Rolling Returns Meaning in Hindi – म्यूचुअल फंड में रोलिंग रिटर्न क्या होती है और क्यों इस्तेमाल की जाती है

किसी भी तरह की म्यूचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करने के लिए हम उस फंड की रिटर्न को जरूर चेक करते है। यह रिटर्न कई तरह की होती है जैसे एनुअल रिटर्न, एब्सोल्यूट रिटर्न और CAGR आदि। इन्हीं रिटर्न में से एक रोलिंग रिटर्न की मदद से इन्वेस्टर अपनी इन्वेस्टमेंट को बेहतर ढंग से एनालाइज कर सकते है। इस रिटर्न की मदद से हम एक फिक्स्ड टाइम पीरियड में फंड द्वारा दी गई एवरेज रिटर्न का पता लगा सकते है। आज के आर्टिकल ’Rolling Returns Meaning in Hindi’ में हम इसी रिटर्न को समझने की कोशिश करेंगे और इसके कैलकुलेशन के तरीके को भी जानेंगे।

Rolling Returns Meaning in Hindi

रोलिंग रिटर्न क्या होती है – Rolling Returns Meaning in Hindi

रोलिंग रिटर्न एक म्यूचुअल फंड स्कीम की दिए गए निश्चित टाइम पीरियड की एवरेज रिटर्न होती है। यह हमे म्यूचुअल फंड स्कीम के लगातार दिए गए परफॉर्मेंस के बारे में बताता है। यानी कि एक फंड ने लगातार कितनी अच्छी तरह से परफॉर्म किया है। आमतौर पर रोलिंग रिटर्न को फंड के भविष्य की परफॉर्मेंस का अंदाजा लगाने के लिए बेस्ट पैरामीटर के तौर पर देखा जाता है।

उदाहरण के लिए अगर आप किसी फंड की पिछले 5 साल की रोलिंग रिटर्न देखना चाहेंगे तो वह उस फंड की पिछले 5 सालों के दौरान हर दिन, हर महीने और हर क्वार्टर की रिटर्न का विश्लेषण करेगा। यहां आप इस बात को नोटिस करेंगे कि जहां बाकी रिटर्न मापने के तरीके में प्वाइंट to प्वाइंट रिटर्न पर ध्यान दिया जाता है, यानी वह शुरुआती तारीख से अंत की तारीख की परफॉर्मेंस के आधार पर रिटर्न को दर्शाते है, वहीं रोलिंग रिटर्न में शुरू से अंत की तारीख के बीच में फंड की वोलैटिलिटी और परफॉर्मेंस को भी ध्यान में रखा जाता है।

रोलिंग रिटर्न का महत्व – Rolling Return ka mahatav

बेहतर इन्वेस्टमेंट निर्णय: रोलिंग रिटर्न की मदद से हम दो या दो से ज्यादा म्यूचुअल फंड की तुलना कर सकते है। इससे हम यह जान पाते है कि कौन सा फंड अलग अलग परिस्थितियों में लगातार बेहतर परफॉर्मेंस दे रहा है।

इन्वेस्टमेंट में शामिल रिस्क की तुलना: रोलिंग रिटर्न की मदद से यह समझा जा सकता है कि फंड ने रिस्क को किस तरह से मैनेज किया है। अगर किसी फंड की रिटर्न हमेशा स्थिर है तो यह समझा जा सकता है कि वह फंड कम रिस्क के साथ अच्छा परफॉर्म कर रहा है।

लॉन्ग टर्म निर्णय लेने में सहायक: रोलिंग रिटर्न में हम ज्यादा महत्व शॉर्ट के मुकाबले लांग टर्म की परफॉर्मेंस को देते है। इसलिए वह इन्वेस्टर जो लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट प्लानिंग कर रहे है, उनके लिए रोलिंग रिटर्न काफी महत्वपूर्ण हो सकती है।

फंड मैनेजर की क्षमता का आंकलन: रोलिंग रिटर्न से यह पता चलता है कि फंड मैनेजर ने विभिन्न परिस्थितियों में फंड की परफॉर्मेंस को किस तरह से संभाला है। अगर फंड की परफॉर्मेंस स्थिर नहीं है, तो फंड मैनेजर की क्षमता पर सवाल उठ सकता है।

रोलिंग रिटर्न की कैलकुलेशन – Rolling Return ki Calculation

म्यूचुअल फंड में रोलिंग रिटर्न का इस्तेमाल फंड की परफॉर्मेंस और लगातार दी गई रिटर्न को एनालाइज करने के लिए किया जाता है। यह एक बेहतर तरीका है जो सिर्फ एक निश्चित अवधि की रिटर्न पर निर्भर नहीं करता बल्कि इसे टाइम के अलग अलग हिस्सों में देखा जाता है।

रोलिंग रिटर्न की कैलकुलेशन में शामिल स्टेप्स:

टाइम पीरियड सुनिश्चित करें: पहले वह समय अवधि निर्धारित करें, जिस अवधि की रोलिंग रिटर्न आप कैलकुलेट करना चाहते है, जैसे कि 1 साल, 3 साल, 5 साल आदि।

डेटा लें: इन्वेस्टमेंट स्कीम की हिस्टोरिकल NAV का डेटा इकठ्ठा करें। जैसे की एक फंड की पिछले 10 सालो का NAV का डेटा।

