MTF Meaning in Hindi – शेयर मार्केट में MTF क्या होता है, क्यों और कैसे इस्तेमाल करें

शेयर बाजार में काम करने के कई ऐसे तरीके हैं, जिनके तहत एक इन्वेस्टर और ट्रेडर कम कैपिटल होते हुए भी ज्यादा शेयर्स में ट्रेड कर सकता है। इसकी मदद से इन्वेस्टर अच्छे ट्रेडिंग अवसरों का फायदा उठा पाता है और थोड़े कैपिटल में भी अच्छा मुनाफा कमा पाने में सक्षम हो पाता है। इन्हीं तरीकों से एक है MTF यानी मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी जिसकी सुविधा स्टॉक ब्रोकर्स द्वारा अपने इन्वेस्टर्स को दी जाती है। आइए इस आर्टिकल ‘MTF Meaning in Hindi’ में हम MTF के बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करते हुए इसके फायदे और नुकसान पर भी नजर डालते है।

MTF क्या होता है – MTF Meaning in Hindi

MTF का मतलब होता है, Margin Trading Facility.

MTF एक ऐसी सुविधा है जिसमें ब्रोकर आपको शेयर खरीदने के लिए कैपिटल उधार देते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आपके पास शेयर खरीदने के लिए पूरा पैसा नहीं है, तब भी आप शेयर खरीद सकते हैं। ब्रोकर आपको कुल बन रहे प्राइस का एक हिस्सा उधार देते हैं, जिसके बदले आपको कुछ मार्जिन अकाउंट में रखना पड़ता है। उधार की गई रकम को आप एक निश्चित टाइम पीरियड में चुका सकते हैं।

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आप 100,000 के शेयर खरीदना चाहते हैं, लेकिन आपके पास केवल 25,000 हैं। MTF के जरिए आपका ब्रोकर बाकी 75,000 उधार देता है, जिससे आप ज्यादा शेयर खरीद पाते है।

MTF कैसे काम करता है – MTF Kaise kaam karta hai

मार्जिन डिपॉजिट: MTF के तहत, आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट में पड़े पैसों से ज्यादा पैसों के शेयर को खरीद सकते है। इसके लिए आपको शेयर की कुल कीमत का एक हिस्सा (मार्जिन) जमा करना होता है। यह मार्जिन आमतौर पर शेयर की कीमत का 25-50% हो सकता है।

पैसे उधार देना: मार्जिन देने के बाद बाकी बची रकम ब्रोकर द्वारा कवर की जाती है। यह रकम आपको आपके ब्रोकर द्वारा तय की गई समय अवधि में चुकानी होती है। इस उधार के बदले में आपके द्वारा खरीदे गए शेयर ब्रोकर के पास कोलेटरल के तौर पर गिरवी रखे जाते है और तब ही फ्री होते है जब आप पूरी उधार ली गई रकम का भुगतान कर देते है।

ब्याज: MTF का इस्तेमाल करने पर ब्रोकर आपसे ब्याज वसूलता है। यह ब्याज आपके द्वारा उधार ली गई रकम पर निर्भर करता है।

पोजिशन क्लोजिंग: अगर आप तय समय में उधार ली गई रकम को नहीं चुका पाते है, तो ब्रोकर आपकी पोजिशन को बंद कर सकता है। इसका मतलब है कि ब्रोकर आपके शेयर बेचकर अपनी रकम वसूल कर सकता है।

MTF का इस्तेमाल कैसे करें – MTF ka istemaal kaise karen

शेयर मार्केट में मार्जिन फंडिंग का फायदा उठाने के लिए आपको नीचे दिए स्टेप्स का अनुसरण करना पड़ता है:

ब्रोकर का चुनाव: आप सभी को पता है कि शेयर मार्केट में किसी भी तरह के लेन देन करने के लिए हमारे पास डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए। इसलिए सबसे पहले एक ऐसे ब्रोकर का चुनाव करें जो आपको मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा देता हो। ऐसे ब्रोकर को चुनने से पहले उसका ट्रैक रिकॉर्ड और बाकी सर्विसेज के बारे में भी जान लें।

