भारत सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा कंपनी और लोगो से उनकी इनकम के मुताबिक अलग अलग तरह के टैक्स वसूले जाते है। हर साल फाइनेंशियल बजट के दौरान इन टैक्स में देश की इकॉनमी और आम नागरिको के हित को देखते हुए कुछ बदलाव किये जाते है। कुछ टैक्स बढ़ाये जाते है तो कुछ घटाए, कुछ नए टैक्स लगाए जाते है और कुछ टैक्स हटाए जाते है। इसी तरह इस साल बजट 2024 में फाइनेंस मिनिस्टर ने इनकम टैक्स की स्लैब में कई बदलाव किये। इनमे से सबसे ज्यादा बदलाव पुरानी टैक्स रेजीम और नयी टैक्स रेजीम को लेकर है। लेकिन अभी तक ज्यादातर लोगो को इस बारे में इतनी जानकारी नहीं है की आखिर यह पुरानी और नई टैक्स रेजीम है क्या और इनमे से ITR भरने के दौरान कौन सा बेहतर रहेगा। आज के इस आर्टिकल में हम Old vs New tax regime दोनों के बारे में विस्तार से जानेगे और ताकि आप एक बेहतर निर्णय ले पाए।
ओल्ड टैक्स रेजीम – Old Tax Regime
पुरानी टैक्स रेजीम में 2.5 लाख की इनकम टैक्स फ्री है। यानि की अगर आपकी सालाना इनकम 2.5 लाख से कम है तो आपको उसपर कोई टैक्स नहीं देना है, उसके बाद के 2.5 लाख पर 5% टैक्स एप्लीकेबल है। इस रेजीम के तहत आपको लगभग 70 तरह की exemptions और deductions की ऑप्शंस मिलती है। इनमे सैलरी, इन्वेस्टमेंट, लोन और इनश्योरेंस से जुड़े provisions है जिसके अंतर्गत आप अपनी सालाना इनकम से इनको घटा सकते है। इनमे से सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सेक्शन 80C और सेक्शन 80CCD जिसके बारे में तो आपने सुना ही होगा। सेक्शन 80C के अंतर्गत आप अपनी इनकम से 1.5 लाख तक की रिबेट ले सकते है। पुराने टैक्स रेजीम के अंतर्गत निचे दर्शाये इनकम टैक्स रेट एप्लीकेबल होते है।
ओल्ड टैक्स स्लैब | ओल्ड इनकम टैक्स रेट |
Upto Rs 2.5 lakh | NIL |
Rs 2.5 – Rs 5 lakh | 5% |
Rs 5 – Rs 10 lakh | 20% |
Above Rs 10 lakh | 30% |
ओल्ड टैक्स रेजीम में आने वाली Deductions और Exemptions
पुरानी टैक्स रेजीम के अंतर्गत लोगो क टैक्सेबल इनकम कम करने के लिए कई सारी exemptions और deductions मिलती है। उनमे से कुछ मुख्य निचे लिखी गयी है:
Section 80C: इस सेक्शन के अंतर्गत Public Provident Fund (PPF), National Savings Certificate (NSC), Life Insurance Premium, Equity-Linked Saving Scheme (ELSS), आदि में की गयी इन्वेस्टमेंट पर 1.5 लाख तक की deduction मिलती है।
Section 80D: इस सेक्शन के अंतर्गत मेडिकल insurance premiums जो की अपने लिए, पत्नी और निर्भर बच्चो के लिए भरे गए हो पर deduction क्लेम का सकते है।
Section 80E: इस सेक्शन के अंतर्गत एजुकेशन लोन पर दिए गए इंट्रेस्ट पर deduction क्लेम कर सकते है।
Section 80G: इस सेक्शन के अंतर्गत चैरिटी के लिए की गयी डोनेशन के पैसो पर deduction क्लेम कर सकते है।
Section 24: इस सेक्शन के अंतर्गत लिए गए घर की लोन अमाउंट पर भरे गए इंटरेस्ट पर deduction क्लेम कर सकते है।
