AIF Full form in Hindi – जानिए AIF क्या होता है, क्यों और कैसे करें इन्वेस्ट

आज के फाइनेंशियल जगत में हमारे पास इन्वेस्टमेंट के बहुत सारे विकल्प है, जिनमें पारंपरिक से लेकर नए सभी तरह के तरीके उपलब्ध है। इनमें से AIF भी लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह एक ऐसा फंड है जो पारंपरिक इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस जैसे शेयर, बॉन्ड या म्यूचुअल फंड से अलग है। AIF उन इन्वेस्टर्स के लिए है जो अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करना चाहते हैं और नए तरह के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करने की सोच रहे हैं। इस ब्लॉग आर्टिकल ‘AIF Full form in Hindi’ में, हम आपको AIF की पूरी जानकारी देने कि कोशिश करेंगे, और यह भी जानेंगे कि इसमें कौन और कैसे इन्वेस्ट कर सकता है।

AIF Full form in Hindi

AIF क्या होता है – AIF Full Form in Hindi

AIF का पूरा नाम है, Alternative Investment Fund। इसका मतलब है ऐसा इन्वेस्टमेंट फंड जो पारंपरिक इन्वेस्टमेंट ऑप्शन से अलग हो। SEBI के अनुसार, AIF एक ऐसा निजी फंड होता है जिसे भारत में रजिस्टर्ड किया जाता है। यह फंड पब्लिक रूप से नहीं होता, बल्कि इसे खासतौर पर योग्य इन्वेस्टर्स के लिए डिजाइन किया गया है। इन इन्वेस्टर में बड़े इंस्टीट्यूशन और HNI शामिल होते है। यह फंड इन्वेस्टमेंट के लिए ऐसी स्ट्रेटजी और एसेट का इस्तेमाल करते है जो ट्रेडिशनल एसेट क्लास जैसे बॉन्ड्स, स्टॉक आदि से अलग होती है।

AIF, SEBI की रेगुलेशन के अनुसार काम करते है और इसी की गाइडलाइंस में AIF को एक ट्रस्ट, कंपनी या LLP के तहत रिजिस्टर किया जा सकता है। भारत में काम करने वाले ज्यादातर AIF ट्रस्ट के तौर पर काम करते है।

AIF कैसे काम करता है – AIF kaise kaam karta hai

AIF एक पूलिंग व्यवस्था पर काम करता है। इसमें इन्वेस्टर्स का इकठ्ठा हुआ पैसा अलग अलग एसेट क्लास जैसे रियल एस्टेट, वेंचर कैपिटल, हेज फंड्स आदि में लगाया जाता है। AIF में इन्वेस्टर्स का पैसा एक्सपर्ट्स द्वारा मैनेज किया जाता है ताकि उन्हें ज्यादा रिटर्न मिल सके। सबसे पहले SEBI की रेगुलेशन के अनुसार AIF को एक ट्रस्ट, कंपनी या LLP के तौर पर स्थापित किया जाता है। इसके बाद बड़े और HNI क्लाइंट से पूलिंग द्वारा इकट्ठे हुए पैसे के उपयोग इन्वेस्टमेंट के लिए किया जाता है।

AIF में इन्वेस्टमेंट के लिए अलग अलग स्ट्रेटजी का इस्तेमाल करते हुए पैसा आपके द्वारा चुने गए फंड में लगाया जाता है। इन फंड से मिलने वाली रिटर्न आमतौर पर 11 से 16% के बीच में हो सकती है। अच्छी रिटर्न होने के कारण इसका इस्तेमाल आपके पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने और एक नया एक्सपोजर देने के लिए किया जा सकता है।

AIF कितने प्रकार का होता है – Types of AIF in Hindi

SEBI के अनुसार AIF को तीन कैटेगरी में बांटा जा सकता है:

कैटेगरी I AIF

इस कैटेगरी में वे फंड शामिल हैं जो स्टार्टअप्स, छोटे और माध्यम उद्योगों (SMEs), या सोशल और आर्थिक विकास से जुड़े प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट करते हैं। इसे आगे कई भागों में बांटा जा सकता है:

वेंचर कैपिटल फंड: ज्यादा ग्रोथ की संभावना वाले स्टार्टअप्स और नई कंपनियों में इन्वेस्टमेंट।

इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड: इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स जैसे कि हाइवे, एयरपोर्ट, पोर्ट आदि में इन्वेस्टमेंट।

