Retirement Planning in Hindi – रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों जरूरी है, कैसे और कब करें शुरू

हम सभी अपने और अपने परिवार के बेहतर भविष्य के लिए रोज मेहनत करते है और पैसे कमाते है। इसी की मदद से हम उन्हे एक अच्छा जीवन देते है, और आत्मनिर्भर बनने में मदद करते है। हमारे पूरे जीवनकाल के दौरान हमे कई तरह के फाइनेंशियल गोल्स के बारे में प्लानिंग करनी पड़ती है, जैसे की शादी, बच्चो की पढ़ाई, उनकी शादी, नया घर आदि। इन्हीं में से जिंदगी का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, रिटायरमेंट। रिटायरमेंट यानी हमारे काम करने की उम्र निकल जाने के बाद का समय। एक अच्छी रिटायरमेंट के लिए एक अच्छी प्लानिंग की भी जरूरत है, जो हमे बिना किसी पर निर्भर हुए, स्वाभिमान से एक अच्छा जीवन जीने में मदद करे। आज का आर्टिकल ‘Retirement planning in Hindi’ हमे रिटायरमेंट प्लानिंग के बारे में विस्तार में समझाएगा, जिससे आप अपने भविष्य के लिए अच्छे से योजना बना सकें।

Retirement Planning in Hindi
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रिटायरमेंट प्लानिंग क्या है – What is Retirement planning in Hindi

रिटायरमेंट प्लानिंग एक ऐसा प्रोसेस है, जो आपको अपनी नौकरी के बाद के दिनों के लिए फंडिंग का इंतजाम करने में मदद करता है। इसके तहत आप आज अपने भविष्य के दिनों के लिए सेविंग और इन्वेस्टमेंट करते है, ताकि जब आपके पास इनकम का कोई सोर्स ना हो, तब भी आप एक बेहतर जीवन जी पाएं। यह आपको फाइनेंशियल फ्रीडम और फाइनेंशियल सिक्योरिटी के साथ अपने रिटायरमेंट के सालों में ज़िंदगी का मज़ा लेने के लिए त्यार करता है। इस तरह की प्लानिंग में आप अपने फाइनेंशियल लक्ष्यों, खर्चों और इनकम के स्रोतों को ध्यान में रखते हुए सेविंग और इन्वेस्टमेंट करते है।

रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों जरूरी है – Retirement planning kyu jaruri hai

फाइनेंशियल सिक्योरिटी: जब आप रिटायरमेंट लेते हैं तो आपकी रेगुलर इनकम बंद हो जाती है, लेकिन आपके खर्च बंद नही होते। इसलिए, रिटायरमेंट प्लानिंग ज़रूरी है ताकि आप अपनी बुनियादी जरूरतें और जीवनशैली को बनाए रखने के लिए जरूरी पैसों का इंतजाम कर सकें।

स्वास्थ्य खर्च: उम्र के साथ स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं, और स्वास्थ्य खर्च भी। एक अच्छा रिटायरमेंट प्लान आपको इन दोनो से निपटने के लिए त्यार करता है।

इनफ्लेशन: महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। आज जो चीजें सस्ती हैं, वे भविष्य में महंगी हो सकती हैं। इसलिए आप जिन चीजों की भविष्य में पूर्ति के लिए सेविंग कर रहें है, हो सकता है तब उनका दाम आज के  मुकाबले कहीं ज्यादा हो। इसलिए एक अच्छे रिटायरमेंट इन्वेस्टमेंट प्लान को लेना जरूरी है, जो आपको आज के नही, बल्कि भविष्य के खर्चों के लिए भी त्यार करे।

जीवनशैली का रखरखाव: हर कोई चाहता है की जैसी जीवनशैली वह आज जी रहे है, रिटायरमेंट के बाद भी उसी तरह की जीवनशैली पर बरकरार रहें। इस लिहाज से भी रिटायरमेंट प्लानिंग जरूरी हो जाती है, ताकि आप बिना किसी समझौते के अपने बुढ़ापे के दिनों में भी आसानी से जीवन का आनंद उठा पाएं।

