इंटरेस्ट रेट फाइनेंशियल जगत का एक ऐसा भाग है, जो बैंकिंग और लोन से लेकर इन्वेस्टमेंट तक सभी साधनों को प्रभावित करता है। किसी भी तरह की इन्वेस्टमेंट करते समय या लोन लेते समय हम इंटरेस्ट रेट की दर को जरूर ध्यान में रखते है, और यही इंटरेस्ट रेट हमारी रिटर्न को प्रभावित करने में एक अहम् योगदान देता है। इंटरेस्ट रेट भी कई तरह के हो सकते है, और उनमें से एक है फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट। आज के आर्टिकल ‘Floating interest meaning in Hindi’ में हम इसी इंटरेस्ट रेट की केटेगरी के बारे में जानेंगे और यह भी समझेंगे की फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट से यह किस तरह से बेहतर है।
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट क्या है – Floating Interest Rate meaning in Hindi
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट एक ऐसा इंटरेस्ट रेट होता है, जो समय के साथ साथ बदलता रहता है। फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट, फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट के बिलकुल विपरीत होता है। जहां फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट अपने पुरे टेन्योर के दौरान एक सा ही रहता है, वहीं फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट की दरें RBI की डायरेक्शन और इनके बेंचमार्क के अनुसार बदलती रहती है। इन बेंचमार्क में रेपो रेट, इन्फ्लेशन रेट, ग्लोबल इंटरेस्ट रेट आदि शामिल हो सकते है। बाकि इंटरेस्ट रेट की तुलना में फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट लॉन्ग टर्म में आपकी इंटरेस्ट से जुडी बचत करने में सहायक हो सकता है। क्युकी यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है, इसलिए ग्लोबल इंटरेस्ट रेट कम होने पर इसकी दर में भी कमी आती है, इसलिए आपको अपने लिए लोन पर कम ब्याज भरना पड़ता है। इसी तरह इन्वेस्टमेंट की बात करे तो फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में, भविष्य में अगर इंटरेस्ट रेट बढ़ते है तो आपकी इन्वेस्टमेंट की वैल्यू में भी इजाफा होता है।
उदाहरण के लिए अगर आपने फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर लोन ले रखा है, तो उसकी इंस्टालमेंट इंटरेस्ट रेट के बढ़ने और घटने के अनुसार ज्यादा और कम हो सकती है। इसी तरह इन्वेस्टमेंट में ऐसे बांड, जो फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट ऑफर करते है, उनकी रिटर्न पर भी इंटरेस्ट के घटने और बढ़ने का प्रभाव पड़ता है।
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट कैसे काम करता है – Floating Interest rate kaise kaam karta hai
फ्लोटिंग इंटरेस्ट के बदलने और इसकी कैलकुलेशन में इसके बेंचमार्क और बाहरी फैक्टर्स का अहम् योगदान होता है। चलिए इन्ही फैक्टर्स के बारे में विस्तार से जानते है:
रेपो रेट: RBI द्वारा बनाई जाने वाली मॉनेटरी पालिसी का सबसे ज्यादा प्रभाव फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर पड़ता है। RBI द्वारा निर्धारित किए जाने वाले रेपो रेट के अनुसार ही वह बाकि बैंक को अपने डिपाजिट में से लोन या कर्जे के रूप में पैसे देता है। अगर RBI रेपो रेट को बढ़ाता है तो उसके द्वारा बैंको को दिया जाने वाला कर्ज महंगा हो जाता है, जिस कारण बैंक भी अपने ग्राहकों के लिए लोन को दरें बड़ा देते है। इसके विपरीत बैंक द्वारा रेपो रेट कम करने पर लोन की ब्याज दरों में भी कमी आती है।
EBLR(External Benchmark Lending Rate): 2019 के बाद से RBI ने बैंको को अपने फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करना जरुरी कर दिया है। इन बेंचमार्क में रेपो रेट, 3 या 6 महीने की ट्रेज़री यील्ड शामिल होती है। आमतौर पर इनमे से बैंक, रेपो रेट को ही अपना बेंचमार्क मानकर चलते है।
Spread: बैंक बेंचमार्क रेट पर कुछ परसेंटेज स्प्रेड की चार्ज करते है, जिससे फ्लोटिंग इंटरेस्ट कैलकुलेट होता है। यह स्प्रेड रेट लोन लेने वाले के क्रेडिट स्कोर, लोन के प्रकार, रिस्क और टेन्योर पर निर्भर करता है।
रिसेट पीरियड: रिसेट पीरियड उस टाइम फ्रीक्वेंसी को कहते है जिसमे लोन के इंटरेस्ट रेट में बदलाव किया जाता है। यह रिसेट पीरियड, महीने, एक साल, आधे साल या तीन महीने का हो सकता है और यह बेंचमार्क रेट के बदलने पर निर्भर करता है।
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट की कैलकुलेशन के लिए निचे दिए फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है:
Floating interest rates = Benchmark rate + Spread
बेंचमार्क और स्प्रेड रेट के बारे में ऊपर पहले ही बता दिया गया है। उदाहरण की बात करें तो अगर अगर बेंचमार्क रेट 3% और स्प्रेड 1% तो फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट की दर होगी 4%.