SME फंड: छोटे और मीडियम साइज की कंपनियों में इन्वेस्टमेंट जहां प्रॉफिट और ग्रोथ की ज्यादा संभावना होती है।

सोशल वेंचर फंड: ऐसी कंपनियों में इन्वेस्टमेंट जिनके कारण सोसायटी और वातावरण पर अच्छा प्रभाव पड़ रहा हो और उनका पुराना रिकॉर्ड भी अच्छा रहा हो।

कैटेगरी II AIF

इसमें वे फंड शामिल हैं जो रिस्क और रिटर्न के बैलेंस को ध्यान में रखते हुए काम करते हैं।

प्राइवेट इक्विटी फंड्स: प्राइवेट कंपनियों में इन्वेस्टमेंट।

डेट फंड्स: डेट इंस्ट्रूमेंट जैसे बॉन्ड्स, डिबेंचर आदि में इन्वेस्टमेंट।

रियल एस्टेट फंड: रियल एस्टेट और ऐसी प्रॉपर्टीज में इन्वेस्टमेंट, जहां रेंटल इनकम और कैपिटल में बढ़त द्वारा रिटर्न कमाई जा सके।

कैटेगरी III AIF

यह कैटेगरी हाई रिस्क और हाई रिटर्न पर आधारित है। इसमें हेज फंड्स शामिल होते हैं जो डेरिवेटिव्स और दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करते हैं।

हेज फंड: ऐसे फंड डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट में शॉर्ट सेलिंग और अन्य स्ट्रेटजी द्वारा रिटर्न जनरेट करने की कोशिश करते है।

कमोडिटी फंड: कमोडिटी फंड फिजिकल कमोडिटी जैसे गोल्ड, सिल्वर आदि के इन्वेस्ट करने समेत इनके डेरिवेटिव में भी इन्वेस्टमेंट करती है।

PIPE: PIPE का मतलब होता है Private Investment in public Equity Funds। यह फंड कंपनी की ऐसे इक्विटी में इन्वेस्टमेंट करते है, जो शेयर मार्केट में लिस्टेड हो और जिसकी वैल्यू डिस्काउंट पर ट्रेड हो रही हो।

AIF में कौन इन्वेस्ट कर सकता है – AIF main kaun invest kar sakta hai

भारतीय नागरिक, NRI और Foreign National, AIF में इन्वेस्टमेंट कर सकते है। इसके लिए उन्हें कम से कम 1 करोड़ की कैपिटल से शुरुआत करनी पड़ती है। इसके इलावा QIB, फैमिली ऑफिस और AIF फंड के डायरेक्टर और कर्मचारी भी इनमें इन्वेस्ट करने के लिए एलिजिबल होते है।

QIB यानि कि Qualified Institutional Investor जिसमें बैंक, म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनिया शामिल होती है। उसी तरह फैमिली ऑफिस में वह फर्म शामिल होती है जो HNI इन्वेस्टर्स का पैसा मैनेज करती है। यह अपने कस्टमर के बदले AIF में इन्वेस्ट करते है। ज्यादातर AIF, 3 साल के लॉक इन पीरियड के साथ आते है, जिसके दौरान किसी भी तरह की रकम को इन्वेस्टमेंट से नहीं निकला जा सकता।

AIF में कैसे करें इन्वेस्ट – AIF main kaise karen invest

AIF में इन्वेस्ट करने के लिए नीचे दिए प्रोसेस और बातों को ध्यान में रखें:

अपना फाइनेंशियल गोल जाने: सबसे पहले आपको अपने इन्वेस्टमेंट करने की जरूरत को समझना पड़ेगा। इस बात पर पुख्ता हों कि आप किस लिए इन्वेस्टमेंट करना चाहते है, आपका टाइम फ्रेम क्या है और कितना रिस्क लेने में सक्षम है। इन सब बातों और अपने पास उपलब्ध कैपिटल को ध्यान में रखते हुए ही AIF में इन्वेस्टमेंट का निर्णय लें।

फंड का चुनाव: मार्केट में उपलब्ध सभी SEBI रजिस्टर्ड अच्छे AIF का विश्लेषण करें। सही AIF का चयन करने के लिए उनकी मैनेजमेंट, हिस्टोरिकल परफॉर्मेंस और फीस को जरूर ध्यान में रखें।

