडर वैल्यू के साथ नहीं आती। पॉलिसी, जिनमें ULIP और Endowment शामिल है, उनमें लाइफ कवर के साथ सेविंग का कंपोनेंट भी होता है। यानी कि वह मैच्योरिटी तक कोई क्लेम ना लिए जाने पर आपको मैच्योरिटी बेनिफिट के रूप में कुछ रकम का भुगतान करती है। ऐसी ही पॉलिसियों को अगर आप सरेंडर करते हो तो आपको कुछ अमाउंट का वापिस भुगतान किया जाता है।

Pure लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी या टर्म प्लान जिनमें सेविंग का कोई भाग नहीं होता, सरेंडर करने पर टर्मिनेट कर दी जाती है। IRDAI के अनुसार इस केस में अगर प्रीमियम के पेमेंट का भुगतान 3 साल तक की गई है, तभी कुछ सरेंडर वैल्यू का भुगतान किया जाता है।

IRDAI पहले सात साल इस बात को निर्धारित करती है कि पॉलिसी को सरेंडर करने पर कितनी पेमेंट का भुगतान किया जाएगा। 3 सालों के भरे गए प्रीमियम के 30% का भुगतान किया जाता है चौथे से सातवें साल के बीच यह अमाउंट भरे गए प्रीमियम का 50% तक होती है।

लोग अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी क्यों सरेंडर करते है – Log Apni Insurance policy kyu surrender karte hai

एक इंश्योरेंस पालिसी को सरेंडर करने का कोई भी एक मुख्य कारण नहीं हो सकता है। ऐसे बहुत से कारण है, जिसके कारण एक व्यक्ति अपनी इंश्योरेंस पालिसी को सरेंडर कर सकता है। कहीं पर फाइनेंशियल दिक्कत के कारण भी इंसान पालिसी के चलने वाले प्रीमियम को नहीं भर पाता, इसलिए पालिसी को आगे न चलाने का विचार बना लेता है। अगर वह पालिसी उसे इनकम देने की बजाय उसके लिए फाइनेंशियल दिक्कत का कारण बन जाए तो उसे बंद करवा देना ही सही रहता है।

पालिसी को सरेंडर करने का दूसरा मुख्य कारण हो सकता है की इंश्योरेंस पालिसी का बेनिफिट लेने वाला कोई व्यक्ति बचा ही ना हो। यानि जिस बेनिफिशरी या नॉमिनी के लिए पालिसी को करवाया गया हो, उनकी मृत्यु के कारण पालिसी का फायदा लेने वाला कोई बचा ही ना हो। इस केस में भी लोग अपनी पालिसी को सरेंडर करने का विचार कर सकते है। 

इसके इलावा भी बहुत से कारण जैसे की, अच्छी फाइनेंशियल पोजीशन में होने के कारण, इंश्योरेंस पालिसी की कोई जरुरत न रहना या किसी बेहतर प्लान में इन्वेस्ट करने के लिए भी इंश्योरेंस पालिसी को सरेंडर किया जा सकता है। 

इंश्योरेंस पॉलिसी को कैसे सरेंडर करें – Insurance Policy ko kaise surrender kare

हर इंश्योरेंस कंपनी के सरेंडर प्रोसेस एक दूसरे से अलग हो सकते है। इस लिए जरुरी यह है की इंश्योरेंस पालिसी में सरेंडर से जुड़े सभी नियम और प्रोसेस को ध्यान से पढ़ लें। आमतौर पर सभी पालिसियों में सरेंडर को लेकर निचे दिए स्टेप्स शामिल होते है, जिसके लिए जरुरी निचे दिए डॉक्यूमेंट इक्ट्ठा कर लें :

  • असल पालिसी डॉक्यूमेंट 
  • सरेंडर फॉर्म
  • बैंक प्रूफ 
  • सेल्फ अटेस्टेड ID प्रूफ
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  1. इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी की ब्रांच या अपने इंश्योरेंस एजेंट से संपर्क करें। 
  2. सभी फॉर्म्स को भरकर जरुरी डाक्यूमेंट्स के साथ सबमिट करवा दें। 
  3. इंश्योरेंस कंपनी आपकी सरेंडर रिक्वेस्ट को प्रोसेस कर देगा और कुछ ही समय में सरेंडर अमाउंट आपके बैंक अकाउंट में क्रेडिट कर दी जाएगी। 

