Equity Savings Fund in Hindi – जानिए इक्विटी सेविंग्स फंड क्या है, इसमें क्यों और कैसे करें इन्वेस्ट

आज के समय में इन्वेस्ट करना सिर्फ एक पैसे बचाने का जरिया नहीं है, बल्कि अपने फाइनेंशियल गोल को हासिल करने और इन्फ्लेशन में मात देने में भी एक अहम किरदार निभाता है। जब भी इन्वेस्टमेंट की बात आती है, तो हमारे पास विकल्पों की भरमार होती है, जिनमे स्टॉक, FD, प्रॉपर्टी से लेकर सोना भी शामिल है। ऐसे में म्यूचुअल फंड भी इन्वेस्टमेंट का एक बेहतरीन तरीका है, और इसी में शामिल है इक्विटी सेविंग्स फंड। यह उन इन्वेस्टर्स के लिए एक बेहतर चॉइस है जो कम रिस्क में स्टेबल रिटर्न चाहते है। इस ब्लॉग आर्टिकल ‘Equity Savings Fund in Hindi’ में, हम समझने की कोशिश करेंगे कि इक्विटी सेविंग्स फंड क्या है, कैसे काम करता है, इसके फायदे और इसे अपने पोर्टफोलियो में क्यों शामिल करना चाहिए।

Equity Savings Fund in Hindi

इक्विटी सेविंग्स फंड क्या है – Equity Savings Fund in Hindi

इक्विटी सेविंग्स म्यूच्यूअल फंड एक हाइब्रिड फंड है, यानि की यह कई तरह के म्यूच्यूअल फंड से मिलकर बना है। यह मुख्य रूप से तीन तरह की एसेट क्लास में इन्वेस्ट करता है, इक्विटी, डेब्ट और आर्बिट्राज।

इक्विटी यानि वह फंड जो स्टॉक या शेयर मार्किट में इन्वेस्टमेंट करते है

डेब्ट फंड में बांड्स और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट किया जाता है।

आर्बिट्राज में ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी का इस्तेमाल किया जाता है जिसमे स्टॉक एक एक्सचेंज से खरीद कर दूसरे एक्सचेंज में बेचे जाते है।

ज्यादातर हाइब्रिड फंड सिर्फ दो एसेट क्लास, इक्विटी और डेब्ट में ही इन्वेस्ट करते है, लेकिन इक्विटी सेविंग फंड में आर्बिट्राज का भाग होने के कारण फंड में डाइवर्सिफिकेशन को बढ़ावा मिलता है और स्टॉक मार्केट की डेरीवेटिव क्लास का भी एक्सपोज़र मिलता है। इस तरह फंड की रिटर्न और रिस्क में बैलेंस बना रहता है और यह बाकि फंड की तुलना में कम वोलेटाइल होता है।

इक्विटी सेविंग्स फंड कैसे काम करता है – Equity Savings Fund Kaise Kaam Karta hai

इक्विटी सेविंग फंड का एक अलग नेचर होने के कारण इसका काम करने का तरीका भी थोड़ा अलग होता है। इस फंड की स्ट्रेटजी इस तरह से त्यार की जाती है की यह इक्विटी और डेब्ट की बीच सही बैलेंस बनाए रखती है। इस फंड के तहत 30 से 35% तक का हिस्सा इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट किया जाता है। यह ज्यादा रिस्की होने के साथ ही लम्बे टाइम पीरियड में एक अच्छी रिटर्न देने की क्षमता रखता है। फंड का कुछ हिस्सा सुरक्षित बांड्स और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट किया जाता है। इन इंस्ट्रूमेंट्स में शामिल रिस्क बहुत कम होता है और रिटर्न भी लगभग फिक्स्ड होती है। यह इक्विटी फंड के रिस्क और तेज उतार चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करता है।

बाकि बचे फंड का इस्तेमाल फंड मैनेजर आर्बिट्राज स्ट्रेटजी द्वारा रिटर्न अर्जित करने के लिए करता है। इसके तहत वह स्टॉक और उसके डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की ट्रेडिंग अलग अलग एक्सचेंज पर करता है। इन एक्सचेंज में प्राइस का कुछ अंतर होने के कारण ट्रेडिंग में फायदा होता है, और यह कम रिस्क में एक्स्ट्रा रिटर्न कमाने का काम करता है।

इस तरह के फंड भारतीय फाइनेंशियल मार्किट में अभी नए है लेकिन इन्वेस्टमेंट के लिहाज से यह एक बेहतरीन चॉइस हो सकते है। क्युकी यह एक से ज्यादा तरह की सिक्योरिटी में इन्वेस्ट करते है, इसलिए फंड की कुल मिल रही रिटर्न को बढ़ावा मिलता है और रिस्क को भी अच्छे से मैनेज कर लिया जाता है।

