इन्वेस्टमेंट की बात करें तो आज के समय में लोगो के पास इसके बहुत से विकल्प मौजूद हैं। इनमे से स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स, और भी कई सारे ऐसे तरीके शामिल हैं जिसमें लोग अपना पैसा इन्वेस्ट करते हैं। लेकिन आज हम बात करेंगे एक ऐसे इन्वेस्टमेंट के साधन की जो हमे अच्छी रिटर्न के साथ साथ ही फ्लेक्सिबिलिटी भी प्रदान करता है, और इस साधन का नाम है, ETF। आज अपने आर्टिकल ‘ETF Full Form in Hindi’ में हम इसी के सभी पहलुओं को जानने की कोशिश करेंगे और समझेंगे की यह किस तरह से एक अच्छा इन्वेस्टमेंट विकल्प हो सकता है।
ETF क्या होता है – ETF Full Form in Hindi
ETF का मतलब होता है Exchange Traded Fund। जिस तरह आप म्यूच्यूअल फंड में अपना पैसा, स्टॉक, बांड, कमोडिटी आदि के एक ग्रुप में इन्वेस्ट करते है, उसी तरह ETF में भी एक एसेट्स का ग्रुप होता है, जिसमे आपका पैसा इन्वेस्ट किया जाता है। ये एक तरह का इन्वेस्टमेंट फंड होता है जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होता है, जिस तरह कोई भी आम स्टॉक ट्रेड होते हैं। इसका मतलब यह है कि जब भी आप ETF को खरीदना या बेचना चाहें, ऐसा आप आसानी से मार्केट चलने की टाइमिंग के दौरान कर सकते है। एक ETF में कई सारे स्टॉक, बॉन्ड या कमोडिटीज शामिल हो सकते हैं। आप इसे एक बास्केट की तरह समझ सकते है जिसमें कई सारे अलग-अलग शेयर या सिक्योरिटी होती हैं, और आप इस पूरे बास्केट को एक ही यूनिट के रूप में खरीद या बेच सकते हो।
दूसरे शब्दों में कहें तो ETF एक तरह के इंडेक्स फंड होते है, जो अपने अंडरलाइंग इंडेक्स को वैल्यू को ट्रैक करते है। फर्क बस इतना है की ETF को सिर्फ स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदा और बेचा जा सकता है, जबकि इंडेक्स फंड को म्यूचुअल फंड AMC द्वारा ही खरीदा और बेचा जाता है।
ETF कैसे काम करता है – ETF kaise kaam karta hai
ETF के काम करने का प्रोसेस बहुत सरल है, और यह इंडेक्स फंड के अनुसार ही काम करते है। ETF एक फिक्स्ड एसेट जैसे इंडेक्स, सेक्टर, या कमोडिटी की प्राइस मूवमेंट को ट्रैक करता है। ETF के अंदर जो एसेट होते हैं, उनके परफॉर्मेस पर ही ETF की परफॉर्मेस निर्भर करती है।
उदाहरण के लिए, अगर आप एक निफ्टी 50 ETF खरीदते हो, तो उस ETF के अंदर निफ्टी 50 इंडेक्स में जितने स्टॉक होंगे और जितनी मात्रा में होंगे, वहीं शामिल रहेंगे। अगर निफ्टी 50 इंडेक्स ऊपर जाता है, तो आपका ETF का प्राइस भी ऊपर जाएगा, और अगर इंडेक्स गिरता है, तो ETF का प्राइस भी गिरता है।
ETF का प्राइस भी स्टॉक मार्केट में डिमांड और सप्लाई के आधार पर निर्धारित होता है। जब लोगो में ETF डिमांड बढ़ती हैं, तो इसका प्राइस भी बढ़ने लगता है, और जब लोग सेल करते हैं, तो इसका प्राइस गिरने लगता है। यह प्राइस का उतर चढ़ाव उसके अंडरलाइंग एसेट की परफॉर्मेंस पर काफी हद्द तक निर्भर करता है।
ETF कितने तरह का होता है – ETF kitne traah ka hota hai
ETF में मुख्यता निम्नलिखित कैटेगरी शामिल होती है:
