अगर आप स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं या इसमें इंटरेस्ट रखते हैं, तो आपने FII और DII जैसी टर्म्स के बारे में जरूर सुना होगा। ये दोनों, इन्वेस्टर्स की एक केटेगरी है और पूरे स्टॉक मार्केट की डायरेक्शन को तय करने में एक अहम भूमिका निभाते हैं। FII और DII के इन्वेस्ट करने से ही मार्केट में बुल (तेजी) और बियर (मंदी) का माहौल बनता है। इस आर्टिकल “FII and DII meaning in Hindi” में हम विस्तार से जानेंगे कि FII और DII क्या होते हैं, इनका भारतीय शेयर मार्केट में क्या असर पड़ता है, और एक आम इन्वेस्टर को इनके बारे में क्यों जानना जरूरी है।
FII और DII क्या है – FII and DII meaning in Hindi
FII Full Form in Hindi
FII यानी Foreign Institutional Investors। ये वो इन्वेस्टर होते हैं जो भारत के बाहर के देशों से आते हैं और भारतीय शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करते हैं। ये मुख्य रूप से बड़े फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस कंपनियां, हेज फंड और सरकारी इन्वेस्टमेंट फंड होते हैं। FII के कुछ उदाहरण है, BLACKROCK INVESTMENT MANAGEMENT (UK) LIMITED, BNP PARIBAS, BANK OF AMERICA SINGAPORE LTD आदि।
DII Full Form in Hindi
DII का मतलब Domestic Institutional Investors होता है। यह भारत के ही इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर होते है जो स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट करते है। इनमें शामिल कुछ नाम है:
म्यूचुअल फंड्स जैसे कि HDFC, ICICI, NIPPON आदि।
इंश्योरेंस कंपनियां जैसे कि LIC
पेंशन फंड्स जैसे NPS
बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन
DII का मुख्य उद्देश्य लॉन्ग टर्म के लिए भारतीय मार्केट में इन्वेस्ट करना होता है। ये घरेलू इन्वेस्टर होते हैं, इसलिए ये भारत की इकॉनमी और मार्केट की स्थितियों से ज्यादा प्रभावित होते है और उन्हीं के अनुसार काम करते हैं।
FII और DII का मार्केट में योगदान – FII Aur DII Ka market me yogdaan
FII और DII इन्वेस्टमेंट के कारण बाजार में लिक्विडिटी को बढ़ावा मिलता है। यह दोनों ही स्टॉक मार्केट में सबसे बड़े इन्वेस्टर है और करोड़ों में हर दिन इन्वेस्टमेंट करते है। इतनी ज्यादा मात्रा में इन्वेस्टमेंट होने के कारण आम नागरिक कभी भी आसानी से किसी भी शेयर को खरीद या बेच सकते है।
जब FII या DII किसी कंपनी में इन्वेस्टमेंट करते हैं, तो भारी मात्रा में इन्वेस्टमेंट होने के कारण उस कंपनी के स्टॉक की कीमतें बढ़ने लगती हैं।
अगर FII और DII भारी मात्रा में शेयर बेचते हैं, तो बाजार में गिरावट आ सकती है।
FII की इन्वेस्टमेंट ग्लोबल इकॉनमी और आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। अगर अमेरिका या यूरोप में आर्थिक संकट होता है, तो इसका असर विश्व की सभी लीडिंग स्टॉक एक्सचेंज सहित भारत में भी देखने को मिलता है।
जब बाजार में एक तरफा गिरावट होती है, तो DII अपनी इन्वेस्टमेंट से इसे स्थिर रखने में मदद करते हैं। इस तरह की गिरावट FII की लगातार सेलिंग या मार्केट में किसी बड़ी बुरी खबर के कारण हो सकती है।
