शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले लोग अक्सर IPO में इन्वेस्टमेंट करने के लिए उत्सुक रहते हैं। IPO उन्हें नई संभावना और अवसर के साथ मार्केट में उतर रही कंपनी की ग्रोथ में हिस्सेदारी लेने का मौका देता है। IPO के दौरान एक महत्वपूर्ण टर्म होता है GMP, जिसके बारे में हमें अक्सर सुनने को मिलता है। लेकिन क्या आपको इसके महत्व और फायदों के बारे पता है? अगर नहीं तो यह आर्टिकल आपको इसके बारे में समझने में मदद करेगा। इस आर्टिकल ‘IPO GMP Full Form in Hindi’ में हम विस्तार से समझेंगे कि IPO GMP क्या होता है, यह कैसे काम करता है, और इन्वेस्टर्स के लिए इसकी क्या अहमियत है।
IPO GMP क्या है – IPO GMP Full Form in Hindi
GMP का फुल फॉर्म होता है, Grey Market Premium। जब कोई कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने के लिए अपना IPO लाती है, तो उसके शेयरों की एक तय कीमत होती है, जिसे इश्यू प्राइस कहा जाता है और जिस पर इन्वेस्टर्स को शेयर अलॉट किए जाते हैं। लेकिन, जब इन्वेस्टर्स शेयर मार्केट में लिस्टिंग से पहले ही इन शेयरों की खरीद-फरोख्त अनऑफिशियल बाजार में करने लगते हैं, तो इससे शेयर के प्रीमियम घटने या बढ़ने लगते है, जिसे Grey Market Premium कहा जाता है।
अगर किसी IPO की बाजार में ज्यादा डिमांड होती है, तो उसका GMP बढ़ जाता है, यानी लोग उस शेयर को इश्यू प्राइस से ज्यादा कीमत पर खरीदने के लिए तैयार होते हैं। इसी तरह, अगर डिमांड कम होती है, तो GMP घट सकता है या नेगेटिव हो सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो GMP शेयर के इश्यू प्राइस और उसके ग्रे मार्केट प्राइस का फर्क होता है।
उदाहरण के लिए किसी कंपनी के IPO का इशू प्राइस 100 रुपए प्रति शेयर है, और उसका GMP 50 रुपए चल रहा है। इसका मतलब है कि शेयर बाजार में लिस्टिंग से पहले ही लोग इसे 150 (100 + 50) पर खरीदने के लिए तैयार हैं और इसी कारण लिस्टिंग के समय एक कंपनी का शेयर कम या ज्यादा प्राइस पर लिस्ट होता है। ऊपर बताए उदाहरण के केस में 100 रुपए में इश्यू किया गया शेयर 150 रुपए में लिस्ट हो सकता है। इस तरह जिन इन्वेस्टर्स को शेयर्स अलॉट होते है, उन्हें मुनाफा होता है।
ग्रे मार्केट क्या होता है – Grey Market kya hota hai
ग्रे मार्केट जिसे पैरेलल मार्केट भी कहा जाता है, एक अनऑफिशियल मार्केट होती है, जहां पर स्टॉक और IPO एप्लीकेशन की स्टॉक एक्सचेंज में ऑफिशियल तौर पर लिस्टिंग से पहले ट्रेडिंग की जाती है। यह ट्रेडिंग पूरी तरह से भरोसे पर आधारित होती है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच में कैश द्वारा की जाती है। इसे किसी भी ऑथोरिटी द्वारा रेग्यूलेट नहीं किया जाता लेकिन यह पूरी तरह से लीगल प्रैक्टिस है।
ग्रे मार्केट डिमांड और सप्लाई के प्रिंसिपल पर काम करती है। यहां पर इन्वेस्टर शेयर्स को एक्चेंज में लिस्ट होने से पहले ही खरीद और बेच पाते है। इस तरह से ऑफर किए जाने वाले स्टॉक को ग्रे मार्केट स्टॉक कहा जाता है। इस तरह लिस्ट होने से पहले कंपनी के स्टॉक की डिमांड अनुसार उसका लिस्टिंग प्राइस का अंदाजा लगा पाने में मदद मिलती है और ऐसे ट्रेड को सिर्फ ऑफिशल ट्रेड शुरू होने के बाद ही सेटल किया जा सकता है।