इक्विटी ETF: ऐसे ETF स्टॉक मार्केट में ट्रेड होने वाले स्टॉक में इन्वेस्ट करते है। इस तरह के ETF मुख्यता स्टॉक मार्किट इंडेक्स जैसे की निफ़्टी 50 या सेंसेक्स की मूवमेंट को ट्रैक करते है। इन ETF में वही स्टॉक शामिल होते है, और उसी रेश्यो में शामिल होते है, जिस रेश्यो में वह इंडेक्स में होते है। इन ETF में इन्वेस्ट करके आप कई कंपनियों में एक साथ इन्वेस्टमेंट कर सकते है, और इसके लिए ज्यादा पैसों की जरुरत भी नहीं पड़ती।
सेक्टोरियल ETF: सेक्टोरियल ETF एक इंडस्ट्री या सेक्टर के स्टॉक को ट्रैक करते है, जैसे की फार्मा, हेल्थकेयर, टेक्नोलॉजी, ट्रांसपोर्ट आदि। अगर आपको आने वाले समय किसी सेक्टर में ग्रोथ के बेहतर अवसर दिखाई दे रहे है तो आप उस सेक्टर की कंपनियों में इन्वेस्ट करने की बजाए सीधे उस सेक्टर से संभंतित ETF में भी इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं।
कमोडिटी ETF: जैसा की नाम से ही साफ होता है, इस तरह के ETF, कमोडिटी जैसे की सोना, चांदी, क्रूड आयल आदि की प्राइस मूवमेंट को ट्रैक करते है। किसी भी कमोडिटी में इन्वेस्ट करने के लिए अक्सर काफी ज्यादा अमाउंट की जरुरत पड़ती है, और उसकी सिक्योरिटी और स्टोरेज को भी ध्यान में रखना पड़ता है। इसी कारण फिजिकल एसेट में इन्वेस्ट करने की बजाए आप उसके ETF में इन्वेस्टमेंट करके, उसी के प्राइस के अनुसार रिटर्न को अर्जित कर सकते हो।
बांड ETF: अगर आप स्टॉक मार्किट के इंस्ट्रूमेंट की बजाए ज्यादा सुरक्षित एसेट में इन्वेस्ट करना चाहते है, तो बांड ETF आपके लिए उपयुक्त हो सकते है। इस तरह के ETF कई प्रकार के बांड में इन्वेस्ट करने करने वाले फंड को ट्रैक करते है, जिसमे गवर्नमेंट बांड, कॉर्पोरेट बांड आदि शामिल होते है। इक्विटी के मुकाबले इनकी रिटर्न कम होती है लेकिन उसके मुकाबले यह ज्यादा सुरक्षित भी होते है।
इंटरनेशनल ETF: इस तरह के ETF आपको ग्लोबल मार्किट में इन्वेस्ट करने का मौका देते है। अगर आप इंटरनेशनल मार्किट का एक्सपोज़र का चाहते है तो आप इन ETF में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। यह मुख्यता ग्लोबल मार्केट में ट्रेड होने वाले इंडेक्स को फॉलो करते है या उसकी कॉपी होते हैं।
ETF में कैसे इन्वेस्ट करें – ETF main kaise invest karen
ETF में आप किसी आम स्टॉक की तरह ही इन्वेस्ट और ट्रेडिंग कर सकते है। इसके लिए:
- सबसे पहले आपको किसी ब्रोकर के पास अपना ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खुलवा सकते है। यह ब्रोकर आपको ETF में इन्वेस्ट करने के लिए जरुरी प्लेफॉर्म उपलब्ध करवाते है। कुछ ऑनलाइन डिस्काउंट ब्रोकर्स है, Groww, Zerodha, Dhan आदि।
- लगभग हर AMC द्वारा अपने अपने ETF ऑफर किए जाते है। आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट पर जाकर उनमे से किसी एक को सर्च कर सकते है।
- अपनी इच्छा अनुसार ETF का चुनाव करने के बाद आप जितना चाहे उतनी क्वांटिटी का आर्डर सबमिट कर सकते है।
ETF के फायदे – ETF ke fayde
कम खर्चे: ETF आमतौर पर पेसिवली मैनेज फंड होते है, जिनका एक्सपेंस रेश्यो म्यूचुअल की तुलना में बहुत कम होता है। इस तरह आपको अपनी इन्वेस्टमेंट की मैनेजमेंट के लिए ज्यादा चार्जेस देने की जरूरत नहीं पड़ती, जो आपकी इन्वेस्टमेंट रिटर्न पर अच्छा प्रभाव डालती है।
