लंबे समय से हमे लोन लेने के लिए बैंको और फाइनेंशियल संस्थाओं पर निर्भर रहना पड़ा है। बदलते समय के साथ लोन की इस जरूरत को पूरा करने के लिए मार्केट में नए कांसेप्ट आते रहे रहे है। इसी का एक नया तरीका जो हमे आज देखने को मिलता है वह है P2P लेंडिंग। P2P लेंडिंग हमारी लोन की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही हमे इन्वेस्टमेंट का अच्छा माध्यम भी देता है। P2P लेंडिंग कैसे काम करता है और हम इसमें कैसे इन्वेस्ट करके एक अच्छी रिटर्न पा सकते है, इसी को हम आज के आर्टिकल “P2P lending in Hindi” में जानने की कोशिश करेंगे।
P2P लेंडिंग क्या है – P2P lending in Hindi
P2P लेंडिंग का मतलब होता है: Peer 2 Peer Lending
भारत में P2P लेंडिंग एक नया कांसेप्ट है जिसमे लोग सीधे एक दूसरे को ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए लोन देते या लेते है। यह लोन लेने या देने का डायरेक्ट तरीका है जिसमे किसी भी तरह के intermediatry जैसे की बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट का कोई रोल नहीं होता। इस कांसेप्ट में शामिल प्लेटफार्म लोगो को एक दूसरे से डायरेक्ट जोड़ते है, जिस से लोन की प्रोसेसिंग तेज और आसान हो जाती है। यह कम लोन अमाउंट की जरुरत वाले लोगो के लिए काफी फायदेमंद है। आज के समय में P2P लेंडिंग का कांसेप्ट काफी पॉपुलर हो रहा है और कई सारी fintech कंपनियां इसमें उतर रही है। यह उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद है जिनको कई कारणों से बैंको आदि से लोन नहीं मिल पा रहा वहीं दूसरी तरफ यह लेंडर को एक अच्छी रिटर्न कमाने का मौका देता है।
P2P लेंडिंग कैसे काम करता है – P2P lending kaise kaam karta hai
P2P लेंडिंग में बॉरोअर और लेंडर्स को एक प्लेटफॉर्म के जरिए आपस में कनेक्ट किया जाता है। जिन लोगो को लोन की जरुरत होती है वह अपने आप को इस प्लेटफार्म पर बॉरोअर के रूप में और जिन लोगो ने पैसे उधार देकर रिटर्न कमानी होती है वह अपने आपको लेंडर के रूप में रजिस्टर करते है।
बॉरोअर प्लेटफार्म पर अपनी लोन की एप्लीकेशन को सबमिट कराते है। इसके लिए उन्हें पहले प्लेटफार्म पर रजिस्टर होना पड़ता है, जिसके के लिए सभी जरुरी डिटेल जैसे की पर्सनल और फाइनेंशियल डिटेल, क्रेडिट हिस्ट्री, लोन लेने का उद्देश्य आदि बताना पड़ता है। रजिस्ट्रेशन हो जाने पर बॉरोअर के क्रेडिट स्कोर, इनकम और एम्प्लॉयमेंट हिस्ट्री के बेसिस पर लोन पर लिया जाने वाला इंट्रेस्ट रेट निश्चित किया जाता है। बॉरोअर का क्रेडिट स्कोर जितना बुरा होगा उतना ही ज्यादा इंट्रेस्ट रेट उसे देना होगा और जितना अच्छा क्रेडिट स्कोर होगा और उतना ही कम इंट्रेस्ट।
बॉरोअर के समान ही लेंडर अपने आपको प्लेटफार्म पर सभी जरुरी डिटेल को सबमिट करा कर रजिस्टर करते है। इसके बाद वह यहां लिस्टेड बॉरोअर की प्रोफाइल को चेक कर अपने रिस्क और रिटर्न के अनुसार किसी एक का चुनाव और इन्वेस्टमेंट कर सकते है।
जब लेंडर द्वारा लोन की पूरी रकम को जमा करा दिया जाता है तो प्लेटफार्म द्वारा यह फंड बॉरोअर के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए जाते है। लोन की टर्म और कंडीशन अनुसार बॉरोअर द्वारा लिए गए पैसो के बदले मंथली इंस्टॉलमेंट का इंट्रेस्ट समेत भुगतान करना पड़ता है जिस से ही लेंडर्स को रिटर्न मिलती है।
इस सारे प्रोसेस को मैनेज करने के बदले P2P प्लेटफार्म लोगो से सर्विस फीस चार्ज करता है। किसी भी तरह की फ्रॉड और इल्लीगल एक्टिविटी को कंट्रोल करने के लिए RBI द्वारा कुछ नियम बनाए गए है और यह प्लेटफार्म RBI द्वारा ही रेगुलेट किए जाते है।
P2P लेंडिंग में कितना इंटरेस्ट मिलता है – P2P lending me kitna interest milta hai
बॉरोअर के लिए लोन लेने से साथ साथ ही यह प्लेटफार्म हमें इन्वेस्ट करने का एक अच्छा साधन प्रदान करते है। इन प्लेटफॉर्म्स पर हम इन्वेस्ट करके या पैसे उधार देकर 10 से 12% की रिटर्न आसानी से कमा सकते है। इसके लिए आपको सब से पहले इनकी वेबसाइट पर रजिस्टर होना पड़ता है और सभी जरुरी KYC डॉक्यूमेंट जैसे की पैन, आधार, अकाउंट स्टेटमेंट आदि सबमिट कराने पड़ते है। अकाउंट के वेरीफाई हो जाने पर आप यहां इन्वेस्ट कर सकते है जिसकी मिनिमम और मैक्सिमम वैल्यू हर प्लेटफार्म के अनुसार अलग हो सकती है। आमतौर पर यह वैल्यू 5 हज़ार मिनिमम और मैक्सिमम 50 लाख तक हो सकती है।