रिटायरमेंट प्लानिंग कब शुरू करें – Retirement planning kab shuru karen

रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू करने के लिए कोई भी बना बनाया गया नियम नहीं है, लेकिन आप इसे जितनी जल्दी शुरू कर सके उतना ही अच्छा है। जीवन के अन्य लक्ष्यों की तरह ही रिटायरमेंट प्लानिंग हमारे फाइनेंशियल प्लान का अहम भाग होना चाहिए, और इसे ज्यादा जल्दी शुरू करने से आप रिटायरमेंट के लिए उतना ही अच्छा फंड इक्ट्ठा कर पाएंगे। उम्र के हर पड़ाव के अनुसार रिटायरमेंट प्लानिंग की त्यारी भी थोड़ी अलग तरह से करनी पड़ सकती है। अगर आप अपने शुरुआती दिनों, यानी की 20 से 30 की उम्र में ही इस पर ध्यान दे रहे है, तो आप इसके लिए कुछ अलग से फंड्स सेविंग और इन्वेस्टमेंट के तौर पर रख सकते है। लॉन्ग टर्म में यह इन्वेस्टमेंट कंपाउंडिंग की मदद से आपके लिए एक अच्छा फंडिंग का स्त्रोत बनाने में मदद करता है।

वहीं अगर आप उम्र के एक पड़ाव को पार कर चुके है, यानी 30 की उम्र के बाद इसके बारे में सोच रहे है, तो इस समय में आपके पास कई सारी जिम्मेदारियां और ऐसे इंस्टालमेंट होंगे, जिनके भुगतान में आपकी ज्यादातर इनकम खर्च हो जाती है। इस स्तिथि में आपको अपनी जेब और खर्चों दोनो को ध्यान में रखकर ही किसी तरह का कदम उठाना पड़ता है।

जब आप रिटायरमेंट के काफी नजदीक हो, यानी 50 के लगभग तो आपको इसके लिए अलग तरह से त्यारी करनी पड़ती है। ऐसे में आप अपनी ज्यादातर जिम्मेवारियों से मुक्त हों चुके होते है, और आपको एक ऐसे साधन का चुनाव करना होगा, जो आपको कम समय में एक अच्छा रिटायरमेंट पूल बना कर दे सके।

रिटायरमेंट प्लानिंग कैसे करें – Retirement planning kaise karen

रिटायरमेंट की उम्र निश्चित करें: किसी भी तरह की प्लानिंग करने से पहले आपके मन में यह बात जरूर साफ होनी चाहिए की आप किस उम्र में रिटायरमेंट लेने के बारे में सोच रहे है। ज्यादातर लोगो के मन यह उम्र 60 की हो सकती है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह इससे कम या ज्यादा भी हो सकती है। उम्र कुछ भी हो, आपको अपने रिटायरमेंट को प्लान करते समय रिटायरमेंट की उम्र को सबसे पहले निर्धारित करना होगा।

फाइनेंशियल गोल सेट करें: सबसे पहले आपको अपने फाइनेंशियल गोल सेट करने की जरूरत पड़ेगी। आपकी उम्र के अनुसार ये लक्ष्य शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह के हो सकते हैं। आपको इस बात का चयन करना होगा कि आप अपनी रिटायरमेंट के बाद कैसा जीवन जीना चाहते हैं, और उस तरह का जीवन जीने के लिए आपको कितने फंड्स की जरूरत पड़ेगी। जिस किसी भी अमाउंट तक आप पहुंचे, उसमे मंहगाई की दर यानी इनफ्लेशन को जरूर ध्यान में लेके चले, क्युकी आने वाले समय में आज तय की गई अमाउंट की वैल्यू इनफ्लेशन के कारण ज्यादा हो सकती है।

वर्तमान फाइनेंशियल कंडीशन का आकलन करें: रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय अपनी वर्तमान फाइनेंशियल कंडीशन का मूल्यांकन करना भी ज़रूरी है। इसमें आपकी सभी सेविंग्स, इन्वेस्टमेंट, प्रॉपर्टी और देनदारियाँ आती हैं। इसके आधार पर आप इस बात का अनुमान लगा सकते है की आपके निर्धारित किए लक्ष्य में से कितनी रकम अभी तक आपके पास पहले से है।

रिटायरमेंट कॉर्पस कैलकुलेट करें: रिटायरमेंट कॉर्पस का मतलब है वो राशि जो आपको रिटायरमेंट के बाद चाहिए होगी। इसके लिए आपको अपने भविष्य में संभावित खर्चों और आय स्रोतों को ध्यान में रखना होगा। अगर आपके खर्चे आय के स्त्रोतों से ज्यादा है, तो बाकी बचे खर्चों के लिए आपको जरूरी रिटायरमेंट साधन का चुनाव करना होगा।

