म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट अपनी वेल्थ को समय के साथ एक अच्छी रिटर्न से बढ़ाने के सबसे बढ़िया तरीको में से एक है। हमसे से ज्यादातर लोगो को म्यूचुअल फंड में SIP के बारे में पता है जिसमे हम एक फिक्स्ड अमाउंट को एक फिक्स्ड तारीख को म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करते है लेकिन SWP के बारे में ज्यादातर लोगो को जानकारी नहीं है। SWP उन लोगो के लिए उपयोगी साधन है जिन्हे अपनी इन्वेस्टमेंट से एक रेगुलर इनकम चाहिए। “SWP in mutual fund in hindi” आर्टिकल के माध्यम से हम SWP के कांसेप्ट, इसके काम करने के तरीके और इन्वेस्टर के लिए इसके फायदों के बारे में चर्चा करेंगे।
SWP क्या होता है – SWP in Mutual fund in hindi
SWP का मतलब होता है: Systematic Withdrawal Plan
यह म्यूच्यूअल फंड द्वारा ऑफर की जाने वाली एक ऐसी फैसिलिटी है जिसके जरिए हम अपनी इन्वेस्टमेंट से एक रेगुलर इनकम को प्राप्त कर सकते है। यह इनकम आपकी इन्वेस्टमेंट से ली जाने वाली नियमित रिडेम्पशन के रूप में होती है। यह रिडेम्पशन मंथली, क्वाटर्ली, हाफ इयरली या इयरली हो सकती है जिसकी फ्रीक्वेंसी को इन्वेस्टर अपनी सहूलियत के हिसाब से चुन सकता है। इसे आप SIP का एकदम विपरीत समझ सकते है। जिस तरह सिप में आप एक फिक्स्ड अमाउंट को हर महीने म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्ट करते है उसी तरह SWP में आप अपनी म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट से एक फिक्स्ड रकम को निकाल सकते है। यह फैसिलिटी उन लोगो के लिए बहुत फायदेमंद है जिनके पास एक निश्चित उम्र के बाद इनकम का कोई और साधन नहीं रहता या फिर जिन्हे अपनी मुख्य इनकम को सपोर्ट करने के लिए पैसिव इनकम का एक और सोर्स चाहिए।
SWP कितने प्रकार की होती है – Types of SWP in Hindi
SWP मुख्यता दो प्रकार की होती है:
फिक्स्ड अमाउंट SWP और कैपिटल Appreciation SWP
फिक्स्ड अमाउंट SWP में इन्वेस्टर द्वारा निर्धारित की गई एक फिक्स्ड रकम ही हर महीने उसके अकाउंट में क्रेडिट की जाती है जिसे वह अपनी जरूरत अनुसार घटा या बढ़ा सकता है।
कैपिटल Appreciation SWP में सिर्फ आपके इन्वेस्टमेंट पर हुए मुनाफे को ही रिडीम किया जाता है। उदाहरण के लिए अगर एक साल बाद आपकी इन्वेस्ट किए गए 10 लाख 11 लाख हो जाते है तो सिर्फ 100,000 रुपए का इस्तेमाल ही SWP को देने के लिए किया जाता है।
SWP कैसे काम करता है – SWP kaise kaam karta hai
SWP फैसिलिटी का लाभ कोई भी व्यक्ति जिसकी किसी म्यूच्यूअल फंड स्कीम में इन्वेस्मेंट है आसानी से ले सकता है। SWP का पूरा प्रोसेस निचे दिए गए तरीके से काम करता है:
सबसे पहले इन्वेस्टर को उस स्कीम का चुनाव करना होता है जिसमे उसे इन्वेस्टमेंट करनी है। यह इन्वेस्टमेंट आमतौर पर ओपन एंडेड स्कीम में SIP या एकमुश्त राशि द्वारा की जा सकती है। इसके बाद SWP फैसिलिटी शुरू करने ले लिए आप AMC को ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से इंस्ट्रक्शन दे सकते है जिसमे आप इस बात को निर्धारित करते है की आपको कितनी राशि को निकालना है और किस फ्रीक्वेंसी में निकालना है। इन सब चीजों का सेटअप हो जाने के बाद अगली दी गई तारीख को SWP की इंस्टॉलमेंट आपके बैंक अकाउंट में क्रेडिट होना शुरू हो जाती है और जब तक आपका पैसा म्यूचुअल फंड में बैलेंस के तौर पर इन्वेस्टेड रहता है उसमे मार्केट लिंक्ड रिटर्न के कारण बढ़ोतरी होती रहती है। चलिए इसी सारे प्रोसेस को एक उदाहरण के माध्यम से समझते है।
मान लीजिए आपने एक इक्विटी या बैलेंस म्यूचुअल फंड स्कीम में 10 लाख रुपए इन्वेस्ट किए है।
जिस समय आपने इन्वेस्टमेंट की उस समय का NAV प्राइस था 100 रूपए। यानी की अपको कुल 1000,000/100 = 10,000 यूनिट अलॉट हुए।
किसी भी तरह से एग्जिट लोड से बचने के लिए आपने एक साल बाद इस इन्वेस्टमेंट से हर महीने 10,000 की SWP शुरू कर दी। मान लीजिए जब आपकी पहली SWP इंस्टॉलमेंट क्रेडिट हुई उस समय स्कीम की NAV थी 103 रुपए। इसलिए AMC को दस हजार का भुगतान करने के लिए 10,000/103 = 97.08 यूनिट रिडीम करने पड़े।
जब अगली इंस्टॉलमेंट का समय आया तो स्कीम NAV थी 105 यानी की AMC ने कुल यूनिट रिडीम किए 95.23 यही प्रोसेस इन्वेस्टमेंट वैल्यू के खत्म हो जाने तक या इन्वेस्टर द्वारा फिक्स की गई तारीख तक चलता रहता है।