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट लोन को कैसे प्रभावित करता है – Floating Interest rate loan ko kaise prabhavit karta hai
भारत में काफी सारे लोन फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट के साथ दिए जा सकते है। इनमें मुख्य है, होम लोन, पर्सनल लोन, मोटर लोन। होम लोन आमतौर पर फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर लिए जा सकते है और इसे इस रेट पर लेने का एक अच्छा कारण भी है। होम लोन आमतौर पर ज्यादा लम्बे टेन्योर के लिए होते है, जैसे की 10 या 30 साल। इतने लम्बे टेन्योर के दौरान इंटरेस्ट के बढ़ने या कम होने की सम्भावना काफी ज्यादा होती है, और अगर इंटरेस्ट रेट कम होते है तो लोन की ब्याज दर में भी कमी आती है।
इसी तरह पर्सनल लोन पर भी फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट एप्लीकेबल हो सकते है, लेकिन इनका टेन्योर होम लोन की तुलना में काफी कम होता होता है। अगर इसी टेन्योर के दौरान इंटरेस्ट रेट में कुछ बदलाव आते है, तो यह आपके लोन पर अच्छा और बुरा, दोनों प्रभाव डाल सकता है। यही सब बाते मोटर लोन पर भी लागु होती है।फिक्स्ड और फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में फर्क – Fixed vs Floating Interest Rate
अगर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट और फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में से किसी एक का चुनाव करना हो तो हरेक के लिए यह निर्णय अलग अलग हो सकता है। आपकी सुविधा के लिए हमने इन दोनों के बीच का फर्क निचे दिए टेबल पर दर्शाया हुआ, जिसको जानने के बाद आप एक बेहतर निर्णय ले पाएंगे।
Fixed Interest Rate | Floating Interest Rate |
यह इंटरेस्ट रेट लोन या इन्वेस्टमेंट के पुरे टेन्योर के दौरान एक जैसा ही रहता है। | यह इंटरेस्ट रेट लोन या इन्वेस्टमेंट के पुरे टेन्योर के दौरान बदलता रहता है। |
इसमें इंटरेस्ट बढ़ने का रिस्क रहता है। | फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट की तुलना में यह ज्यादा सिक्योर होता है, क्योंकि लॉन्ग टर्म में इंटरेस्ट रेट कम भी हो सकते। |
इसमें लोन की EMI या इन्वेस्टमेंट की रिटर्न फिक्स्ड रहती है। | इसमें लोन की EMI या इन्वेस्टमेंट की रिटर्न बदलती रहती है। |
इसमें इंटरेस्ट रेट के घटने या बढ़ने का कोई फायदा नहीं होता। | इसमें इंटरेस्ट रेट के घटने पर आपको फायदा हो सकता है। |
ज्यादातर केस में फिक्स्ड इंटरेस्ट में प्रीपेमेंट पेनल्टी होती है। | फ्लोटिंग इंटरेस्ट में कोई भी प्रीपेमेंट पेनल्टी नहीं होती। |
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट के फायदे – Floating Interest Rate ke fayde
लॉन्ग टर्म में फायदेमंद: अगर आप किसी लॉन्ग टर्म लोन या इन्वेस्टमेंट में फ्लोटिंग इंटरेस्ट का चुनाव करते हो तो यह आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर बेंचमार्क के इंटरेस्ट रेट बढ़ते है तो आपको अपनी इन्वेस्टमेंट में फायदा होता है, वहीं अगर बेंचमार्क के इंटरेस्ट रेट कम होते है तो आपको अपने लोन में फायदा हो सकता है।
फ्लेसिबिलिटी: फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में मार्केट कंडीशन के अनुसार बदलाव होते है। इस तरह यह इन्वेस्टर को मार्केट और इकोनॉमिक स्तिथि में हो रहे उतार चढ़ाव का फायदा लेने का मौका देते है।