मार्जिन ट्रेडिंग अकाउंट के लिए अप्लाई करें: अगर आपने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवा लिया है या आपके पास पहले से ही यह अकाउंट है तो ब्रोकर के पास मार्जिन ट्रेडिंग अकाउंट के लिए अप्लाई करें। इसमें जरूरत अनुसार थोड़े बहुत और डॉक्युमेंट की जरूरत पड़ सकती है।

ब्रोकर की मार्जिन पॉलिसी को समझे: सभी ब्रोकर्स की अपनी निश्चित मार्जिन पॉलिसी होती है, जिसके तहत यह निर्धारित किया जाता है कि आप किन शेयर्स के बदले मार्जिन ले सकते है और कितने गुना तक ले सकते है।

मार्जिन लेना और पोजिशन बनाना: इसके बाद अपने ट्रेडिंग अकाउंट में एक निश्चित मार्जिन को रखे जिसके आधार पर कैलकुलेशन हो कर ही आपको बाकी पैसे उधार मिलते है। उदाहरण के लिए अगर आपके अकाउंट में 25000 है तो आप उसका 4x यानी 100,000 तक के शेयर खरीद सकते है।

शेयर को प्लेज करना और उधार चुकाना: आप उधार ली गई रकम से जितने शेयर खरीदते है वह आपके ब्रोकर के पास कोलेटरल के तौर पर रखे जाते है। इन शेयर को ब्रोकर उधार ना चुकाने के केस में बेच सकता है। इसके इलावा आपको ब्रोकर को उधार दी गई राशि के बदले निश्चित ब्याज चुकाना पड़ता है और उधार ली गई रकम का भुगतान एक निश्चित समय में करना पड़ता है।

MTF का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखने योग्य बाते – MTF ka istemaal karte samay dhyan rakhne yogya baate

रिस्क को समझें: MTF का उपयोग करने से पहले शेयर बाजार और उससे जुड़े रिस्क को समझना जरूरी है। MTF का इस्तेमाल हमारे प्रॉफिट को कई गुना तक बढ़ा देता है, लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि पोजिशन के हमारे विपरीत जाने पर नुकसान होने का रिस्क भी उतना ही रहता है। इसलिए अगर आपकी एनालिसिस अच्छी है और ट्रेड के आपके पक्ष में जाने की संभावना ज्यादा है, तभी MTF का उपयोग करें

ब्याज दर पर ध्यान दें: MTF के तहत उधार ली गई राशि पर ब्याज दर को समझें और उसे अपने लाभ-हानि की कैलकुलेशन में शामिल करें। यह ब्याज दर ब्रोकर के मुताबिक अलग अलग हो सकती है जो आपकी कुल प्रॉफिट को काफी हद तक प्रभावित करता है।

मार्जिन कॉल को हैंडल करें: यह सुनिश्चित करें कि आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट में पड़े पैसों के इलावा भी अतिरिक्त कैपिटल हो, ताकि जब जरूरत पड़े तो आप ब्रोकर की मार्जिन कॉल को पूरा कर सकें।

लॉन्ग टर्म की योजना बनाएं: केवल शॉर्ट टर्म के लिए नहीं, बल्कि MTF का इस्तेमाल करते समय अपनी स्ट्रेटजी लॉन्ग टर्म के लिए बनाएं। आप दोनों तरह की स्ट्रेटजी का इस्तेमाल मार्केट के ट्रेंड अनुसार सही समय आने पर कर सकते है।

मार्केट ट्रेंड की जानकारी रखे: मार्केट के चल रहे ट्रेंड, इकोनॉमिक गतिविधियों पर और कम्पनी से जुड़ी मुख्य खबरों का खुद को जानकर रखे। यह सब आपको एक अच्छा इन्वेस्टमेंट निर्णय लेने और उसे मैनेज करने में मदद करेगी।