इन्वेस्टमेंट प्लान: इन्वेस्टमेंट प्लान में ऐसे साधन शामिल हो सकते है जो आपकी सेविंग को विभिन्न एसेट में इन्वेस्ट करके एक अच्छा लॉन्ग टर्म कॉर्पस बना सके। इसमें आप विभिन्न इन्वेस्टमेंट साधन जैसे म्यूचुअल फंड्स, पीपीएफ, ईपीएफ, स्टॉक्स, बॉन्ड्स आदि को ध्यान में रख सकते हैं।

रिस्क मैनेजमेंट: रिटायरमेंट प्लानिंग का अहम भाग रिस्क मैनेजमेंट भी हो सकता है। आपको अपनी सभी रिटायरमेंट से जुड़ी इन्वेस्टमेंट को डाइवर्सिफाई करना होगा, ताकि उसमे शामिल रिस्क को कम किया जा सके।

रेगुलर चेकिंग: आपको अपने रिटायरमेंट प्लान को नियमित रूप से रिव्यू करना होगा जिसके दौरान आपको जरूरत पड़ने पर कुछ जरूरी बदलाव भी करने पड़ सकते है।

भारत में उपलब्ध रिटायरमेंट प्लान ऑप्शन – Bharat main uplabdh retirement plan option

एम्प्लॉय प्रोविडेंट फंड (EPFO): यह एक सरकारी योजना है जिसमें आपकी सैलरी का कुछ हिस्सा ऑटोमैटिकली इन्वेस्ट होता है। इस प्लान का मुख्य उद्देश्य कम इनकम वाले लोगो को अपनी रिटायरमेंट के लिए एक अच्छी फंडिंग जुटाने में मदद करना होता है। इसके तहत आपकी सैलरी से कुछ हिस्सा और एंप्लॉयर का कुछ कांट्रिब्यूशन EPFO स्कीम में इन्वेस्ट किया जाता है, जिसपर सरकार की तरफ से ब्याज के तौर पर सालाना अच्छी रिटर्न मिलती है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF): यह भी एक सरकारी योजना है जिसमें आप सालाना एक फिक्स्ड अमाउंट इन्वेस्ट कर सकते हैं। इस सालाना इन्वेस्टमेंट की लिमिट सिर्फ 1.5 लाख है, यानी की आप इससे ज्यादा राशि एक साल में इसमें इन्वेस्ट नही कर सकते। इसका लॉक इन पीरियड 15 साल का होता है, और इसकी इस समय की ब्याज दर 7.1% है। इस ब्याज दर को हर क्वार्टर में बदला जाता है।

म्यूचुअल फंड्स: म्यूचुअल फंड्स में आप अपने पैसे को डायवर्सिफाई कर सकते हैं। आप अपनी जोखिम झेलने की क्षमता के हिसाब से इक्विटी, डेट या बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड्स चुन सकते हैं, जिसमे आपको मार्केट से लिंक्ड रिटर्न होने के कारण लॉन्ग टर्म में एक अच्छी रिटर्न का फायदा मिलता है। यह रिटर्न इन्वेस्टमेंट के बाकी साधनों की तुलना में कई बेहतर होती है और इस पर कंपाउडिंग का फायदा भी मिलता है। विभिन्न म्यूच्यूअल फंड की तुलना करने और उसमे इन्वेस्टमेंट करने के लिए आप Groww और ETmoney जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर सकते है। 

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS): NPS भी एक सरकारी पेंशन योजना है जिसमें आप नियमित योगदान कर सकते हैं। कई सरकारी विभागों में कर्मचारियों को रिटायरमेंट बेनिफिट के तौर पर इसमें इनरोल किया जाता है। 60 साल के बाद इससे आपको एक फिक्स्ड मंथली पेंशन और एक लंपसम राशि का भुगतान किया जाता है। ऑनलाइन NPS अकाउंट खुलवाने के लिए आप इस लिंक का प्रयोग कर सकते है। 

फिक्स्ड डिपॉजिट्स (FDs) और रियल एस्टेट: फिक्स्ड डिपॉजिट्स एक कम रिस्क वाला इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है जिसमें आप अपनी सुविधा के अनुसार अमाउंट और टेन्योर चुन सकते हैं। टेन्योर की मैच्योरिटी आ जाने पर आपको अपनी इन्वेस्ट की गई अमाउंट इंट्रेस्ट समेत वापिस कर दी जाती है। रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट भी एक अच्छा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है, लेकिन इसमें लिक्विडिटी की कमी हो सकती हैं। अगर आप लॉन्ग-टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं, तो इस विकल्प को ध्यान में रख सकते हैं।