House Rent Allowance (HRA): HRA वह exemption है जो कोई कर्मचारी अपने काम के सिलसिले में रहने के लिए किराये के घर के लिए मिलती है।
Leave Travel Allowance (LTA): कर्मचारी की छुटी की दौरान किये गए ट्रेवल के अंतर्गत यह exemption ली जा सकती है।
Standard Deduction: यह 50,000 का एक फ्लैट डिडक्शन है को की सभी टैक्सपेयर्स के लिए उपलभ्द है।
ओल्ड टैक्स रेजीम का फायदा – Old Tax Regime ke fayde
पुरानी टैक्स रेजीम में लोगो में लोगो की सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट की आदत को बढ़ावा मिलता है। इनकम टैक्स में exemptions लेने के लिए लोग ज्यादा इनश्योरेंस और टैक्स सेविंग्स स्कीम में इन्वेस्टमेंट करते है और यही बात आगे चलकर उनकी वेल्थ और हेल्थ दोनों के के लिए अच्छी साबित होती है।
ओल्ड टैक्स रेजीम का नुक्सान – Old Tax Regime ke nuskaan
- वह लोग जो NIL इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते है और जिनकी इनकम किसी टैक्सेबल स्लैब के अंदर नहीं आती वह उनके लिए इतनी फायदेमंद नहीं है।
- ज्यादातर टैक्स सेविंग स्कीम में लॉक इन पीरियड की कंडशन होती है जो की इन्वेस्टर्स की इंवेस्टमेंट्स की लिक्विडिटी में फर्क डालता है।
- काफी सारी टैक्स deduction और exemptions आम टैक्सपेयर के लिए समझना मुश्किल होता है, जो की ITR भरने के प्रोसेस को कॉम्प्लिकेटेड बना देता है।
- मार्किट में टैक्स सेविंग स्कीम्स काफी कम मात्रा में मौजूद है।
नयी टैक्स रेजीम – New Tax Regime
नयी टैक्स रेजीम को 2020 के बजट में लागु किया गया था। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने 2023 और 2024 के बजट में नयी टैक्स रेजीम को कई सारे नए स्लैब्स में बाँट दिया है जिसमे 3 लाख तक की सालाना इनकम को टैक्स फ्री कर दिया गया है। इसमें 7 लाख तक की इनकम पर टैक्स रिबेट मिलती है, इसलिए देखा जाये तो अगर आपकी सालाना इनकम 7 लाख से कम है तो आपका भरा गया टैक्स रिफंड कर दिया जायेगा यानि कोई भी टैक्स एप्लीकेबल नहीं होगा। अब यही रेजीम ITR भरने के लिए डिफ़ॉल्ट होगी लेकिन अगर टैक्सपेयर चाहे तो पुरानी रेजीम को चुन सकते है। इस टैक्स रेजीम में exemptions और deduction को काफी कम कर दिया गया है लेकिन स्टैण्डर्ड डिडक्शन को बड़ा दिया गया है। नए टैक्स रेजीम के अंतर्गत निचे दर्शाये इनकम टैक्स रेट एप्लीकेबल होते है:
नए टैक्स स्लैब | नए इनकम टैक्स रेट |
Upto Rs 3 lakh | NIL |
Rs 3 lakh – Rs 7 lakh | 5% |
Rs 7 lakh – Rs 10 lakh | 10% |
Rs 10 lakh – Rs 12 lakh | 15% |
Rs 12 lakh – Rs 15 lakh | 20% |
Above Rs 15 lakh | 30% |
नयी टैक्स रेजीम में आने वाली Deductions और Exemptions
स्टैण्डर्ड डिडक्शन: स्टैण्डर्ड डिडक्शन जो पुरानी टैक्स रेजीम में 50,000 तक थी उसे बढ़ाकर 75,000 कर दिया गया है।
फैमिली पेंशन: जिन लोगो को फैमिली पेंशन मिल रही है वह 25,000 की अमाउंट या 1/3 जो अमाउंट भी कम हो उसपर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते है। यह लिमिट पहली 15,000 तक थी।