DII और FII मुख्य रूप से फंडामेंटल एनालिसिस के आधार पर इन्वेस्टमेंट करते हैं, जिससे लॉन्ग टर्म ग्रोथ मिलती है। अगर कोई FII और DII किसी स्टॉक में इन्वेस्टमेंट कर रहे है तो हो सकता है कि कंपनी में ग्रोथ की काफी संभावना हो जिसका फायदा आम नागरिक भी उस स्टॉक में इन्वेस्टमेंट करके उठा सकते है।
FII और DII की इन्वेस्टमेंट से मार्केट का सेंटीमेंट तय होता है। इनके द्वारा लगातार इन्वेस्टमेंट होने के कारण मार्केट का सेंटीमेंट बुलिश या पॉजिटिव और लगातार सेलिंग होने के कारण मार्केट का सेंटीमेंट बेयरिश या नेगेटिव हो सकता है।
FII aur DII बड़ी मात्रा में इन्वेस्टमेंट करते है, जिससे एक कंपनी के स्टॉक और स्टॉक मार्केट दोनों की कैपिटलाइजेशन में इजाफा होता है।
इन दोनों की लगातार इन्वेस्टमेंट इस बात की और भी इशारा करती है कि देश की कंपनिया का प्रदर्शन काफी अच्छा है और जो यह अच्छी इकोनॉमिक ग्रोथ का मुख्य कारण होता है।
FII और DII का मार्केट में प्रभाव – FII Aur DII Ka market me prabhav
मार्केट की चाल तय करते हैं: अगर FII और DII मार्केट में भारी मात्रा में इन्वेस्टमेंट करते हैं, तो स्टॉक, सेंसेक्स और निफ्टी जैसे index ऊपर जाते हैं। जब वे पैसे निकालते हैं, तो बाजार गिरता है।
इन्वेस्टर्स के सेंटीमेंट पर असर: जब FII और DII किसी स्टॉक में रुचि दिखाते हैं, तो आम इन्वेस्टर भी उसमें इन्वेस्ट करना चाहते हैं।
सेक्टर पर प्रभाव: ऐसा देखा गया है कि आने वाले समय मैं जिस थीम या सेक्टर में अधिक ग्रोथ की संभावना है, उनमें FII और DII दोनों की इन्वेस्टमेंट ज्यादा होती है।
मार्केट की स्थिरता: DII इन्वेस्टमेंट मार्केट को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है, जबकि FII इन्वेस्टमेंट मार्केट को अस्थिर कर सकता है।
FII और DII के बारे जानना क्यों जरूरी है – FII aur DII ke bare main janna kyu jaruri hai
अगर आप शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं, तो आपको यह समझना जरूरी है कि FII और DII की गतिविधियां स्टॉक की कीमतों को कैसे प्रभावित करती हैं।
जब FII किसी स्टॉक में खरीदारी करते हैं, तो उसकी कीमत तेजी से बढ़ती है।
जब DII लगातार इन्वेस्टमेंट कर रहे होते हैं, तो बाजार स्थिर रहता है और लॉन्ग टर्म में फायदा होता है।
अगर FII और DII दोनों किसी स्टॉक में रुचि दिखा रहे हैं, तो वह स्टॉक लॉन्ग टर्म में अच्छा परफॉर्म कर सकता है।
FII और DII का इन्वेस्टमेंट डेटा कहां देखें – FII Aur DII ka investment data kahan dekhe
FII और DII की खरीद और बेचने का डेटा आपको आसानी से NSE की वेबसाइट से मिल जाएगा। इसके इलावा काफी सारी बड़ी फाइनेंशियल वेबसाइट्स भी इस डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपडेट करती है। उदाहरण के लिए Moneycontrol, Stockedge आदि।
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निष्कर्ष – Conclusion
FII और DII भारतीय शेयर मार्केट के दो महत्वपूर्ण भाग हैं। FII फॉरेन इन्वेस्टमेंट लाकर मार्केट में तेजी लाते हैं, जबकि DII बाजार को स्थिर बनाए रखने में मदद करते हैं। अगर आप एक इन्वेस्टर हैं, तो आपको FII और DII की गतिविधियों पर नज़र रखनी चाहिए ताकि आप इन्वेस्टमेंट से जुड़ा सही फैसला सही समय पर ले सकें। शेयर मार्केट में सफल इन्वेस्टमेंट के लिए जरूरी है कि आप मार्केट की हलचलों को समझें और इन्वेस्टमेंट से पहले रिसर्च जरूर करें।