इन्वेस्टमेंट की बात करें तो म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट लोगों के बीच एक पॉपुलर ऑप्शन बन चुका है। आम इन्वेस्टर्स के बीच और सोशल मीडिया पर डायरेक्ट और रेगुलर म्यूचुअल फंड्स से जुड़ी अक्सर चर्चा होती रहती है। यह दोनों ही म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने दो ऑप्शन है, जिनके अपने फायदे और नुकसान है। बहुत से इन्वेस्टर इन दोनों के बीच के अंतर को ठीक से नहीं समझ पाते और बिना सोचे समझे किसी एक विकल्प को चुन लेते हैं। इस आर्टिकल ‘Direct vs Regular Mutual Fund’ में हम दोनों म्यूचुअल फंड्स की तुलना करेंगे और समझेंगे कि कौन सा फंड आपके लिए बेहतर हो सकता है।
डायरेक्ट और रेगुलर म्यूचुअल फंड क्या है – Direct aur Regular Mutual Fund kya hai
डायरेक्ट म्यूचुअल फंड
डायरेक्ट फंड, जैसा कि नाम से ही जाहिर है, ऐसे फंड होते है जिसमें आप सीधे AMC (Asset Management Company) यानी फंड मैनेजमेंट कंपनी से इन्वेस्टमेंट करते हैं। इसमें किसी भी डिस्ट्रीब्यूटर, एजेंट या ब्रोकर की जरूरत नहीं होती, जिससे आपको किसी भी तरह की कमीशन देने की जरूरत नहीं पड़ती।
रेगुलर म्यूचुअल फंड
रेगुलर फंड्स में इन्वेस्टमेंट करने के लिए आपको किसी ब्रोकर, डिस्ट्रीब्यूटर या एजेंट के माध्यम से इन्वेस्ट करना होता है। इसके बदले में फंड हाउस को उन्हें कमीशन देना पड़ता है, जिससे फंड का एक्सपेंस रेशों बढ़ जाता है। हालांकि इसमें आपसे किसी भी तरह का अलग से चार्ज नहीं लिया जाता, फिर भी लॉन्ग टर्म में यह फंड की रिटर्न पर असर डालता है।
डायरेक्ट और रेगुलर म्यूचुअल फंड में अंतर – Direct vs Regular Mutual Fund
डायरेक्ट म्यूचुअल फंड
- इसमें आप सीधे AMC के ऑफिस या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए इन्वेस्टमेंट करते है।
- इन्वेस्टर्स को खुद रिसर्च करके निर्णय लेना पड़ता है।
- इसमें डिस्ट्रीब्यूटर का कमीशन शामिल नहीं होता, इसलिए एक्सपेंस रेशों कम होती है।
- इनकी NAV रेगुलर फंड से ज्यादा होती है।
- इन्वेस्टर को अपना पोर्टफोलियो खुद मैनेज करना पड़ता है।
- कोई गाइडेंस का होने के कारण इसमें ज्यादा रिस्क की सम्भावना रहती है।
रेगुलर म्यूचुअल फंड
- इसमें आप किसी डिस्टीब्यूटर, ब्रोकर या रेफरेंस के जरिए इन्वेस्ट करते है।
- इनमें आपको खुद रिसर्च नहीं करनी पड़ती।
- इनका एक्सपेंस रेशों डायरेक्ट फंड से ज्यादा होता है।
- इनकी NAV रेगुलर फंड से कम होती है।
- आपको अपने पोर्टफोलियो को मैनेज करने में एक्सपर्ट की मदद मिलती है।
- एक्सपर्ट गाइडेंस होने के कारण डायरेक्ट प्लान से कम रिस्क होता है।
आपके लिए कौन सा ऑप्शन बेहतर है – Apke liye kaun sa option behtar hai
डायरेक्ट और रेगुलर दोनों तरह के म्यूचुअल फंड के अपने फायदे और नुकसान है। इन दोनों में से किसी एक का चुनाव पूरी तरह से आपके फाइनेंशियल गोल, आपके समय और आपके रिस्क प्रोफाइल पर निर्भर करता है।
डायरेक्ट प्लान आपके के बेहतर हो सकते है अगर:
- आप खुद फाइनेंशियल जगत की जानकारी रखते है और रिसर्च करके अच्छे फंड का चुनाव कर सकते है।
- आपके पास रिसर्च और पोर्टफोलियो को मैनेज करने के लिए टाइम है।
- अगर आप किसी तरह का कमीशन न देकर ज्यादा रिटर्न कमाना चाहते है।
- अगर आप इन्वेस्टमेंट के बाद पढ़ने वाली सुधार या बदलाव की जरूरतों को खुद मैनेज कर सकते है।
रेगुलर प्लान आपके लिए बेहतर हो सकते है अगर:
- आप इन्वेस्ट करने और अच्छे फंड का चुनाव करने के लिए अच्छी गाइडेंस चाहते है।
- अगर आपके पास पोर्टफोलियो मैनेज करने का समय नहीं है।
- अगर आपके लिए अच्छी रिटर्न के बजाय अच्छी सर्विस मायने रखती है।
- अगर आपको आफ्टर सेल सर्विस के लिए किसी एडवाइजर की मदद चाहिए।
डायरेक्ट और रेगुलर म्यूचुअल फंड में कैसे इन्वेस्ट करे – Direct aur Regular Mutual fund me kaise invest karen
डायरेक्ट फंड में इन्वेस्ट करने के लिए आप:
- AMC के ऑफिस, उनकी वेबसाइट या ऐप के जरिए इन्वेस्टमेंट कर सकते है।
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे, Zerodha coin, Indmoney, Groww आदि का इस्तेमाल कर सकते है।
- रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट जिनमें cams और karvy शामिल है, के प्लेटफॉर्म और वेबसाइट का इस्तेमाल कर सकते है।
रेगुलर फंड में इन्वेस्ट करने के लिए आप:
- किसी एजेंट, डिस्ट्रीब्यूटर या ब्रोकर की मदद ले सकते है।
- बैंक या फाइनेंशियल संस्था के जरिए इन्वेस्ट कर सकते है।
- ऑनलाइन पोर्टल जैसे ICICI Direct, HDFC Securities, SBI Smart आदि से इन्वेस्टमेंट कर सकते है।
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निष्कर्ष – Conclusion
अगर आप एक नए इन्वेस्टर हैं और आपको फाइनेंशियल प्लानिंग की अच्छी जानकारी नहीं है, तो रेगुलर फंड्स आपके लिए सही हो सकते हैं। लेकिन अगर आप लंबे समय में ज्यादा रिटर्न कमाना चाहते हैं और खुद रिसर्च करने को तैयार हैं, तो डायरेक्ट फंड्स एक बेहतर विकल्प हैं। लेकिन यहां इस बात का ध्यान रखें कि डायरेक्ट फंड में बहुत से इन्वेस्टर लंबे टाइम पीरियड के लिए इन्वेस्टेड नहीं रह पाते, क्योंकि मार्केट के उतार चढ़ाव में टीके रहना हर किसी के बस की बात नहीं है और ऐसे में एक अनुभवी सलाहकार आपको गाइड करने का काम करता है। दोनों ही तरह के फंड इन्वेस्टर की अलग अलग कैटिगरी के अनुसार उपयुक्त है। इसलिए, आपके इन्वेस्टमेंट के लक्ष्य, जानकारी और सुविधानुसार सही ऑप्शन चुनना ही सबसे जरूरी है।