इक्विटी सेविंग्स फंड की विशेषताएं – Equity Savings Fund ki Visheshtaye

बैलेंस्ड इन्वेस्टमेंट: इक्विटी सेविंग फंड का हाइब्रिड नेचर होने के कारण यह इक्विटी समेत कई और एसेट क्लास में इन्वेस्टमेंट करता है। यही बात इस फंड को लगातार बैलेंस्ड रिटर्न देने के साथ कैपिटल की प्रोटेक्शन भी प्रदान करता है।

कम रिस्क: इक्विटी सेविंग फंड में इक्विटी फंड की तुलना में रिस्क काफी कम होता है, क्युकी इसमें स्टॉक के साथ डेब्ट का भाग भी शामिल होता है।

टैक्सेशन में बचत: इक्विटी सेविंग फंड में इक्विटी फंड की समान ही टैक्सेशन लगती है। यानि अगर आप फंड को एक साल से ज्यादा के लिए होल्ड करते है तो होने वाले कैपिटल गेन पर 12.5% के हिसाब से टैक्स लगता है, जिसमे से 1.25 लाख की रकम टैक्स फ्री होती है।

डाइवर्सिफिकेशन: इक्विटी सेविंग फंड अपनी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी के लिहाज से तो डाइवर्सिफाइड है ही, साथ में इन्वेस्टर के अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने के लिए भी एक अच्छा ऑप्शन है। यहाँ आप बेहतर रिटर्न और लॉन्ग टर्म के लिए इक्विटी, कम रिस्क और सुरक्षित रिटर्न के लिए डेब्ट और बैलेंस्ड रिटर्न के लिए इक्विटी सेविंग फंड का चुनाव कर सकते है।

मीडियम टर्म के लिए अच्छा विकल्प: अगर आप मीडियम टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट ऑप्शन ढूंढ रहे है तो आप इक्विटी सेविंग फंड का चुनाव कर सकते है। यह आमतौर पर 3 से 5 साल के टाइम पीरियड के लिए बेहतर रहते है।

इक्विटी सेविंग्स फंड में किसे इन्वेस्ट करना चाहिए – Equity Savings Fund main kise invest karna chahiye

पहली बार इन्वेस्टमेंट करने वाले: वह इन्वेस्टर जो फाइनेंशियल इंडस्ट्री में नए है, जो स्टॉक मार्किट में किसी तरह इन्वेस्ट तो करना चाहते है लेकिन ज्यादा रिस्क से भी बचना चाहते है, वह इन फंड का चुनाव कर सकते है।

कम रिस्क लेने वाले: वह लोग जो अपनी इन्वेस्टमेंट पर ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते और अपने पोर्टफोलियो को भी डाइवर्सिफाई करना चाहते है, वह भी इक्विटी सेविंग फंड में इन्वेस्ट कर सकते है।

शार्ट से मध्यम टर्म के इन्वेस्टर: अगर आप लॉन्ग टर्म के इन्वेस्टर है और इन्वेस्टमेंट से ज्यादा रिटर्न चाहते है, तो आपके लिए इक्विटी फंड अच्छा विकल्प है। लेकिन वह इन्वेस्टर जिनको शार्ट से मध्यम टर्म में पैसों की जरूरत पड़ने वाली है, वह इक्विटी सेविंग फंड में इन्वेस्टमेंट करके अच्छी रिटर्न भी कमा सकते है और इक्विटी के मुकाबले कम रिस्क का फायदा भी उठाते है।

रेगुलर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन से अलग ऑप्शन चाहने वाले: अगर आप इन्वेस्टमेंट के रेगुलर ऑप्शन जैसे की बैंक FD, RD और सोने आदि से अलग ऑप्शन चाहते है, तो भी इक्विटी सेविंग स्कीम आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।

इक्विटी सेविंग फंड चुनते समय ध्यान रखने में योग्य बाते – Equity Savings Fund me Investment karte samay dhyan dene yogya baatein

फण्ड मैनेजर का अनुभव: किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम की परफॉर्मेस बहुत हद तक उसके फंड मैनेजर की काबिलियत और अनुभव पर निर्भर करती है। इक्विटी सेविंग फंड को चुनते समय भी उसे मैनेज करने वाले फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड को चेक करना जरूरी बन जाता है।