इसके इलावा आप ऑनलाइन माध्यम से भी आसानी से अपनी पॉलिसी को सरेंडर कर सकते है। इसके लिए आपको अपनी इंश्योरेंस कंपनी के ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर लॉग इन करना होगा। कुछ ही स्टेप्स को फॉलो करके आप वहां अपनी पॉलिसी को सरेंडर कर सकते है।

सरेंडर वैल्यू से जुड़ी IRDAI की नई गाइडलाइंस – Surrender Value se judi IRDAI ki nayi guidelines

1 अक्टूबर 2024 से IRDAI ने इंश्योरेंस पालिसियों के लिए और सरेंडर वैल्यू से जुड़े कुछ नई गाइडलाइंस जारी की है। इन गाइडलाइंस के मुताबिक:

  • इंश्योरेंस कम्पनी को सभी इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ CIS(Customer Information Sheet) की एक कॉपी देना अनिवार्य कर दिया गया है। इस शीट में पॉलिसी से जुड़े सभी जरूरी फीचर, एक्सक्लूजन और बेनिफिट दर्शाए जाते हैं।
  • 1 अक्टूबर 2024 से इंश्योरेंस कंपनियों को ट्रेडिशनल एंडोमेंट पॉलिसी पर ज्यादा सरेंडर वैल्यू ऑफर करने का प्रावधान है। यानी कि पॉलिसी होल्डर को ज्यादा अमाउंट का भुगतान किया जाएगा अगर वह शुरुआती समय में ही पॉलिसी बंद करवा देता है।
  • लाइफ इंश्योरेंस पालिसियों के लिए फ्री लॉक इन पीरियड 15 दिनों से बढ़ाकर 30 दिन कर दिया गया है। फ्री लॉक इन पीरियड वह पीरियड होता है जिसके दौरान इन्वेस्टर नई पॉलिसी लेने के बाद उसकी टर्म और कंडीशन को जांच सकते है और कुछ उनके अनुरूप ना होने पर पॉलिसी को कैंसिल भी कर सकते है।
  • लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी जिनमें सेविंग का भाग होता है, पर लोन ऑन इंश्योरेंस को अनिवार्य कर दिया गया है। यानी कि बीमाधारक व्यक्ति अपनी पॉलिसी के बदले लोन भी ले सकता है।
  • अब ऐसे हेल्थ राइडर उपलब्ध होंगे जो पॉलिसी को सरेंडर करे बिना ही हेल्थ से जुड़ी इमरजेंसी को कवर करेंगे।
  • आप पेंशन इंश्योरेंस पालिसियों के अंतर्गत पार्शियल विथड्रावल भी ले सकेंगे।
  • शिकायतों के समाधान के लिए एक मजबूत सिस्टम निर्माण किया जाएगा।
  • इंश्योरेंस कंपनियों को अपने IT सिस्टम में ऐसे बदलाव करने होंगे जिस से वह डिजिलॉकर से डाटा शेयर कर सकें।
  • पॉलिसी की प्रोसेसिंग, क्लेम और सेटलमेंट के लिए टर्नअराउंड टाइम की स्थापना की जाएगी।
  • हर इंश्योरेंस कंपनी को एक सिटिजन चार्टर का निर्माण करना होगा जो कम्पनी के सर्विस स्टैंडर्ड के बारे में जानकारी देता हो।

इन बदलावों के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप इस लिंक से IRDAI के सर्कुलर को पढ़ सकते है।

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निष्कर्ष – Conclusion 

सरेंडर वैल्यू इंश्योरेंस पॉलिसी का एक महत्वपूर्ण पहलू होता है और एक बीमा बीमाधारक के तौर पर हमे इसकी जानकारी जरूर होनी चाहिए। सरेंडर वैल्यू की कैलकुलेशन सभी पॉलिसी में पहले से निर्धारित होती और पॉलिसी के प्रीमियम, टेन्योर समेत कई कारकों पर निर्भर करती है। स्पेशल सरेंडर वैल्यू आमतौर पर ज्यादा होती है, लेकिन गारंटेड सरेंडर वैल्यू भी एक सेफ्टी नेट की तरह काम करता है। किसी भी पॉलिसी को सरेंडर करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर या इंश्योरेंस प्रोफेशनल को मदद जरूर लें, और तभी कोई निर्णय लें।

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