ऊपर दिए उदाहरण में आपने यह बात नोटिस की होगी की यूनिट खरीदते वक्त NAV कम थी और जब SWP शुरू की गई तब यह म्यूचुअल फंड में रिटर्न मिलने के कारण ज्यादा हो गई। अगर हम SWP कैलकुलेटर का प्रयोग करे तो हम यह जान सकते है की इन्वेस्टमेंट पर एवरेज रिटर्न से हमे इन्वेस्टमेंट पर कितना फायदा मिलने की संभावना है जबकि हम उसपर रेगुलर रिडेंप्शन भी लेते रहे है। उदाहरण में दूसरी SWP इंस्टॉलमेंट के समय स्कीम की NAV थी 105 रूपए यानी की फंड की कुल वैल्यू हुई 10,000*105 = 10,50000 जिसमे से आपने पहले ही 20,000 SWP के द्वारा रिडीम कर लिए थे। रिडेंप्शन होने के बाद भी आपकी फंड वैल्यू इन्वेस्ट की गई वैल्यू से ज्यादा ही है और यहीं SWP का असल फायदा देखने को मिलता है। हालांकि यहां इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है की म्यूचुअल फंड में पॉजिटिव रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती। विपरीत मार्किट परिस्थिति में आपका पैसा बढ़ने के बजाए घट भी सकता है इसलिए इन्वेस्टमेंट स्कीम का चुनाव करते समय मार्केट परिस्थिति को भी एनालाइज करे और इस बात का ध्यान भी रखे की स्कीम का पास्ट परफॉर्मेस अच्छा होने के साथ साथ ही उसकी एवरेज रिटर्न में कंसिस्टेंसी बरकरार रही होनी चाहिए।
SWP के फायदे – SWP ke fayde
रेगुलर इनकम: SWP के माध्यम से आप अपनी इन्वेस्टमेंट से रेगुलर इनकम को पा सकते है। यह उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जो अपनी रिटायरमेंट उम्र में है या मुख्य इनकम के साथ पैसिव इनकम का एक और सोर्स चाहते है।
फ्लेक्सिबल: SWP आपको अपनी इनकम अमाउंट और उसकी फ्रीक्वेंसी का चुनाव करने की ऑप्शन देता है। SWP का कोई भी फिक्स्ड टाइम पीरियड नहीं होता और इन्वेस्टर के पास इसे जब चाहे तब बंद करने की ऑप्शन होती है।
इक्विटी लिंक्ड रिटर्न: आप चाहे पैसा SWP के द्वारा रेगुलरली निकलवा सकते है लेकिन फिर भी बचे हुए पैसे पर आपको इक्विटी लिंक्ड स्कीम होने के कारण अच्छी रिटर्न मिलती रहेगी। यह रिटर्न आपकी इन्वेस्टमेंट वैल्यू को और बढ़ाने का काम करती है जिससे रेगुलर पैसे निकालने पर भी आपकी फंड वैल्यू इन्वेस्टमेंट वैल्यू से ज्यादा ही रहती है।
SWP पर टैक्सेशन – SWP par taxation
SWP में आपका पैसा म्यूचुअल फंड स्कीम से रिडीम करके आपके बैंक अकाउंट में क्रेडिट किया जाता है। रिडीम किए गए पैसे पर हुए किसी भी तरह का मुनाफा कैपिटल गेन की कैटेगरी में आता है। यानी की जिस समय SWP के लिए यूनिट को रिडीम किया गया उस समय अगर स्कीम की NAV आपकी खरीद समय की NAV से ज्यादा है तो उसे कैपिटल गेन के रूप में देखा जायेगा जिस पर लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की स्लैब अनुसार टैक्स एप्लिकेबल होता है।
इक्विटी और इक्विटी ओरिएंटेड हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में अगर आप पैसा 12 महीने या एक साल से पहले रिडीम करते हो तो उसपर 15% कैपिटल गेन टैक्स लगता है वहीं पर 1 साल से ज्यादा समय की इन्वेस्टमेंट पर 10% जिसमे 1 लाख तक का कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है।
डेब्ट और डेब्ट ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड में 36 महीने से पहले शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और 36 महीने के बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन एप्लिकेबल होता है। 36 महीने से पहले की इनकम इन्वेस्टर के टैक्स स्लैब अनुसार ही टैक्सेबल होती है और 36 महीने के बाद अगर इन्वेस्टर इंडेक्सेशन का बेनिफिट लेना चाहता है तो वह 20% टैक्स के दायरे में आता है। अगर वह इंडेक्सेशन का बेनिफिट नही लेता तो यह भी उसकी इनकम स्लैब अनुसार ही टैक्सेबल होता है।
यह भी जाने: Mutual fund STP kya hai – जानिए STP क्या है और SIP से कैसे है अलग?
निष्कर्ष – Conclusion
अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग और पैसिव इनकम को पाने के लिए हमारे पास बहुत से साधन है जिनमे SWP भी एक है। अगर हम SWP का चुनाव करते है तो रेगुलर इनकम, मार्केट लिंक्ड रिटर्न, टैक्स में बचत और फ्लेक्सिबिलिटी समेत हमे कई फायदे मिलते है। हालांकि इस ऑप्शन का चुनाव करने से पहले हमे मार्केट कंडीशन और अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो की जांच कर लेना भी बहुत जरूरी है।