इस सब के इलावा ग्रे मार्केट में हमें दो और टर्म्स मुख्य रूप से सुनने को मिलती है, Kostak rate और Subject to Sauda।
Kostak Rate: अगर किसी इन्वेस्टर ने किसी IPO के लिए अप्लाई किया है और वह अपना IPO एप्लीकेशन किसी और व्यक्ति को बेच देता है, तो जो कीमत उसे मिलती है, उसे kostak rate कहते हैं। Kostak rate एक फिक्स्ड मुनाफा होता है, चाहे अलॉटमेंट मिले या ना मिले। उदाहरण के लिए अगर आपने एक IPO एप्लीकेशन के लिए अप्लाई किया है, जिसका प्राइस 15000 रुपए है और उसका kostak rate 5000 रुपए है। अगर आप अपनी एप्लीकेशन किसी और इन्वेस्टर को बेचते है तो आपको 5000 रुपए का फायदा होगा, भले ही आपको अलॉटमेंट मिले या न मिले।
Subject to Sauda: Subject to sauda वह फिक्स्ड प्राइस होता है जिसपर एक IPO एप्लीकेशन का खरीदार उस एप्लीकेशन को सेलर से खरीदने पर राजी होता है। Kostak के विपरीत यह प्राइस तभी दिया जाता है जब शेयर्स की अलॉटमेंट होती है। उदाहरण के लिए ग्रे मार्केट में एक इन्वेस्टर अपने एप्लीकेशन को 20,000 में बेच रहा है जिसका असल में प्राइस 15000 है। यानि कि 5000 के प्रीमियम पर। अगर कोई इन्वेस्टर इस एप्लीकेशन को 20,000 में खरीद लेगा तो उसे अलॉटमेंट होने पर सेलर को पैसे देने होंगे। अगर अलॉटमेंट नहीं होती तो डील कैंसिल कर दी जाती है।
यह 20,000 का प्राइस यहां पर फिक्स्ड रहेगा चाहे लिस्टिंग गेन कुछ भी हो। यानि अगर शेयर्स की लिस्टिंग होने पर मुनाफा ज्यादा हो जाता है, तब भी सेलर को सिर्फ 5000 का ही फायदा होगा और उसे बाकी का पैसा बायर को देना पड़ेगा।
GMP कैसे कैलकुलेट की जाती है – GMP kaise calculate ki jaati hai
काफी सारे इन्वेस्टर्स के लिए GMP इस बात का निर्णय लेने में अहम भूमिका निभाता है कि IPO में शेयर को खरीदना है या नहीं। इसी तरह डिमांड और सप्लाई के कारण ही IPO का ग्रे मार्केट प्रीमियम घटता है या बढ़ता है। GMP को कैलकुलेट करने के लिए एक IPO के शेयर की प्राइमरी मार्केट के प्राइस और ग्रे मार्केट में ट्रेडिंग प्राइस की तुलना की जाती है। इसमें नीचे दिए स्टेप शामिल होते है:
- सबसे पहले IPO के शेयर की ग्रे मार्केट प्राइस और उसके इश्यू प्राइस के बारे में पता लगाया जाता है।
- इसके बाद इश्यू प्राइस को ग्रे मार्केट प्राइस से घटाने के बाद ग्रे मार्केट प्रीमियम का पता लगता है। उदाहरण के लिए अगर इश्यू प्राइस 100 रुपए है, और ग्रे मार्केट प्राइस 105 तो ग्रे मार्केट प्रीमियम होगा 5 रुपए।
- अगर आप चाहें तो इसे परसेंटेज में तब्दील कर सकते है। ऊपर बताए उदाहरण अनुसार GMP परसेंटेज 5% रहेगा।
GMP इन्वेस्टर्स के लिए क्यों है जरूरी – GMP investors ke liye kyu hai jaruri