MTF के फायदे – MTF ke fayde

कम कैपिटल में ज्यादा इन्वेस्टमेंट: MTF के माध्यम से आपके पास कम कैपिटल होते हुए भी आप ज्यादा इन्वेस्टमेंट कर पाते है, क्योंकि इसमें आपको ब्रोकर द्वारा मार्जिन की सुविधा मिलती है जिसपर आपको एक निश्चित ब्याज चुकाना पड़ता है।

पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन: पर्याप्त कैपिटल होने के कारण आप एक ही समय में अपने चुनाव किए गए सभी शेयर में इन्वेस्टमेंट कर पाते है। ज्यादा सेक्टर के शेयर होने के कारण आपको पोर्टफोलियो को डाइवर्स करने में मदद मिलती है।

ज्यादा रिटर्न: MTF द्वारा आप अपनी इन्वेस्टमेंट से ज्यादा प्रॉफिट कमा सकते है, क्योंकि आपके द्वारा इन्वेस्ट किया गया पैसा भी ज्यादा होता है।

शॉर्ट सेलिंग में सहायक: शॉर्ट सेलिंग, जिसमें हम स्टॉक को पहले महंगे भाव पर बेच कर बाद में सस्ते भाव में खरीद लेते है। ट्रेडिंग की यह प्रैक्टिस हमे ट्रेडीशनल मार्केट के विपरीत गिरती हुई मार्केट में भी प्रॉफिट कमाने का मौका देती है। इंट्राडे को छोड़कर डिलीवरी में, शॉर्ट सेलिंग सिर्फ ऑप्शन और फ्यूचर में की जा सकती है, जिसके लिए काफी ज्यादा कैपिटल की जरूरत पड़ती है। MTF की मदद से आप कम कैपिटल होते हुए भी शॉर्ट सेलिंग का फायदा उठा सकते है।

MTF के नुकसान – MTF ke nuksaan

ज्यादा लॉस का रिस्क: जहां MTF से आपके प्रॉफिट में बढ़ौतरी होती है, वही यह आपके लॉस के रिस्क को भी बड़ा देता है। ज्यादा कैपिटल होने के कारण आपके टारगेट और स्टॉपलॉस दोनों बड़े हो जाते है, और अगर मार्केट आपके डायरेक्शन के विपरीत जाती है तो लॉस भी ज्यादा हो सकता है।

मिनिमम बैलेंस की जरूरत: MTF के अंतर्गत आपको अपने ट्रेडिंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस बनाए रखना पड़ता है। यदि आपकी पोजिशन नुकसान में जाती है तो मिनिमम बैलेंस की जरूरत भी बढ़ जाती है जो आपके होने वाले लॉस को कवर करने का काम करता है।

चार्जेस और कॉस्ट में बढ़ोतरी: अगर आप ब्रोकर से मार्जिन लेकर शेयर खरीदते है तो यह आपके कैपिटल को बढ़ाने के साथ साथ ही लगने वाले चार्जेस और ब्रोकरेज को भी बड़ा देता है। वहीं पर मार्जिन देने के बाद ब्रोकर उसके बदले आपसे कुछ इंटरेस्ट चार्ज करता है, जो होने वाले मुनाफे को घटा कर लॉस को बढ़ाने का काम करता है।

निष्कर्ष – Conclusion

मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी (MTF) एक महत्वपूर्ण टूल है, जो आपको कम कैपिटल में ज्यादा शेयर खरीदने की सुविधा देता है। हालांकि, इसका इस्तेमाल करने से पहले इससे जुड़े रिस्क को समझना और सही रणनीति अपनाना बेहद जरूरी है। अगर आप शेयर बाजार में नए हैं, तो MTF का उपयोग सोच-समझकर करें और एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही कोई भी कदम उठाए।

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