इन्वेस्टमेंट का कारण: किसी भी फंड में इन्वेस्टमेंट करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि हम इन्वेस्टमेंट किस कारण कर रहे है। कुछ इन्वेस्टमेंट सिर्फ अपनी सेविंग पर अच्छी रिटर्न पाने के लिए हो सकती है, जबकि कुछ जीवन के महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर पूरा करने के लिए। अगर हमारे मन में अपनी इन्वेस्टमेंट का कारण स्पष्ट होगा तभी हम यह जान पाएंगे कि चुने हुए फंड में की जाने वाली इन्वेस्टमेंट हमारे उद्देश्य को पूरा करती है या नहीं।

पास्ट परफॉर्मेंस: पास्ट परफॉर्मेंस, यानी कि स्कीम ने बीते सालों के किस तरह से परफॉर्म किया है और रिटर्न दी है। इसके आधार पर हमे एक बेहतर स्कीम को सेलेक्ट करने में मदद मिलती है।

एक्सपेंस रेश्यो: एक अच्छी म्यूचुअल फंड स्कीम का एक्सपेंस रेश्यो कम होना चाहिए। यह वो चार्ज है जो एक म्यूचुअल फंड कंपनी, स्कीम को मैनेज के बदले चार्ज करती है और यह जितनी कम होगी उतना ही बेहतर रहता है।

फंड AUM और लिक्विडिटी: फंड का AUM यानी उसके द्वारा मैनेज की जा रही सभी एसेट का साइज और लिक्विडिटी यानी आप कितनी आसानी से अपने पैसे इन्वेस्ट कर सकते है और वापिस निकाल सकते है। अगर फंड की यह दोनों बाते सही है तो इसका मतलब ज्यादा लोगो ने इसमें इन्वेस्ट कर रखा है, और यह एक भरोसेमंद स्कीम और AMC है।

रिस्क लेने की शमता: इन्वेस्टमेंट करने से पहले अपने रिस्क लेने की शमता को भी जान लेना जरूरी है। अगर आप ज्यादा रिस्क ले सकते है तो आप इक्विटी फंड का चुनाव कर सकते है, जो आपको ज्यादा रिटर्न ऑफर कर सके।

इक्विटी सेविंग्स फंड के नुक्सान – Equity Savings Fund ke Nuksaan

इक्विटी फंड्स के मुकाबले कम रिटर्न: हालाँकि इक्विटी सेविंग फंड एक अच्छी रिटर्न ऑफर करते हैं, लेकिन इनकी इक्विटी फंड के साथ तुलना नहीं की जा सकती। इसलिए ज्यादा रिटर्न चाहने वाले इन्वेस्टर्स का इनका चुनाव करना सही नहीं रहता।

पूरी तरह रिस्क फ्री नहीं: सभी म्यूच्यूअल फंड्स की तरह इक्विटी सेविंग फंड भी पूरी तरह रिस्क फ्री नहीं है। इसमें इक्विटी का भाग होने के कारण रिस्क और वोलैटिलिटी दोनों शामिल होते है, वहीँ डेब्ट भाग के कारण इंट्रेस्ट रेट का भी रिस्क रहता है।

सभी इन्वेस्टर्स के लिए उपयुक्त नहीं: बहुत कम पीरियड और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के लिए यह ऑप्शन उपयुक्त नहीं है। इसलिए उन्हें किसी और ऑप्शन का चुनाव करना पड़ सकता है।

इन्फ्लेशन रिस्क: इक्विटी सेविंग फंड में इन्फ्लेशन का रिस्क रहता है, यानि इसकी रिटर्न बढ़ती महंगाई का मुकाबला नहीं कर पाती। इन्फ्लेशन के कारण पैसों की वैल्यू में कमी आती है और अगर इन्वेस्टमेंट की रिटर्न इन्फ्लेशन रेट के बराबर नहीं रहती तो आपको इन्वेस्टमेंट में फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।

यह भी जाने: Arbitrage Mutual Fund Meaning in Hindi – आर्बिट्राज फंड क्या होते है और कैसे काम करते है

निष्कर्ष – Conclusion

इक्विटी सेविंग्स फंड एक बेहतरीन ऑप्शन है, जो रिटर्न और रिस्क में बीच में बैलेंस प्रदान करता है। यह इन्वेस्टर्स को इक्विटी और डेब्ट दोनों तरह के फंड का फायदा उठाने का मौका देता है जो टैक्सेशन के लिहाज से भी फायदेमंद है। अगर आप एक कम रिस्क लेने वाले इन्वेस्टर है और अपनी इन्वेस्टमेंट से अच्छी रिटर्न भी चाहते है तो यह फंड आपके लिए सही विकल्प हो सकते है।

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