रोलिंग विंडो बनाए: चुनी गई रोलिंग विंडो के हिसाब से समय को भागो में बांटे। उदाहरण के लिए 3 साल की रोलिंग विंडो के लिए आपको 3 साल की पहली और अंतिम NAV के बीच की रिटर्न निकालनी होगी।

अगले टाइम पीरियड की शुरुआत करें: पहले बताए स्टेप अनुसार फिर से अगली अवधि की शुरुआती और अंतिम NAV की रिटर्न को कैलकुलेट करें। ऐसे ही हर टाइम पीरियड की कैलकुलेशन के लिए इसी स्टेप को बार बार दोहराएं।

एवरेज निकलें: अगर आप सभी रिटर्न की एवरेज को निकालना चाहते है तो निकाल सकते है। 

उदाहरण के लिए आपके पास 6 साल से NAV का डेटा है, और आप 3 साल की रोलिंग रिटर्न की कैलकुलेशन करना चाहते है। इसके लिए:

पहली रोलिंग विंडो: 2018 – 2021

दूसरी रोलिंग विंडो: 2019 – 2022

तीसरी रोलिंग विंडो: 2020 – 2023

हर विंडो की रिटर्न को कैलकुलेट करने के लिए नीचे दिए फार्मूले का इस्तेमाल किया जाता है:

 [(Ending NAV / Starting NAV)^(1/3)] – 1

फार्मूले के इस्तेमाल करते हुए:

शुरूआती NAV: 100

अंतिम NAV: 120

रिटर्न = [(120 / 100)^(1/3)] – 1 = 6.26%

आगे साल के लिए

शुरूआती NAV: 130

अंतिम NAV: 150

रिटर्न = [(150 / 130)^(1/3)] – 1 = 4.88%

उससे अगले साल के लिए

शुरूआती NAV: 160

अंतिम NAV: 180

रिटर्न = [(180 / 160)^(1/3)] – 1 = 4.01%

अगर तीनों सालों की रोलिंग रिटर्न की एवरेज निकले तो यह आती है: 5.05%

अगर आप फंड को और बारीकी से एनालाइज करना चाहते है तो आप दैनिक आधार पर भी रिटर्न को कैलकुलेट कर सकते है।

रोलिंग रिटर्न को कहां पर देखें – Rolling Return ko kahan par dekhen

आप हर म्यूचुअल फंड स्कीम की रोलिंग रिटर्न को विभिन्न फाइनेंशियल प्लेटफार्म और टूल्स के माध्यम से देख सकते है। यहां पर आप अलग अलग टाइम फ्रेम पर रोलिंग रिटर्न और फंड की परफॉर्मेंस की तुलना कर सकते है। इन माध्यमों में शामिल है:

फाइनेंशियल वेबसाइट: जैसे कि advisorkhoj, valuereasech आदि।

ऑनलाइन ब्रोकर: जैसे groww, etmoney आदि।

AMC वेबसाइट: जैसे HDFC AMC, SBI AMC आदि।

माइक्रोसॉफ्ट Excel और गूगल शीट्स का इस्तेमाल करके: उपर बताए माध्यम द्वारा आप रोलिंग रिटर्न को खुद भी इन सॉफ्टवेयर की मदद से कैलकुलेट कर सकते है।

रोलिंग रिटर्न की सीमाएं – Rolling Return ki Simayen

जटिल कैलकुलेशन: एक फंड की रोलिंग रिटर्न को कैलकुलेट करने के लिए आपको कई सारे टाइम इंटरवल को अकाउंट में लेना पड़ता है। यह एक मुश्किल और ज्यादा समय लेने वाला प्रोसेस होता है जिसे समझने में आम लोगों को परेशानी हो सकती है।

बेंचमार्क पर निर्भरता: रोलिंग रिटर्न की तुलना करने के लिए हमे सही बेंचमार्क की जरूरत होती है। अगर सही बेंचमार्क का चयन न किया जाए तो मिलने वाला रिजल्ट सही डेटा को नहीं दर्शा पाता।

हिस्टोरिकल डेटा पर निर्भरता: रोलिंग रिटर्न सिर्फ हिस्टोरिकल डेटा के आधार पर कैलकुलेट की जाती है और हिस्टोरिकल डेटा भविष्य की परफॉर्मेंस की गारंटी नहीं देता। वर्तमान और भविष्य की मार्केट परिस्थिति अलग होने के कारण मिलने रिटर्न काफी हद तक प्रभावित हो सकती है।

यह भी जाने: Trailing Return Meaning In Hindi – म्यूचुअल फंड में ट्रेलिंग रिटर्न क्या होती है और कैसे काम करती है

निष्कर्ष – Conclusion

रोलिंग रिटर्न म्यूचुअल फंड की लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस की तुलना करने का एक महत्वपूर्ण टूल है। इसकी मदद से हम यह समझ पाते है कि फंड ने अलग अलग टाइम पीरियड में किस तरह से परफॉर्म किया है। अगर आप म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच रहे है, तो रोलिंग रिटर्न की तरफ जरूर ध्यान दें। इससे आप यह समझ पाएंगे कि फंड आपकी जरूरतों के अनुसार सही है या नहीं। इस बात पर ध्यान दे कि सही इन्वेस्टमेंट निर्णय लेने में स्कीम को एनालाइज करना बहुत जरूरी है, और रोलिंग रिटर्न इसमें आपकी मदद करता है।

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