HNI इनकम सरचार्ज में कमी: 5 करोड़ से ऊपर की इनकम पर सरचार्ज को 37% से घटाकर 25% कर दिया गया है।
ज्यादा लीव इनकेशमेंट एक्सेप्शन: गैर सरकारी कर्मचारियों के लिए एक्सेप्शन लिमिट को 3 लाख से बढ़ाकर 25 लाख कर दिया गया है।
डिफॉल्ट रेजीम: 2023-24 की शुरुआत से नई टैक्स रेजीम टैक्स भरने के लिए डिफॉल्ट रेजीम रहेगी। हालांकि आप पुरानी रेजीम के अनुसार अभी भी टैक्स का भुगतान कर सकते है।
नयी टैक्स रेजीम का फायदा – New Tax Regime ke fayde
- नए रेजीम में ज्यादा deduction/exemptions का ऑप्शन नहीं मिलता, इसलिए सिर्फ टैक्स को बचाने के लिए लोगो को कोई भी इन्वेस्टमेंट करने के लिए विवश नहीं होना पड़ता।
- नयी टैक्स रेजीम में 7 लाख तक की इनकम पर रिबेट मिलती है और 75,000 की स्टैंडर्ड डिक्शन। इसलिए देखा जाए तो 7,75,000 लाख तक की इनकम पर टैक्स की कोई देनदारी नहीं बचती।
- ज्यादा टैक्स स्लैब्स होने के कारण लोग जो स्लैब उनके लिए बेस्ट है उसे चुन सकते है। हालाँकि पुरानी टैक्स रेजीम में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है और लोग किसी भी रेजीम के अंतर्गत ITR भरने के लिए पूरी तरह से सवतंत्र है।
नयी टैक्स रेजीम का नुक्सान – New Tax Regime ke nuksaan
वैसे तो नयी टैक्स स्लैब में कोई भी मेजर कमी नहीं है, बस इतना कह सकते है की कोई भी deduction और exemptions ना होने के कारण पर्सनल सेविंग्स और इंवेस्टमेंट्स भी टैक्स के दायरे में आ जाती है।
Old vs New tax regime – कौन सा बेहतर है?
दोनों ही पुरानी और नयी टैक्स रेजीम की अपनी खुबिया और कमिया है। यह टैक्सपेयर की अपनी स्तिथि और सालाना इनकम पर निर्भर करता है की उसके लिए कौन सी रेजीम उपयुक्त है। 2023 के बजट से पहले लोग, जिनकी इनकम कम थी ज्यादातर पुरानी टैक्स रेजीम में ITR फाइल करना पसंद करते थे। अब भी जिन लोगो की टैक्स सेविंग और सेविंग स्कीम्स में इन्वेस्टमेंट कर रखी है, के लिए पुरानी टैक्स रेजीम ही बेहतर रहेगी। अब के बजट के टैक्स स्लैब का बढ़ाया जाना और टैक्सेबल इनकम का ज्यादा करना बहुत सरे मिडिल क्लास टैक्सपेयर को आकर्षित कर सकता है। सभी टैक्सपेयर को यही सलाह है की अपने CA और फाइनेंसियल एडवाइजर सलाह लेके ही अपने लिए बेस्ट ऑप्शन का चुनाव करे।
यह भी जानिए: Types of tax in India? – भारत में कितने प्रकार के टैक्स है?
निष्कर्ष – Conclusion
पुराने और नए रेजीम को चुनने को लेकर अभी लोगो में काफी confusion है। आशा है की इस आर्टिकल में आपके सारे प्रश्नो के उतर मिल गए होंगे। अगर फिर भी किसी सवाल का जवाब रह गया हो तो आप भारत सरकार की बजट के सम्बंधित Official Website चेक कर सकते है। भारत सरकार ने नई रेजीम को अपनाने और प्रमोट के लिए कई सारे initiative भी शुरू किये है। इस बात से इतना तो पता लग जाता है की सरकार लोगो में नई रेजीम के अंतर्गत टैक्स भरने को बढ़ावा देना चाहती है। लोगो के लिए यही अच्छा है की दोनों रेजीम को अच्छी तरह से जाने परखे और सोच समझकर सही निर्णय ले।