लिक्विडिटी: ETF स्टॉक मार्केट में ट्रेड होने के कारण काफी लिक्विड होते है, यानी की आप इन्हे किसी भी समय मार्केट के चलने के समय के दौरान खरीद और बेच सकते है। अगर आपको इमरजेंसी में कैश की जरूरत पड़ती है, तो आप ETF को बेच कर पैसे का इंतजाम कर सकते हैं
ट्रांसपेरेंसी: ETF में आपको इस बात की पूरी जानकारी होती है की आपका पैसा कहां इन्वेस्ट हो रहा है, और कितना इन्वेस्ट हों रहा है। इनकी अंडरलाइंग एसेट का ब्योरा पूरी तरह से पब्लिक होता है, जिस से आप ट्रैक कर सकते है की आपका पैसा किन किन एसेट या सिक्योरिटी में इन्वेस्टेड है।
फ्लेसिबिलिटी: आप ETF में हर तरह की स्ट्रेटजी का इस्तेमाल कर सकते हो, जैसे कि लॉन्ग टर्म इनवेस्टिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग या शॉर्ट टर्म इनवेस्टिंग। हर तरह के गोल, इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग स्टाइल के लिए ETF का इस्तेमाल किया जा सकता है।
डायवर्सिफिकेशन: ETF में इन्वेस्टमेंट करके आप किसी एक स्टॉक या एसेट में इन्वेस्ट नहीं करते, बल्कि यह आपकी इन्वेस्टमेंट को कई सारी एसेट्स और कंपनियों के स्टॉक में बांट देता है। इस तरह से आपका पैसा एक ही जगह लगने की बजाए कई जगह बंट जाता है, जिससे नुक्सान का रिस्क काफी हद्द तक कम हो जाता है।
ETF के नुकसान – ETF ke nuksaan
मार्केट रिस्क: हर मार्केट से जुड़े इंस्ट्रूमेंट की तरह ETF में भी मार्केट से जुड़ा रिस्क होता है। क्युकी यह एक सेक्टर या इंडेक्स के मूवमेंट को ट्रेक करता है, इसलिए इनकी वैल्यू गिरने के कारण ETF की वैल्यू भी प्रभावित होती है।
ट्रैकिंग एरर: कुछ ETF अपने बेंचमार्क इंडेक्स या एसेट की मूवमेंट को सही तरह से फॉलो नहीं कर पाते, जिसे ट्रैकिंग एरर के नाम से जाना जाता है। इस कारण ETF की रिटर्न और बेचमार्क की रिटर्न में थोड़ा फर्क हो सकता है।
ट्रांज़ैक्शन कॉस्ट: स्टॉक मार्केट के किसी भी इंस्ट्रूमेंट की तरह अगर आप ETF को buy या सेल करते हो तो आपको कुछ चार्ज ब्रोकरेज के रूप में ब्रोकर को भरनी पड़ सकती है। ETF में रोजाना ट्रेड करने वालो के लिए यह फीस काफी ज्यादा हो सकती है।
यह भी जाने: OTC full form in hindi – जानिए OTC मार्किट क्या है और कैसे काम करती है?
निष्कर्ष – Conclusion
ETF एक ऐसा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है जो हर तरह के इन्वेस्टर्स के लिए उपयुक्त हो सकता है। स्टॉक मार्केट में बिगिनर और अनुभवी दोनों तरह के लोग इसमें इन्वेस्टमेंट कर सकते है। इसमें इन्वेस्टमेंट करके आप विभिन्न एसेट क्लास की रिटर्न का और उनसे होने वाली डायवर्सिफिकेशन का फायदा उठा सकते है। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने ETF के काम करने के तरीके, उसके फायदे और नुक्सान समेत कई तथ्यों को जानने की कोशिश की है। ETF में इन्वेस्टमेंट के लिए आप एक डिसिप्लिन्ड और लॉन्ग टर्म अप्रोच अपना सकते है और इसकी रिटर्न का फायदा उठा सकते है। लेकिन किसी भी प्रकार की इन्वेस्टमेंट करने से पहले अपने फाइनेंशियल गोल, रिस्क एक्सपोजर और कैपिटल को ध्यान में रखना भी बहुत जरुरी है।