कम इंटरेस्ट रेट का फायदा: जो लोग अपने लोन पर कम इंटरेस्ट रेट चाहते है, उनके लिए फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट काफी फायदेमंद हो सकते है। आमतौर पर फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट की ब्याज दर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट की तुलना में कम होती है और भविष्य में उसके कम होने की संभावना उसे और भी फायदेमंद साबित कर सकती है।
इन्वेस्टमेंट पर ज्यादा रिटर्न: अगर आपने अपनी इन्वेस्टमेंट रिटर्न पर फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट का चुनाव कर रखा है तो आपको लम्बे समय में अच्छी रिटर्न का फायदा मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
लोन की प्रीपेमेंट में फायदेमंद: प्रीपेमेंट यानि की अपने चल रहे लोन की कुछ पेमेंट या पूरी पेमेंट को समय से पहले ही चुकाना। अगर आपका लोन फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर काम करता है तो आपको इस प्रीपेमेंट पर कुछ पेनल्टी या चार्जेज भरने पड़ सकते है, जबकि फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट लोन में ऐसे किसी भी चार्ज या पेनल्टी को नहीं लिया जाता।
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट के नुक्सान – Drawbacks of Floating Interest Rate
इंटरेस्ट रेट बढ़ने का रिस्क: अगर फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में इंटरेस्ट रेट घटने की बजाय बढ़ जाते है तो आपको अपने लोन पर ज्यादा EMI चुकाना पड़ सकता है। इसी तरह इन्वेस्टमेंट के केस में इंटरेस्ट रेट कम होने पर आपकी रिटर्न भी कम हो जाती है।
शार्ट टर्म लोन: ज्यादातर शार्ट टर्म लोन के लिए फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट सही नहीं रहते क्यूंकि अगर शार्ट टर्म में इंटरेस्ट रेट बदलते है तो आपके रिस्क की संभावना भी बड़ जाती है।
फाइनेंशियल प्लानिंग में मुश्किल: क्यूंकि फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में इंटरेस्ट फिक्स नहीं होता, इस कारण इंटरेस्ट के बढ़ने या घटने पर आपके EMI की अमाउंट में भी बदलाव हो सकते है। यह लोगो के लिए उनकी फाइनेंशियल प्लानिंग और मंथली बजट को और मुश्किल बना सकता है क्यूंकि ऐसे केस में लोगो के पास महीने में EMI के खर्चे लिए कोई भी फिक्स्ड रकम नहीं होगी, और अगर इंटरेस्ट रेट बढ़ते है तो उन्हें अपने बजट के बाहर जाकर EMI की पेमेंट करनी पड़ सकती है।
यह भी जाने: Loan Refinancing kya hai – लोन रिफाइनेंसिंग क्या है और हमारे लिए कैसे फायदेमंद है
निष्कर्ष – Conclusion
भारत के लोगो में बढ़ती जागरूकता के कारण फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट भी एक पॉपुलर ऑप्शन बन चूका है। यह इंटरेस्ट रेट की एक ऐसी ऑप्शन होती है जो वक्त के साथ बदलती रहती है। यह लोगो के लिए फायदेमंद हो सकती है जब इंटरेस्ट घट रहे हो लेकिन इंटरेस्ट रेट बढ़ने के केस में यही आपके लिए रिस्क का कारण भी बन सकती है। अपने लोन और इन्वेस्टमेंट के लिए फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट को समझना और उसी अनुसार उसका चुनाव करना जरुरी है। यह आपको एक अच्छा फाइनेंशियल निर्णय लेने और ज्यादा से ज्यादा सेविंग करने में मदद कर सकता है।
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