आज की तारीख में ग्रोथ, डायवर्सिफिकेशन और टैक्स सेविंग के लिहाज से ELSS म्यूच्यूअल फंड लोगो में काफी पॉपुलर हो चुके है। यह इन्वेस्टमेंट ऑप्शन इन्वेस्टर के बीच अपनी अच्छी रिटर्न और टैक्स बेनिफिट के कारण आकर्षण केंद्र बन चुकी है। ELSS म्यूच्यूअल फंड दोनों टैक्स सेविंग और इन्वेस्टमेंट का कॉम्बिनेशन प्रदान करते है जो की टैक्स सेविंग के लिए नए और पुराने दोनों इन्वेस्टर्स के लिए अच्छी चॉइस हो सकती है। आज के इस आर्टिकल “ELSS Mutual Fund in Hindi” में हम ELSS फंड क्या होते है, इसके क्या फायदे है, यह कैसे काम करता है और उसमे कैसे इन्वेस्ट कर सकते है समेत सभी जरुरी जानकारी को कवर करेंगे।
ELSS म्यूच्यूअल फंड क्या होता है – ELSS Mutual meaning in Hindi
ELSS यानि की Equity Linked Saving Scheme। इस तरह के म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टर्स को टैक्स सेविंग बेनिफिट प्रदान करते है। यह फंड मुख्य रूप से इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट करते है जिनमे अलग अलग सेक्टर से जुडी कंपनिया शामिल होती है। ELSS मुख्य रूप से इन्वेस्टर की टैक्स सेविंग की जरुरत को देख कर डिजाइन किए गए है जिसमे इन्वेस्टमेंट करके आप सेक्शन 80C के अंतर्गत डेड लाख तक की टैक्स रिबेट ले सकते है। इक्विटी में इन्वेस्टमेंट करने के कारण यह हाई रिस्क की केटेगरी में आती है लेकिन इनमे मिलने वाली रिटर्न आम इन्वेस्टमेंट के मुकाबले कहीं ज्यादा हो सकती है।
ELSS म्यूच्यूअल फंड की विशेषताएं – ELSS Mutual Fund ke features
टैक्स बेनिफिट – Tax Benefits: ELSS स्कीम में की गई इन्वेस्टमेंट पर इनकम में टैक्स एक्ट 1961, सेक्शन 80C के अंतर्गत एक फाइनेंशियल ईयर में डेड लाख तक की टैक्स रिबेट मिलती है। इस डेड लाख की अमाउंट को कुल टैक्सेबल इनकम से घटाया जा सकता है जिस से टैक्स की देनदारी में कमी आती है।
लॉक इन पीरियड – Lock-in Period: ELSS फंड ओपन एंडेड स्कीम्स होती है और इनमें की गई इन्वेस्टमेंट जरूरी रूप से 3 साल के लॉक इन पीरियड में रहती है। इसका मतलब यह है की अगर एक बार आपने ELSS स्कीम में इन्वेस्ट कर दिया तो 3 साल तक आप अपने पैसे को और उसमे मिली रिटर्न को निकलवा नहीं सकते।
इक्विटी में इन्वेस्टमेंट – Equity Investments: ELSS फंड का बड़ा हिस्सा इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट किया जाता है जैसे की स्टॉक और डेरिवेटिव। यह स्कीम ज्यादातर उन लोगो के लिए लाभकारी है जो ज्यादा रिटर्न कमाना चाहते है और जिन्हे ज्यादा रिस्क लेने से डर नहीं लगता।
डायवर्सिफिकेशन – Diversification: ELSS फंड आपकी इन्वेस्टमेंट को डाइवर्सिफाई करने में मदद करते है। इसमें टैक्स बेनिफिट मिलने के साथ ही फंड को इक्विटी सेक्टर की अलग अलग कंपनियों में इन्वेस्ट किया जाता है। इस से इन्वेस्टर के पोर्टफोलियो का रिस्क फैक्टर काफी हद तक कम हो जाता है।