P2P प्लेटफार्म में लेंडिंग द्वारा अर्जित की जाने वाली रिटर्न बॉरोअर की creditworthiness और लोन के टेन्योर पर निर्भर करती है। लोन लेने का वाला का क्रेडिट स्कोर का कम और लोन का टेन्योर ज्यादा होना रिटर्न की संभावना को बड़ा देता है। इसके विपरीत अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले बॉरोअर पर इंट्रेस्ट कम लगता है इस कारण मिलने वाली रिटर्न भी कम होती है। आमतौर पर इन प्लेटफॉर्म्स पर 1 साल की एवरेज रिटर्न 10 से 12% के बीच में देखने को मिलती है। रिटर्न को कैलकुलेट करते वक्त यहां डिफ़ॉल्ट रेट को भी ध्यान में रखना बहुत जरुरी है क्युकी जितना ज्यादा डिफ़ॉल्ट रेट होगा उतनी ही रिटर्न की वैल्यू भी कम होती जाएगी।
P2P लेंडिंग के फायदे – P2P lending ke fayde
आसान अप्रूवल प्रोसेस: P2P लेंडिंग का सारा प्रोसेस लगभग ऑनलाइन ही होता है। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल और किसी मिडलमैन के ना होने के कारण लोन का एप्लीकेशन से लेकर लोन डिस्बर्सल तक का प्रोसेस तेज और आसान हो जाता है।
डायवर्सिफिकेशन: P2P प्लेटफार्म पर लेंडर्स अपनी इन्वेस्टमेंट को रिटर्न और रिस्क के हिसाब से अलग अलग बॉरोअर में diversify कर सकते है। यह उनकी इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाली रिटर्न को बढ़ाने और रिस्क को कम करने में मदद करता है।
कम इंट्रेस्ट रेट: P2P प्लेटफार्म पर लोन पर लगने वाले इंट्रेस्ट आपकी क्रेडिट हिस्ट्री, फाइनेंशियल बैकग्रॉउंड और इनकम सोर्स आदि पर निर्भर करता है। वह लोग जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी है वह अपने लिए जाने वाले लोन पर कम इंट्रेस्ट रेट का फायदा उठा सकते है।
ट्रांसपेरेंसी और कंट्रोल: P2P प्लेटफार्म पर लेंडर्स और बॉरोअर दोनों की प्रोफाइल समेत सभी जरुरी ब्यौरा उपलब्ध होता है। यह दोनों पार्टीज के लिए लेंडिंग और बॉरोविंग के सारे प्रोसेस को ट्रांसपेरेंट और आसान बना देता है।
लौ रिजेक्शन रेट: वह सभी लोग जिनको कागज़ी कारवाही या क्रेडिट स्कोर में खराबी होने के कारण बैंको आदि से लोन नहीं मिल पाता अपनी पैसों की जरुरत को पूरा करने के लिए यहां अप्लाई कर सकते है लेकिन इसी कारण उन्हें ज्यादा इंट्रेस्ट रेट भी भरना पड़ सकता है।
P2P लेंडिंग के नुक्सान – P2P lending ke nuksaan
लिमिटेड लोन अमाउंट: P2P प्लेटफार्म पर लोन लेने की एक लिमिट होती है जिस से ज्यादा कोई भी बॉरोअर लोन के लिए अप्लाई नहीं कर सकता। यह कई बॉरोअर की जरुरत को पूरा नहीं कर पाता।
डिफ़ॉल्ट रिस्क: लोन के केस में हमेशा डिफॉल्ट का रिस्क बना रहता है जो की लेंडर्स के लिए नुक्सान का कारण बन सकता है।
लिक्विडिटी की कमी: P2P प्लेटफॉर्म्स में लिक्विडिटी की कमी होती है यानि की बॉरोअर को लेंडर्स की जरुरत से मैच होने में समय लग सकता है। इस कारण लोन की प्रोसेसिंग और सेटलमेंट में समय लग सकता है।
ज्यादा इंट्रेस्ट रेट: जिन लोगो का फाइनेंशियल स्कोर खराब होता है उनको लोन लेने पर ज्यादा इंट्रेस्ट रेट देना पड़ सकता है।
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भारत में P2P लेंडिंग कंपनियां – Bharat me P2P lending companiyan
भारत में RBI द्वारा अप्रूवड मुख्य P2P लेंडिंग कंपनिया है:
निष्कर्ष – Conclusion
P2P लेंडिंग ट्रेडिशनल बैंकिंग सिस्टम का एक अच्छा विकल्प है जो बॉरोअर और लेंडर को डायरेक्टली कनेक्ट करता है। बॉरोअर के लिए यह फंडिंग का आसान तरीका है वहीं लेंडर्स के लिया यह एक अच्छी रिटर्न पाने का साधन। लेकिन यहां पर इस बात का ध्यान रखना भी जरुरी है की P2P लेंडिंग के भी अपने रिस्क और नुकसान होते है। इसलिए यहां पर किसी भी तरह के लोन लेने के लिए या इन्वेस्ट करने से पहले सभी तथ्यों की अच्छी से जांच कर ले और सोच समझ कर ही कोई निर्णय लें।