लिस्टिंग गेन का अनुमान: शेयर का ग्रे मार्केट प्रीमियम देखकर इन्वेस्टर इस बात का अंदाजा लगा सकते है कि शेयर किस प्राइस पर लिस्ट होगा और उन्हें कितना लिस्टिंग गेन होने की संभावना है। इस बात से वह मार्केट में शेयर की डिमांड का अंदाजा भी लगा पाते है जो कंपनी की रेपुटेशन और अच्छी या बुरी स्थिति की और इशारा करता है।
शॉर्ट टर्म प्रॉफिट में सहायक: जो लोग सिर्फ शॉर्ट टर्म प्रॉफिट या लिस्टिंग गेन के लिए IPO में इन्वेस्ट करते है उन्हें GMP को जान कर अपने फैसले लेने में बहुत मदद मिलती है। क्योंकि इस तरह वह सिर्फ पॉजिटिव या ज्यादा GMP वाले शेयर्स के IPO में ही बिडिंग करते है।
मार्केट सेंटीमेंट को समझने में सहायक: GMP कंपनी के प्रति लोगों और मार्केट दोनों के सेंटीमेंट को जानने और समझने में मदद करता है। ज्यादा GMP, कंपनी की अच्छी छवि और बढ़िया मार्केट सेंटीमेंट की और इशारा करता है।
GMP की जानकारी कहां से मिलती है – GMP ki jaankari kahan se milti hai
आप किसी IPO के GMP को जानने के लिए नीचे दिए माध्यमों की मदद ले सकते है।
ब्रोकरेज फर्म: ब्रोकरेज कंपनिया जैसे कि Zerodha, Angelone, Groww आदि अपने प्लेटफॉर्म्स पर IPO GMP से जुड़ी जानकारी अपडेट करती रहती है।
फाइनेंशियल वेबसाइट: फाइनेंशियल वेबसाइट जैसे IPO Watch, Investorgain आदि से भी GMP के बारे में जाना जा सकता है।
टेलीग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप: कई ट्रेडर्स और ब्रोकर्स अपने प्राइवेट सोशल मीडिया ग्रुप्स में GMP से जुड़ी जानकारी शेयर करते हैं।
GMP से जुड़े रिस्क – GMP se jude risk
अनिश्चितता: GMP मार्केट लीगल होता है पर किसी भी तरह से रेगुलेटेड नहीं होता। इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि लिस्टिंग के दिन शेयर की वही कीमत होगी।
मार्केट सेंटिमेंट में बदलाव: अगर लिस्टिंग से पहले बाजार में भारी गिरावट आ जाती है, तो GMP का अनुमान गलत साबित हो सकता है।
अलॉटमेंट की गारंटी नहीं: GMP के माध्यम से हम सिर्फ यह जान पाते है कि स्टॉक के किस प्राइस पर लिस्ट होने के संभावना है। इससे हमें शेयर के अलॉटमेंट से जुड़ी कोई भी जानकारी नहीं मिलती क्योंकि यह पूरी यह से सब्सक्रिप्शन और एलोकेशन जैसे तथ्यों पर निर्भर करता है।
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निष्कर्ष – Conclusion
IPO GMP एक महत्वपूर्ण टूल है, जो यह दर्शाता है कि किसी कंपनी के IPO की बाजार में क्या स्थिति है। हालांकि, यह हमेशा सटीक नहीं होता और बाजार की स्थिति बदलने से इसमें भी बदलाव आ सकता है। इसलिए, इन्वेस्टर्स को केवल GMP के आधार पर फैसला नहीं लेना चाहिए, बल्कि कंपनी के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस, इंडस्ट्री की स्थिति और लम्बे पीरियड की संभावनाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। हालांकि वह इन्वेस्टर जो सिर्फ IPO गेन के लिए इन्वेस्टमेंट कर रहे है, उनके लिए GMP को जानना और समझना काफी जरूरी बन जाता है। अगर आप भी IPO में इन्वेस्ट करने की सोच रहे हैं, तो GMP को एक इंडिकेटर के रूप में देखें, लेकिन इन्वेस्टमेंट से पहले पूरी रिसर्च करें और समझदारी से फैसला लें।