एन्युटी प्लान या पेंशन प्लान: एन्युटी प्लान विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा बनाए गए पेंशन प्लान होते है, जो मुख्यतौर पर आपकी रिटायरमेंट के बाद की इनकम का इंतज़ाम करने में मदद करते है। इन प्लान्स के अंतर्गत आप एकमुश्त राशि का भुगतान एक ही बार में या रेगुलर प्रीमियम के रूप में तय सालो के लिए इंश्योरेंस कंपनी को करते है। इसके बदले लिए गए प्लान के अनुसार आपको रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में कुछ रकम का भुगतान हर महीने या हर साल किया जाता है। लगभग हर इंश्योरेंस कंपनी द्वारा यह प्लान ऑफर किए जाते है, और हर प्लान की अपनी अलग विशेषताएं और फायदे हो सकते है। 

रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें – Retirement planning karte samay dhyan rakhne yogya baate

जल्द शुरुआत: ज्यादातर लोग अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग को देर से शुरू करते हैं। इससे उन्हें सेविंग और इन्वेस्टमेंट करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता, और जिस कॉर्पस की हमे जरूरत होती है, वह नही बन पाता। इसलिए जरूरी है की अपने रिटायरमेंट प्लान पर आप जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी ध्यान देना शुरू कर दें।

खर्चों को कम आंकना: कई लोग अपने भविष्य के खर्चों को कम आंक लेते हैं। यह एक बड़ी गलती है, क्योंकि आपको अपनी जीवनशैली और स्वास्थ्य संबंधी खर्चों को ध्यान में रखकर ही किसी तरह की रिटायरमेंट से जुड़ी इन्वेस्टमेंट करनी पड़ती है। हो सकता है, वर्तमान समय के हिसाब से आपकी कैलकुलेशन सही हो, लेकिन भविष्य में होने वाले खर्चों पर महंगाई से बड़ने के साथ बढ़ोतरी भी हो सकती है।

इन्वेस्टमेंट को डायवर्सिफाई न करना: डाइवर्सिफिकेशन, यानी की अपने इन्वेस्ट किए जाने वाले पैसों को एक ही जगह न रखकर अलग अलग साधनों में बांटना। अगर आप रिटायरमेंट के लिए इन्वेस्टमेंट कर रहे है, तो इसे डायवर्सिफाई न करना भी एक बड़ी गलती है। एक ही इन्वेस्टमेंट के ऑप्शन पर निर्भर रहने से आपका रिस्क बड़ सकता है। इसलिए हमेशा अपना पैसा हाई रिटर्न और स्टेबल रिटर्न वाले इंस्ट्रूमेंट में बांट कर चले।

रेगुलर रिव्यू ना करना: अगर आपने रिटायरमेंट प्लान के लिए इन्वेस्टमेंट शुरू कर दी है तो उसे नियमित तौर पर रिव्यू करना भी जरूरी है। आमतौर पर सरकारी नियमों और इकोनॉमिक गतिविधियों के कारण मार्केट कंडीशन बदलती रहती हैं। हो सकता है, आपके द्वारा चुने गए साधन की रिटर्न पर इन फैक्टर्स का अच्छा प्रभाव न पड़े। ऐसी स्थिति में आपको अपनी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी को बदलना भी पड़ सकता है।

यह भी जाने: Diversification meaning in hindi – जानिए इन्वेस्टमेंट में डाइवर्सिफिकेशन क्या है और क्यों जरुरी है

निष्कर्ष – Conclusion

रिटायरमेंट प्लानिंग एक जरूरी पहलू है जो आपको अपने भविष्य की फाइनेंशियल सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करता है। इसमें आपको अपने फाइनेंशियल गोल सेट करने पड़ते हैं, वर्तमान फाइनेंशियल स्थिति का आकलन करना पड़ता है, रिटायरमेंट कॉर्पस कैलकुलेट करना पड़ता है, और सही इन्वेस्टमेंट ऑप्शन चुनने पड़ते हैं। आपको अपने प्लान को नियमित रूप से रिव्यू करना पड़ सकता है और उसमे ज़रूरत मुताबिक बदलाव भी करने पड़ सकते हैं। इस काम में अगर आप चाहे तो एक फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद ले सकते है। रिटायरमेंट प्लानिंग के बारे में जागरूक रहना और समय पर कदम उठाना ज़रूरी है ताकि आप अपने रिटायरमेंट के सालों का बिना किसी मुश्किल के आनंद उठा सकें।

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