इन्वेस्टमेंट ऑप्शन – Investment Option: ELSS फंड में आप Lumpsum और SIP दोनों तरह से इन्वेस्ट कर सकते है। इससे यह सभी वर्ग के लोगो को अपनी इन्वेस्टमेंट पर टैक्स सेविंग करने का अवसर प्रदान करती है।
लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट – Long-term Investment: ELSS फंड को आमतौर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के रूप में जाता है। लॉक इन पीरियड होने के कारण इन्वेस्टर को अपनी इन्वेस्टमेंट कम से कम 3 साल के लिए तो होल्ड करनी पड़ती ही है। ज्यादा समय के लिए इन्वेस्टमेंट को होल्ड करने के कारण उस पर अच्छी रिटर्न के सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है।
ELSS म्यूच्यूअल फंड के टैक्स बेनिफिट – ELSS Mutual Funds ke tax benefits
टैक्स डिडक्शन – Tax Deduction: ELSS म्यूच्यूअल फंड में की गई सभी इन्वेस्टमेंट पर सेक्शन 80C के अंतर्गत डेड लाख तक की टैक्स रिबेट मिलती है। इसका मतलब है की आप अपनी कुल बनती टैक्सेबल इनकम से डेड लाख तक की रकम को घटा सकते है जिससे आपकी कुल टैक्स की देनदारी भी कम हो जाती है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन – Long-Term Capital Gains Tax: ELSS फंड इक्विटी फंड की कैटेगरी में आते है और इनमे 3 साल का जरुरी लॉक इन पीरियड होता है। लॉक इन के खत्म होने के बाद अगर रिडेंप्शन लेते समय कैपिटल गेन की अमाउंट 1 लाख से कम है तो वह पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है। 1 लाख के ऊपर हुए कैपिटल गेन पर 10% के हिसाब से टैक्स कैलकुलेट किया जाता है।
डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स – Dividend Distribution Tax (DDT): ELSS फंड समय समय पर फंड के परफॉरमेंस अनुसार डिविडेंड भी ऑफर करते है। अन्य केटेगरी के फंड की तरह ELSS फंड में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लगता था जो म्यूच्यूअल फंड हाउस द्वारा डिविडेंड बाटने से ही पहले काट लिया जाता था। यूनियन बजट 2021 के बाद DDT को खत्म कर दिया गया और अब डिविडेंड, उसे लेने वाले व्यक्ति की टैक्स स्लैब अनुसार टैक्सेबल होता है।
ELSS म्यूच्यूअल फंड में कैसे करें इन्वेस्ट? – ELSS Mutual Fund me kaise kare invest?
ELSS म्यूच्यूअल फंड में SIP और lumpsum दोनों द्वारा इन्वेस्ट किया जा सकता है। लगभग सभी फंड हाउस की अपनी ELSS स्कीम्स है। आप अपनी जानकारी और जरुरत अनुसार सभी की परफॉरमेंस को compare करके एक बेहतर फंड का चुनाव कर सकते है। SIP में आप कम से कम 500 रूपये से भी इन्वेस्ट कर सकते है और यह आपको कम रकम में भी टैक्स सेविंग का लाभ उठाने का मौका देती है। इसमें यह बात नोट करने योग्य है की लॉक इन पीरियड होने के कारण आप सिर्फ वही यूनिट रिडीम कर सकते है जिनकी इन्वेस्टमेंट किए हुए 3 साल हो गया है। उदाहरण के लिए अगर आप किसी ELSS स्कीम में 4 साल से ज्यादा समय से इन्वेस्ट कर रहे है तो वही यूनिट जिनकी इन्वेस्टमेंट को 3 साल पुरे हो गए है यानि की 1 साल से की कुल इन्वेस्टमेंट, सिर्फ उसे ही रिडीम कर सकते है।