AIF की कैटेगरी को जाने: ऊपर बताए अनुसार AIF की कई सारी कैटेगरी हो सकती है। आप अपनी जरूरत और रिस्क लेने की क्षमता अनुसार सही कैटेगरी का चुनाव करें। इस तरह का कोई भी चुनाव केवल अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह से ही करें।

डॉक्यूमेंटेशन: सभी जरूरी दस्तावेज जैसे KYC, इनकम प्रूफ आदि जमा करें।

इन्वेस्टमेंट राशि जमा करें: मिनिमम इन्वेस्टमेंट अमाउंट को जमा करें। यह रकम 1 करोड़ या 1 करोड़ से ज्यादा की राशि हो सकती है।

फंड मैनेजर से चर्चा और रिटर्न को जाने: आप फंड के मैनेजर से इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी और मिलने वाले रिटर्न को लेकर समय समय पर चर्चा कर सकते है।

AIF के फायदे – AIF ke fayde

डाइवर्सिफिकेशन: AIF आपके पोर्टफोलियो को अलग अलग एसेट क्लास में डाइवर्सिफाई करने में मदद करता है, जिससे आपके पोर्टफोलियो की रिटर्न को बैलेंस्ड रखने मदद मिलती है।

ज्यादा रिटर्न: AIF में अच्छी रिटर्न की ज्यादा संभावना होती है क्योंकि यह आपके कैपिटल को नए और रिस्की एसेट में इन्वेस्ट करता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि ज्यादा रिस्क के साथ नुकसान होने की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है।

एक्सपर्ट मैनेजमेंट: AIF को एक्सपर्ट फंड मैनेजर्स द्वारा मैनेज किया जाता है। यह मैनेजर अपनी फील्ड में काफी सालों का अनुभव रखते है और इनकी निगरानी में की गई इन्वेस्टमेंट आपके रिस्क को कम और रिटर्न को ज्यादा रखने में मदद करती है।

इन्वेस्टमेंट का अलग और नया तरीका: AIF के जरिए हम इन्वेस्टमेंट के अलग और नए टूल्स का फायदा उठा पाते है यह हमें ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट ऑप्शन से हटकर नया दृष्टिकोण प्रदान करता है।

AIF के नुकसान – AIF के nuksaan

ज्यादा रिस्क: AIF में हाई रिस्क शामिल होता है क्योंकि यह पारंपरिक फंड्स से अलग एसेट क्लास में इन्वेस्ट करते है। ज्यादा रिस्की स्ट्रेटजी होने के कारण रिस्क और नुकसान की संभावना और भी बढ़ जाती है।

लिक्विडिटी की कमी: आम तौर पर AIF में की गई इन्वेस्टमेंट लॉक इन पीरियड के साथ आती है जिसके दौरान  तुरंत पैसा निकालना मुश्किल हो सकता है।

ज्यादा चार्जेस: AIF में परफॉर्मेंस शुल्क और मैनेजमेंट फीस काफी ज्यादा हो सकती है। यह बाते होने वाली रिटर्न की परसेंटेज को कम कर देती है।

जटिलता: AIF को समझना और उसमें इन्वेस्टमेंट करना आम नागरिक के लिए एक नया कांसेप्ट हो सकता है। इसे समझने के लिए फाइनेंशियल मार्केट की अच्छी समझ और रूल्स और रेगुलेशन के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

बड़े इन्वेस्टर तक ही सीमित: AIF में इन्वेस्टमेंट करने के लिए कम से कम 1 करोड़ के कैपिटल की जरूरत होती है। इसलिए इन्वेस्टमेंट का यह साधन सिर्फ बड़े इन्वेस्टर तक ही सीमित रह जाता है।

यह भी जाने: Invoice Discounting Meaning in Hindi – इनवॉइस डिस्कॉउंटिंग क्या है और कैसे काम करता है

निष्कर्ष – Conclusion

AIF एक एडवांस और आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है, लेकिन इसमें इन्वेस्ट करने से पहले इसके रिस्क और फायदों को अच्छी तरह से समझना बहुत जरूरी है। यह मुख्य रूप से उन इन्वेस्टर्स के लिए उपयुक्त है जो ज्यादा रिस्क उठाने की क्षमता रखते हैं और पारंपरिक इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस से कुछ अलग करना चाहते हैं। यदि आप एक बड़े इन्वेस्टर हैं और अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करना चाहते हैं, तो AIF एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। लेकिन इन्वेस्टमेंट से पहले एक्सपर्ट फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लेना न भूलें।

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