ELSS म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्ट करते समय किन बातो का ध्यान रखे? – ELSS Mutual Funds me invest karte samay kin baato ka dhyan rakhe
किसी भी इन्वेस्टमेंट ऑप्शन की तरह ELSS फंड के भी अपने फायदे और रिस्क होते है जिनको इन्वेस्टमेंट करने से पहले ध्यान में रखना बहुत जरुरी है जैसे की:
अपनी जरुरत को पहचाने, इस बात का ध्यान रखे की आप इन्वेस्टमेंट सिर्फ टैक्स बेनिफिट के लिए कर रहे है या आपको इसपर एक अच्छी रिटर्न भी चाहिए। अगर इन्वेस्टमेंट का कारण सिर्फ टैक्स सेविंग है तो मार्किट में ELSS से बेहतर कई स्कीम उपलब्ध है जिनमे आप टैक्स बचाने के साथ साथ ही एक फिक्स्ड रिटर्न का लाभ भी उठा सकते है। फिक्स्ड रिटर्न होने के कारण इनमे रिस्क का फैक्टर बहुत कम रह जाता है। लेकिन अगर आप टैक्स सेविंग के साथ हाई रिटर्न का लाभ भी उठाना चाहते है तो ELSS फंड आपके लिए बेहतर ऑप्शन रहेंगे।
इन्वेस्टमेंट का समय, ELSS फंड में 3 साल का लॉक इन पीरियड होता है जिस कारण आप अपने पैसों को सिर्फ 3 साल के बाद ही रिडीम कर सकते है। इस से कारण अगर आपका इन्वेस्टमेंट होराइजन लॉन्ग टर्म है तभी आप इसमें इन्वेस्ट करे।
रिटर्न्स, इस बात का ध्यान रखे की इक्विटी और स्टॉक मार्किट में इन्वेस्टमेंट होने के कारण ELSS कोई भी फिक्स्ड रिटर्न ऑफर नहीं करते। अगर आप एक हाई रिस्क ले सकते है, तभी ELSS फंड को इन्वेस्टमेंट के लिए चुने।
फंड की परफॉरमेंस, लगभग हर AMC के अपने ELSS फंड है। इन्वेस्टमेंट करने से पहले सभी कंपनियों के फंड को compare करके एक बेहतर स्कीम का चुनाव करे। Comparision करने के लिए आप फैक्टर्स जैसे की स्कीम की past performance, past return, फंड मैनेजर की जानकारी, एक्सपेंस रेश्यो और फंड हाउस की performance हिस्ट्री को ध्यान में रख सकते है।
टॉप परफार्मिंग ELSS म्यूच्यूअल फंड – Top Performing ELSS Mutual Funds
FUND NAME | 3 YEAR RETURN |
Quant Tax Plan – Direct Growth | 44.12% |
Bandhan Tax Advantage Plan – Direct Growth | 35.0 |
Parag Parikh Tax Saver Fund – Direct Growth | 29.59% |
SBI Long Term Equity Fund – Direct Growth | 28.60% |
JM Tax Gain Fund – Direct Growth | 28.47% |
यह भी जानिए: Mutual Fund par kitna tax lagta hai? – म्यूच्यूअल फंड रिटर्न पर टैक्स। कितना कब और कैसे? पूरी जानकारी
निष्कर्ष – Conclusion
इस बात का ध्यान देना जरुरी है की ELSS स्कीम बहुत अच्छा टैक्स बेनिफिट ऑफर करते है लेकिन इन्वेस्टमेंट का निर्णय सिर्फ इसी फैक्टर को ध्यान में रखकर नहीं लिया जा सकता। इन्वेस्टमेंट करने से पहले फंड की परफॉरमेंस, फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड, अपने फाइनेंशियल गोल और रिस्क में ध्यान रखना भी बहुत जरुरी है। अगर आपको इन सब फैक्टर्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो किसी अच्छे फाइनेंशियल एडवाइजर से कंसल्ट करने के बाद ही इन्वेस्टमेंट करे।